कौन है स्वीडन में कुरान जलाने वाला सलवान मोमिका, जिसकी हरकत से उबले इस्लामिक देश

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स्वीडन में एक मस्जिद के बाहर कुरान जलाए जाने का मामला लगातार तूल पकड़ रहा है। इस घटना से पाकिस्तान, सऊदी अरब से लेकर इराक तक इस्लामिक देशों में उबाल है। यहां तक गुरुवार को तो इराक में स्वीडन के दूतावास में ही आग लगा दी गई।यही नहीं इराक ने स्वीडन के राजदूत को देश से निकाल दिया है और अपने राजनयिकों को भी वापस बुला लिया है। स्वीडन की कंपनियों से सारा कारोबार भी बंद कर दिया गया है। दरअसल बीते महीने कुरान जलाए जाने की घटना हुई थी, जिस पर गुस्सा थमा भी नहीं था कि एक बार फिर से गुरुवार को ऐसा ही करने की कोशिश की गई।

इस घटना को अंजाम देने वाला शख्स सलवान मोमिका है, जिसके बारे में दुनिया जानना चाहती है। 37 साल का सलवान मोमिका मूल रूप से इराक का ही रहने वाला है, लेकिन फिलहाल वह शरणार्थी के तौर पर स्वीडन में रह रहा है। ईसाई धर्म को मानने वाला सलवान मोमिका 2018 में इराक में हालात बिगड़ने पर स्वीडन चला गया था और फिर 2021 में शरणार्थी का दर्जा मिल गया था। वह खुद को नास्तिक कहते हैं। बीते महीने सलवान मोमिका ने एक मस्जिद के बाहर कुरान को आग में झोंक दिया था। इस पर दुनिया भर के इस्लामिक देशों में गुस्सा भड़क गया।

क्यों स्वीडन से भी नाराज हैं इस्लामिक देश

पाकिस्तान की संसद में भी इसे लेकर प्रस्ताव पारित हुआ और एक दिन देश भर में स्वीडन के खिलाफ प्रदर्शन हुए। इस मामले में स्वीडन के खिलाफ भी गुस्से की वजह यह है कि पुलिस ने कु़रान के खिलाफ आंदोलन को बैन कर दिया था, लेकिन वहां की एक अदालत ने अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर इसकी छूट दे दी। अब इसी को लेकर सऊदी अरब, इराक, पाकिस्तान समेत दुनिया भर के इस्लामिक देश खफा हैं और स्वीडन की निंदा कर रहे हैं। हालांकि इराक में स्वीडन के दूतावास पर अटैक करने वालों पर ऐक्शन लिया गया है और 20 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।

UN में भी गूंजा मामला, भारत का क्या रहा है रुख

इस मामले की गूंज संयुक्त राष्ट्र में भी सुनाई दी है। इसी महीने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में इस मसले पर निंदा प्रस्ताव लाया गया था। इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी के प्रस्ताव का भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, सऊदी अरब समेत कई देशों ने समर्थन किया था। इस प्रस्ताव के समर्थन में 28 और विरोध में 12 वोट पड़े। जिन देशों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था, उनमें ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, कोस्टारिका, मोंटेनेगरो शामिल है।

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