IVRI:देशी नस्ल थारपारकर गायों के संरक्षण और नस्ल सुधार का लीड केन्द्र बना

लव इंडिया, बरेली । भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान ( आई वी आर आई) को देश में देशी नस्ल थारपारकर गायों के संरक्षण एवं नस्ल सुधार हेतु अखिल भारतीय परियोजना के अन्तर्गत लीड केन्द्र स्थापित करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गयी है। इसके लिये केन्द्रीय गौवंश अनुसंधान संस्थान मेरठ तथा आईवीआरआई के वैज्ञानिकों के बीच ए आई सी आरपी की स्थापना तथा तकनीकी कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिए बैठक की गयी।


भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली के निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि आई वी आर आई थारपारकर गायों के लीड जर्मप्लाज्म सेन्टर के रूप में कार्य करेगा क्योंकि संस्थान के पास फार्म में उन्नत थारपारकर नस्ल के पशु उपलब्ध है तथा सीमेन उत्पादन व प्रसंस्करण की आधुनिक सुविधा के साथ- साथ वैज्ञानिकों की कुशल टीम भी है।

डा. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि थारपारकार नस्ल को बढ़ाने के लिए ब्रीडिंग कार्यक्रम चलाये जायेंगे तथा ब्रीडिंग क्षेत्र को चयनित किया जायेगा। आई वी आर आई के फार्म में थारपारकार गायों की संख्या को बढ़ाया जायेगा। थारपारकर गायों के वीर्य को अनुरक्षण किया जायेगा। संस्थान में थारपारकर गायों के सीमेन की 5 हजार डोज जर्म प्लाज्म केन्द्र में तैयार की जायेगी।


केन्द्रीय गौवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ के गोवंश आनुवंशिकी एवं प्रजनन विभाग के विभागाध्यक्ष, डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि थारपारकर प्रोजेक्ट के लिए राजस्थान पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर तथा केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी), जोधपुर को डेटा रिकॉर्डिंग यूनिट तथा जर्म प्लाज्म यूनिट सेे सहयोग हेतु चिन्हित किया गया है।

उन्होंने कहा कि आई वी आर आई सभी यूनिट के डाटा को एकत्रित करेगा तथा लीड सेंटर के रूप में कार्य करेगा। इस अवसर पर केंद्रीय गौवंश अनुसंधान संस्थान के डा. ए. के. दास ने भी अपने विचार रखे। इससे पूर्व कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत करते हुए आई वी आर आई के गाय एवं भैंस प्रक्षेत्र के प्रभारी डा. अनुज चौहान ने संस्थान में थारपारकर गायों के सम्बन्ध में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की।

कार्यक्रम का संचालन पीएमई सेल के प्रभारी डा. समीर श्रीवास्तव द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन अनुभाग के डा. अयोन तरफदार द्वारा किया गया। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक शोध डा. एस.के सिंह सहित संस्थान के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष एवं वैज्ञानिक उपस्थित रहे।

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