श्रावणमास में श्रीमद्भागवत कथा सुनने से मिलती देवो के देव महादेव की कृपा: अर्द्धमौनी

Uttar Pradesh टेक-नेट तीज-त्यौहार तेरी-मेरी कहानी नारी सशक्तिकरण युवा-राजनीति

लव इंडिया, मुरादाबाद। अर्द्धमौनी सर्व कल्याण ट्रस्ट द्वारा श्रावणमास, चातुर्मास एवं पुरुषोत्तम मास तीनों के महासंगम पर हरिकथा, हरिनामृत एवं सप्ताह का सुन्दर आयोजन रेड सैफायर बैंकट, आशियाना में किया गया। जिसमें कथाव्यास श्रद्धेय धीरशान्त दास अर्द्धमौनी के द्वारा श्रीमद्भागवत कथा के महातम एवं भगवान की दिव्य लीलाओं का वर्णन किया गया।

श्रीमद्भागवत कथा का आरम्भ वृन्दावन धाम से पधारे आचार्य प्रेमानन्द शास्त्री जी द्वारा भगवान विष्णु सहस्रनाम एवं पुरुष सूक्त प्रार्थना से हुआ। तत्पश्चात अर्द्धमौनी जी ने बताया कि महादेव शिव शम्भू भी हरिकथा के रसिक हैं। जो भी मनुष्य पवित्र श्रावण मास में श्रीमद्भागवत कथा सुनता है वो साक्षात महादेव शिव का कृपा पात्र बन जाता है। वेदव्यास जी महाराज द्वारा द्वादश स्कंधों के अठारह हजार श्लोकों से संसार को मोक्षदायिनी मार्ग प्रशस्त किया है। जीवात्मा भगवान् श्रीकृष्ण का अंश है तो इसे भगवान् का आश्रय लेना चाहिए, लेकिन इसने नाशवान् धन, कुटुम्ब आदि संसार का आश्रय ले लिया। क्रिया-पदार्थों से, प्राकृत गुणों से अपने को बड़ा मानने लगा। जिस समय में भक्ति करके परमात्म श्रीहरि की प्राप्ति हो सकती है, उस समय को नाशवान् के उपार्जन में लगा दिया। नाशवान् का नाश तो होकर ही रहेगा, इसे सिवाय सन्ताप के कुछ हाथ नहीं लगेगा।

कहा कि मनुष्य शरीर में दो ही काम भजन एवं भोजन करने योग्य हैं। भगवान् की भक्ति करना और सेवा करना भजन है। संसार के समस्त भोग विलास भोजन कहलाते हैं। भगवान् को स्मरण करते हुए शरीर रहे, तो कल्याण है और शरीर जावे तो भी कल्याण है जिस प्रकार से दृष्टिहीन के लिए दर्पण कुछ नहीं कर सकता उसी प्रकार से विवेकहीन व्यक्ति के लिए शास्त्र भी कुछ नहीं कर सकते। भगवान् के मंगलमय राज्य में निराशा और असफलता को स्थान नहीं है। ये तो तभी आते हैं, जब हम भगवान् की जगह भोगों पर विश्वास करने लगते हैं।

कहा कि इस अवस्था में हमारे दुःख और अशान्ति की श्रृंखला टूटती नहीं, वरं और भी सुदृढ़ हो जाती है। इसलिये निराशा और असफलता का दूर से भी दर्शन होते ही समझ लो कि तुम्हारा विश्वास भोगों की ओर हो गया है और तुरंत उस विश्वास को वहाँ से हटाकर भगवान् में जोड़ दो। फिर देखो, उसी क्षण बल और उत्साहसे हृदय भर जायगा और सफलता सामने दिखायी देगी। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से दिव्य योग बन रहा है। पवित्र श्रावण मास, चातुर्मास व्रत एवं पुरुषोत्तम मास के महासंगम के सुदुर्लभ योग में आयोजन हो रहा है। समस्त पापों का सर्वनाश करने वाली श्रीमद्भागवत कथा के मुख्य यज्ञमान सोमनाथ पोपली, मनीष पोपली एवं डा० अजय पोपली ने पूजन किया। अर्द्धमौनी सर्व कल्याण ट्रस्ट के वैष्णव भक्तों के सहयोग से समस्त व्यवस्थाओं का सुन्दर आयोजन हुआ।

व्यवस्था में राजू अरोड़ा, आकाश अरोड़ा, रजनी अरोड़ा, सुराज अग्रवाल, बोबी अग्रवाल, राजेश रस्तोगी, सुमित अग्रवाल, विनीत अग्रवाल, विशाल अग्रवाल, देवेन्द्र सिंह,आर्किटेक्ट, राजीव सिंह, संगीता विश्नोई, मिथलेश सक्सैना, ब्लाक प्रमुख सन्तोष चौधरी, दलजीत कौर, दिनेश अग्रवाल, बबीता अग्रवाल, प्रभा बब्बर, कुसुम उत्तरेजा, पायल मग्गू, राजीव सिंह, ओमप्रकाश शर्मा आदि उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *