कनेक्शन एक और बिल दो, रिश्वत नहीं दी तो नहीं किया सुधार, अब पश्चिमंचल विद्युत वितरण निगम पर लगा दस हजार रुपए का जुर्माना
लव इंडिया, संभल। विद्युत विभाग के कारनामे समय-समय पर आम जनता के सामने आते रहते हैं लेकिन विद्युत विभाग है कि सुधरने कर नाम ही नहीं लेता। इतना ही नहीं, लापरवाह एवं दोषी कर्मचारी के विरुद्ध कोई विभागीय कार्यवाही भी नहीं करता। इससे उपभोक्ताओं की समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं। ऐसा ही एक मामला संभल जिले में सामने आया तो जिला उपभोक्ता आयोग ने पश्चिमंचल विधुत वितरण निगम पर 10 हज़ार रुपए का जुर्माना किया है।
संभल जनपद के ग्राम कासमपुर निवासी लाखन सिंह पुत्र करन सिंह घरेलू विद्युत कनेक्शन संख्या 771709628621 है। उन्होंने विद्युत कनेक्शन के सम्बन्ध में जून 2019 को 12,507 रुपए, सितम्बर 2021 में 6,600 रुपए विद्युत बिलों कर भुगतान किया। वर्ष 2021 में लाखन सिंह को एक नोटिस प्राप्त हुआ जिसमें विद्युत कनेक्शन 771709627683 आदि विवरण अंकित कर धनराशि की मांग की गयी। शिकायत पर विद्युत वितरण खंड, संभल के अधिशासी अभियंता ने अवर अभियंता को जांच के आदेश दिए लेकिन अवर अभियंता व लिपिक ने 20 अगस्त 2022 को 10 हजार रुपए सुविधा शुल्क के बिना समस्या का निराकरण करने से साफ इन्कार कर दिया।
इस पर उपभोक्ता ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, संभल में उपभोक्ता मामलों के वरिष्ठ अधिवक्ता देवेंद्र वार्ष्णेय के माध्यम से परिवाद दायर किया। इस पर लाखन सिंह ने धारा 35 उपभोक्ता संरक्षण प्रधिनियम, 2019, विपक्षी पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, मेरठ, व उसके अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड, सम्भल के विरूद्ध अपने विद्युत संयोजन खाता संख्या 771709628621 स्वीकृत भार 2 किलोवाट के सम्बन्ध में अप टू डेट मीटर रीडिंग, टैरिफ के अन्सार परिवादी द्वारा जमा की गई धनराशि को समायोजित करते हुए सरचार्ज रहित विद्युत बिल जारी किये जाने तथा विद्युत कनेक्शन खाता संख्या 771709627683 के सम्बन्ध में जारी समस्त विद्युत बिलों को निरस्त करके नो ड्यूज प्रमाण पत्र जारी किये जाने हेतु की मांग की। साथ ही 50 हजार रुपए मानसिक कष्ट एवं आर्थिक क्षति की भी मांग की।
इस विद्युत विभाग ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, संभल ने अपना पक्ष रखा और बताया कि लाखन सिंह ने कोई रसीद एवं भुगतान का कोई विवरण दाखिल नहीं किया है। जानबूझकर गलत ब्यानी करके जिला आयोग को गुमराह कर रहा है। लाखन सिंह का कथन की कनेक्शन संख्या 771709628621 विद्युत बिल नियमित रूप से प्रेषित नहीं किये जा रहे है। कथन मिथ्या व निराधार है। असल में लगातार उपभोग की गयी विद्युत बिल मीटर रीडिंग व टेरिफ अनुसार सही बिल भेजे जा रहे हैं जो सही हैं। विद्युत संयोजन संख्या 771709627683 डुप्लीकेट निर्गत हो गया था। प्रकरण संज्ञान में आने पर जांच उपरान्त विद्युत संयोजन संख्या 771709626683 को बकाया सहित उपखण्ड कार्यालय द्वारा समाप्त किया जा चुका है। अधीनस्थ लिपिक पर दस हजार रुपए मांगने का आरोप निराधार है। लाखन सिंह कभी भी कार्यालय नहीं आया और ना ही किसी भी लिपिक ने पैसे की मांग की। इस बाबत संभल के अधिशास अभियंता देवेंद्र कुमार गुप्ता ने शपथ पत्र भी दाखिल किया।
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, संभल के अध्यक्ष राम अचल यादव व महिला सदस्य नमिता दुबे ने इस प्रकरण को गंभीरता से सुना और पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को आदेश दिया कि विद्युत खाता संख्या 771709627683 व उसके सम्बन्ध में प्रेषित सभी विद्युत बिलों को निरर करके खाता खत्म करें। साथ ही, विद्युत संयोजन एसएम 42406132162 खाता 771709628621 के सम्बन्ध में लाखन सिंह द्वारा जमा धनराशि बारह हजार पांच सौ सात एवं छह हजार छह सौ रुपए को समायोजित करके सरचार्ज रहित विद्युत बिल नियम अनुसार जारी करें। साथ ही, विद्युत वितरण खंड, संभल के कार्यों को सेवाओं में कमी एवं लापरवाही मानते हुए 5 हज़ार मानसिक कष्ट व 5 हज़ार वाद व्यय हेतु अदा करने का आदेश पश्चिमंचल विद्युत वितरण व विद्युत वितरण खंड संभल को दिए हैं।
उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ता बेहद परेशान है क्योंकि विद्युत विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मनमानी कर रहे हैं यह मामला भी कुछ ऐसा ही था। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, संभल ने एक ऐसे उपभोक्ता को न्याय दिया है जिसका कनेक्शन एक था लेकिन बिजली बिल दो जारी किए गए थे जबकि बिजली विभाग का संबंध क्लर्क इसे खत्म करने के लिए 10 हजार रुपए की मांग कर रहा था।
देवेंद्र वार्ष्णेय, उपभोक्ता मामलों के वरिष्ठता अधिवक्ता,मुरादाबाद मंडल।