डॉक्टर व बीमा कंपनी के मुख्य प्रबंधक के गिरफ्तारी वारंट

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जिला उपभोक्ता आयोग ने डॉक्टर व बीमा कंपनी के मुख्य प्रबंधक के खिलाफ जारी किए गिरफ्तारी वारंट

लव इंडिया, संभल। जिला उपभोक्ता आयोग ने डॉक्टर व बीमा कंपनी के मुख्य प्रबंधक के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए । जिला उपभोक्ता आयोग जनपद संभल ने एक परिवाद की सुनवाई करते हुए डॉक्टर व बीमा कंपनी के विरुद्ध जारी किए जमानती वारंट जारी किए ।

यहाँ बता दें कि ग्राम नाधोस निवासी शिवकुमार पुत्र प्रेम शंकर ने वर्ष 2012 में हुई दुर्घटना के इलाज के लिए अलीगढ़ के प्रसिद्ध हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ वीरेंद्र चौधरी शांति नर्सिंग होम के यहां अपने कूल्हे का इलाज कराया था जहां उनके द्वारा इलाज में लापरवाही की गई जिसकी शिकायत सीएमओ मुरादाबाद से की गई तो सीएम मुरादाबाद ने उक्त घटना की जांच कराते हुए पाया कि शिव कुमार की पूरे कुल्ह को बदला जाना था जो कि डॉक्टर द्वारा नहीं बदला गया जिसके लिए शिवकुमार ने पुनः डॉक्टर से अपनी शिकायत दर्ज कराई तो डॉक्टर ने उसकी बात सुनने से इनकार कर दिया।

Village Nadhos resident Shivkumar s/o Prem Shankar had got his hip treated at Aligarh’s famous Orthopedist Dr. Virendra Chaudhary Shanti Nursing Home for the treatment of the accident in the year 2012, where he complained about the negligence in the treatment, to the CMO Moradabad. CM Moradabad, while investigating the said incident, found that Shiv Kumar’s entire pelvis was to be replaced, which was not replaced by the doctor, for which Shivkumar again lodged his complaint with the doctor, then the doctor refused to listen to him. Gave.

लव मोहन वार्ष्णेय

तब उन्होंने अपना एक परिवाद अपने अधिवक्ता लव मोहन वार्ष्णेय द्वारा जिला उपभोक्ता फोरम जनपद मुरादाबाद में दर्ज करा जहां नया जिला भीमनगर बन जाने के कारण उसकी सुनवाई बहजोई स्थित उपभोक्ता फोरम में हुई तो फोरम के अध्यक्ष द्वारा विपक्षी शांति नर्सिंग होम को आदेश किया गया कि एक लाख रुपये इलाज व क्षति पूर्ति के ₹15000 दो माह में अदा कर दें। अदा न करने पर 9% वार्षिक ब्याज भी दे होगा जिसके विरूद्ध शांति नर्सिंग होम ने राज्य आयोग लखनऊ में अपील की और कहा कि हमारे द्वारा यूनाइटेड इंश्योरेंस कंपनी से प्रैक्टिशनर पॉलिसी प्राप्त की गई है यदि हमारी लायबिलिटी होगी तो इंश्योरेंस कम्पनी भुगतान करेगी जिसे पक्षकार बनाया जा कर पुनः सुनवायी की जाये।

तब राज्य उपभोक्ता आयोग ने उन्हें उस पर वाद की सुनवाई के लिए जिला उपभोक्ता फोरम संभल को पुनः सुनवाई कर गुण दोष के आधार पर उनका निस्तारित करने का आदेश दिया गया जहां आयोग के अध्यक्ष व सदस्य पुनः परिवाद की सुनवाई कर अपना निर्णय देते हुए विपक्षी बीमा कंपनी व डॉक्टर को ₹200000 इलाज क्षतिपूर्ति के ₹200000 मय 9% बार्षिक ब्याज सहित अदायगी की तिथि से अदा करने के आदेश दिए गए परंतु विपक्षी द्वारा राज्य आयोग में उक्त आदेश के विरुद्ध पुनः अपील आयोजित की गई जहां राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा अपना निर्णय देते हुए यह आदेश पारित किया कि जहां तक बीमा कंपनी द्वारा जो उसकी सीमा है, उतनी धनराशि बीमा कंपनी परिवादी को अदा करें। यदि कोई शेष धनराशि अवशेष रहती हैं तो उसकी अदायगी डॉक्टर द्वारा परिवादी को की जाए उक्त निर्णय 22 नवंबर 2022 को पारित किया गया परंतु बीमा कंपनी व डॉक्टर द्वारा उक्त आदेश का अनुपालन नहीं किया गया जिसके लिए पुनः शिवकुमार ने अपना परिवार आयोग के आदेश की अवहेलना करने के संबंध में जिला उपभोक्ता आयोग जनपद संभल में अपने अधिवक्ता लव मोहन वार्ष्णेय के माध्यम से आयोजित किया जहां बीमा कंपनी और डॉक्टर को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए परंतु वह उपस्थित नहीं आए तो आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों द्वारा बीमा कंपनी के मुख्य प्रबंधक के विरुद्ध जमानती वारंट जारी किए गए हैं।

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