सुगंध दशमी पर धूप खेवन से महका TMU का रिद्धि-सिद्धि भवन

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में पर्वाधिराज दशलक्षण महामहोत्सव के छठे दिन उत्तम सत्य धर्म पर प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ जैन शास्त्री के सानिध्य में विधि-विधान से हुए देव शास्त्र गुरु पूजन, शीतल नाथ भगवान पूजन आदि

लव इंडिया मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में पर्वाधिराज दशलक्षण महामहोत्सव के छठे दिन उत्तम संयम धर्म पर भक्ति की बयार बही। संगीतमय भजनों पर रिद्धि-सिद्धि भवन में सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं आस्था के सागर में झूमते नज़र आए। उत्तम संयम धर्म पर सुगंध दशमी के उपलक्ष्य में विशेष पूजन हुआ। उत्तम सत्य धर्म पर प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ जैन शास्त्री के सानिध्य में देव शास्त्र गुरु पूजन, शीतल नाथ भगवान पूजन विधि-विधान से हुए।

एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अक्षत जैन, श्रीमती रेणु जैन, श्रीमती विनीता जैन, डॉ. विनीता जैन ने अभिषेक करने वालों को सम्मानित किया। जीवीसी मनीष जैन ने श्रीमती ऋचा जैन, जबकि अक्षत जैन ने डॉ. कल्पना जैन को सम्मानित किया। प्रथम स्वर्ण कलश से डॉ. रवि जैन, द्वितीय स्वर्ण कलश से वंश जैन, तृतीय स्वर्ण कलश से डॉ. रत्नेश जैन और चतुर्थ स्वर्ण कलश से आयुष जैन को अभिषेक करने का सौभाग्य मिला। प्रथम स्वर्ण शांतिधारा का सौभाग्य डॉ. सिद्धार्थ जैन, डॉ. अनिकेत जैन, डॉ. आकाश, डॉ. अस्मिता, डॉ. आगम, डॉ. अर्पित, डॉ. जय सुभाष, डॉ. शुभम, श्री समर्थ, सम्यक आदि को मिला।

द्वितीय रजत शांतिधारा का पुण्य आर्जव, कुशाग्र, मोहित, आर्यन, श्री आदि, श्री आदर्श, श्री नमो, अनिमेश जैन ने कमाया। तत्वार्थ सूत्र के षष्टम अध्याय का वाचन संभव जैन ने किया। फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन ने संभव जैन को सम्मानित किया। श्रीमती ऋचा जैन ने प्रतिदिन अभिषेक करने वाली फैकल्टीज़ और श्रावक-श्राविकाओं का सम्मान किया। कुलाधिपति सुरेश जैन के संग-संग श्रीमती जाह्नवी जैन आदि की भी उल्लेखनीय मौजूदगी रही।

प्रतिष्ठाचार्य ऋषभ जैन शास्त्री ने कहा, मंत्र, तंत्र और यंत्र का ज्ञान हो जाएगा जब आप इस ग्रंथ मंत्र अनुशासन को पढ़ेंगे। कभी भी मन वचन काय से देव शास्त्र गुरु की अवहेलना नहीं करनी चाहिए। भैया जी ने रिद्धि-सिद्धि भवन में सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं को सुंदर नारी की सुंदरता के अभिमान और मुनिराज के अपमान की कहानी सुनाई। वह स्त्री बाद में दुर्गंधा कहलाई। यही सुगंध दशमी पर्व के मनाने की कहानी है। इसी दिन वह स्त्री कोंढ रोग से मुक्त हुई थी।

भोपाल के सचिन जैन और उनके साथियों की ओर से प्रस्तुत भजनों- जिनवर तेरा अभिषेक किया है, भक्ति में तेरे बेकरार हो गए, तू प्रीत का धागा है, ना ही शोहरत न हीं दौलत चाहूं प्रभु सिर्फ दर्श तुम्हारा चाहे, णमोकार णमोकार महामंत्र णमोकार, है पारस नाथ बड़ा प्यारा इस भव को पार लगाएगा, चिंतामणि प्रभु पारसमणि, पूजन कर लो पुण्य कर लो प्रभु के गुण गा लो, उड़ जा रे पंछी, तेरे चेहरे का दर्श ना छोड़ेंगे पर तेरा साथ ना छोड़ेंगे, आगे आगे है जिनवर है मेरे अपने बाबा के पीछे पीछे हूं मैं पर श्रावक-श्राविकाएं भक्ति में डूब गए।

सांस्कृतिक संध्या से पूर्व फिजियोथैरेपी की एचओडी प्रो. शिवानी एम. कौल को श्रीजी की आरती को दिव्य घोष के बीच जिनालय से रिद्धि-सिद्धि भवन तक ले जाने का सौभाग्य मिला। इस मौके पर नंदकिशोर साह, हरीश शर्मा, श्रीमती हिमानी, रंजीत तिवारी, मिस समर्पिता सेनापति, मिस नीलम चौहान, मिस मुस्कान जैन आदि मौजूद रहे। दूसरी ओर मंगलचारण के संग डिपार्टमेंट ऑफ फिजियोथैरेपी के स्टुडेंट्स की ओर से ऑडी में भगवान पार्श्वनाथ की जीवनी नाटक मंचन का शंखनाद हुआ।

प्ले के संग-संग संगीत-नृत्य के जरिए भगवान पार्श्वनाथ के पंच कल्याणक- गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष भक्तिभाव से प्रस्तुत किए गए। फिजियोथैरेपी के स्टुडेंट्स निहाल जैन ने भगवान पार्श्वनाथ, रिशिका जैन ने माता वामादेवी, संयम जैन ने पिता अश्वसेन की भूमिका निभाई, जबकि जयंत जैन, भूमि अहाले और कशिश जैन नेरेटर की भूमिका में रहे। नाटक में 30 जैन श्रावक-श्राविकाओं ने प्रतिभाग किया। इस मौके पर वीसी प्रो. वीके जैन ने फिजियोथैरेपी के 06, एमडीएस के 04 और बीडीएस के 05 फाइनल ईयर स्टुडेंट्स को टीएमयू का स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया।

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