श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति के लिए पहली बार आवाज बुलंद करने वाले दाऊ दयाल खन्ना थे पक्के कांग्रेसी

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उमेश लव, लव इंडिया, मुरादाबाद। क्या आप जानते हैं कि अयोध्या में श्रीराम के जन्म स्थान पर बन रहे भगवान श्री राम के भव्य मंदिर के लिए आजाद भारत में सबसे पहले किसने आवाज बुलंद की थी। नहीं ना क्योंकि यह कहानी कुछ ऐसी है या यूं कह लें कि यह कहानी है दिए और तूफान की जो दोनों एक दूसरे के विपरीत है या फिर एक ऐसे शख्स की जो जन्मजात कांग्रेसी थे लेकिन उसका दिल सच्चा सनातनी था तभी तो इस शख्स ने सुंदरकांड की चौपाई की…सहज भीरु कर बचन दृढ़ाई। सागर सन ठानी मचलाई॥ मूढ़ मृषा का करसि बड़ाई। रिपु बल बुद्धि थाह मैं पाई (अर्थात स्वाभाविक ही डरपोक विभीषण के वचन को प्रमाण करके उन्होंने समुद्र से मचलना (बालहठ) ठाना है। अरे मूर्ख ! झूठी बड़ाई क्या करता है? बस, मैंने शत्रु के बल और बुद्धि की थाह पाई, आप इसे कुछ इस तरह भी समझ सकते हैं कि डरपोक कांग्रेस सरकार को देखकर ही उन्होंने… )… थी क्योंकि यह शख्स राम काज करने को आतुर थे।

नहीं जानते ना, इस महान हिंदू सनातनी को, तो हम बताते हैं आपको…। साढ़े चार सौ साल तक अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि में बंधक रही। यही पर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था और आजाद भारत होने के साथ-साथ बहुसंख्यक हिन्दु समाज को पूजा-पाठ की अनुमति नहीं थी और यही बात खल रही थी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दाऊ दयाल खन्ना को, जो पक्के कांग्रेसी थे और मुरादाबाद के मूल निवासी थे। दाऊ दयाल खन्ना का जन्म अताई मोहल्ले में हुआ था, बाद में इनका परिवार सिविल लाइन थाने से कुछ आगे चौराहे(पुलिस अस्पताल) पर था। फिलहाल इनका परिवार मिगलानी सिनेमा के पास रहता है। इनके दो बेटों में ओ एन खन्ना (सेवानिवृत मुख्य चिकित्सा अधिकारी) इन दिनों दुबई गए हुए हैं जबकि दूसरे बेटे ए एन खन्ना (सेवानिवृत मुख्य चिकित्सा अधिकारी) का देहांत हो चुका है। इनमें ओ एन खन्ना के बेटे अंबुज और आयुष्य का अपना कारोबार है।

दाऊ दयाल खन्ना के पोत्र अंबुज और आयुष्य अयोध्या में बने राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए मिले निमंत्रण पत्र को दिखाते हुए।

लव इंडिया नेशनल से बातचीत करते हुए दाऊ दयाल खन्ना के पोत्र अंबुज और आयुष्य ने बताया कि दाऊदयाल खन्ना ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने कांग्रेस में रहते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए पत्र भी लिखा था। वर्ष 1983 में उन्होंने इस मुद्दे को उठाया था। साथ ही, काशीपुर और मुजफ्फरनगर में हुई जनसभा में उन्होंने रामजन्मभूमि की मुक्ति को आवाज बुलंद की थी। इस सभा में पूर्व गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक रहे रज्जू भैया उपस्थित थे। कहा कि दादा जी दाऊ दयाल खन्ना के प्रयास से ही मुरादाबाद नगर पालिका ने भारत के इतिहास में पहली बार गो हत्या पर प्रतिबंध लगाया था।

दाऊ दयाल खन्ना का फाइल फोटो

बताय कि वर्ष 1937 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पहली बार विधायक चुने गए एवं प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री रहे दाऊ दयाल खन्ना को 88 वर्ष पहले 9 अगस्त, 1942 को ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार किया था। भगवान श्रीराम जन्मभूमि से पहले मुरादाबाद में स्वतंत्रता आंदोलन की अलख जगाने वाले क्रांतिकारी योद्धा दाऊ दयाल खन्ना का जन्म मुरादाबाद के अताई मोहल्ला के प्रसिद्ध खन्ना परिवार में नवंबर माह वर्ष 1910 में हुआ था। दाऊ दयाल खन्ना ने 18 वर्ष की आयु में स्वतंत्रता संग्राम में प्रवेश किया और मुरादाबाद बूथ लीग की स्थापना की। कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन से लौटने के कुछ समय बाद उन्होंने मुरादाबाद में कांग्रेस कमेटी कायम की। महात्मा गांधी के आह्वान पर वह पढ़ाई छोड़कर पूरा समय आजादी की लड़ाई में जुट गए।

दाऊ दयाल खन्ना का फाइल फोटो

वर्ष 1930 में दाऊ दयाल खन्ना ने पूरे शहर में क्रांतिकारी अपील के पर्चे वितरित किए। इससे बौखलाई अंग्रेजी सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। 1931 में सजा काटकर वह घर आए और दोबारा स्वतंत्रता की लड़ाई में सक्रिय भाग लेने लगे। 1932 में उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया गया।

वर्ष 1935 में दाऊ दयाल खन्ना पहली बार मुरादाबाद नगर पालिका के सदस्य चुने गए। 1937 में यूपी विधानसभा चुनाव में दाऊ दयाल खन्ना ने जीत हासिल की। 1940 में सत्याग्रह आंदोलन में उन्हें एक वर्ष के कठोर कारावास की सजा हुई। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में जेल यात्रा की और उन्होंने निरंतर चार वर्ष जेल में यातनाएं सहीं। दाऊ दयाल खन्ना के प्रयास से मुरादाबाद नगर पालिका ने भारत के इतिहास में पहली बार गो हत्या पर प्रतिबंध लगाया।

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के साथ दाऊ दयाल खन्ना (सबसे कौन है में)

उन्होने मुरादाबाद में बूथ लीग (भारत-नौजवान सभा) की स्थापना भी की। इसके अलावा, छदम्मी लाल शर्मा, पंडित ब्रज नंदन शर्मा, ब्रज नारायण मेहरा, कौशल्या नंदन वकील आदि के सहयोग से उन्होंने हिन्दुस्तान रिपब्लिकन आर्मी की स्थापना की। इतना ही नहीं, आजादी के बाद वर्ष 1962 में मुरादाबाद के कंपनी बाग में गांधी मूर्ति लगवाकर दाऊ दयाल खन्ना ने इसका नाम गांधी पार्क कराया था।

दाऊ दयाल खन्ना के पोत्र अंबुज और आयुष्य

कांग्रेस के सक्रिय सदस्य के रूप में 1974 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा और विधान परिषद के निर्वाचित सदस्य रहे। 1962-1967 तक उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री रहे। 25 वर्ष अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सदस्य रहे।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने के साथ-साथ दाऊ दयाल खन्ना एक ऐसे सनातनी हिंदू रहे जो कांग्रेसी थे भगवान श्री राम के जन्म स्थल को मुक्त कराने के लिए सबसे पहले आवाज उठाई जो एक जन आंदोलन बनी और आज अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर बनकर तैयार हो गया है यही कोटी है दाऊ दयाल खन्ना के बेटे ओमकार नाथ खन्ना की जो मुरादाबाद समेत कई जिलों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी रहे। यहीं पर रहते हैं उनके पुत्र अंबुज और आयुष्य।

दाऊदयाल खन्ना ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने कांग्रेस में रहते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए पत्र भी लिखा था। वर्ष 1983 में उन्होंने इस मुद्दे को उठाया था। साथ ही, काशीपुर और मुजफ्फरनगर में हुई जनसभा में उन्होंने रामजन्मभूमि की मुक्ति को आवाज बुलंद की थी। इस सभा में पूर्व गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक रहे रज्जू भैया उपस्थित थे।

इसके बाद दिल्ली में धर्म संसद हुई थी। फिर धीरे- धीरे यह अभियान मंदिर आंदोलन के रूप में देशभर में व्याप्त हो गया। दाऊ दयाल खन्ना स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे। कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने सांगठनिक बंदिशों को दरकिनार कर रामजन्मभूमि का मुद्दा उठाया और मंदिर आंदोलन के सूत्रधारों में सम्मिलित हो गए।

धर्म संसद में कुछ इस तरह श्री राम जन्मभूमि के लिए आवाज बुला की थी स्वर्गीय दाऊ दयाल खन्ना ने

मुरादाबाद के जीलाल स्ट्रीट निवासी वरिष्ठ साहित्यकार डा. मनोज रस्तोगी ने बताया कि अंग्रेजों भारत छोड़ो के आह्वान पर बौखलाई ब्रिटिश सरकार द्वारा 1942 में 9 अगस्त को देश भर में आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया जा रहा था। मुरादाबाद जिला भी इससे अछूता नहीं रहा। मुरादाबाद में आजादी के सिपाहियों का मुख्य केंद्र मंडी चैक और अमरोहा गेट था। अमरोहा गेट पर बृजरतन हिंदू पब्लिक लाइब्रेरी में आंदोलनकारियों की गुप्त बैठकें होती थी। यहीं पर भूरे खां की गली में जुगलकिशोर शर्मा का होटल था। यहां भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एकत्र होते थे। अताई स्ट्रीट स्थित श्री दाऊजी के मंदिर में कांग्रेस का कार्यालय था। इसी मुहल्ले में दाऊदयाल खन्ना रहते थे। यहीं से वह आजादी के आंदोलनों का संचालन करते थे। भारत छोड़ो आंदोलनकारियों की गिरफ्तारियों का आदेश मिलते ही पुलिस ने सबसे पहले उनके घर पर छापा मारकर रात्रि में उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।

अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया की जुबानी दाऊ दयाल खन्ना की कहानी

एक बार अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद के संस्थापक डा. प्रवीण भाई तोगड़िया ने कहा था जो जाति अपने पुरखों का अपमान भूल जाती है वह मिट जाति है। जो याद रखती है, वह इतिहास रचती है। ऐसा ही मुरादाबाद के दाऊ दयाल खन्ना ने किया। उन्होंने 450 साल पहले बाबर द्वारा तोड़े गए राम मंदिर को याद रखा। उन्होंने अकेले ही राम मंदिर के लिए मुरादाबाद से आवाज बुलंद की। प्रदेश और देशभर में दौरा किया। उसी की परिणति है कि आज राम मंदिर बन रहा है। इसकी नींव का पहला पत्थर मुरादाबाद की देन है। इसलिए जिस दिन राम मंदिर का शुभारंभ हो उस दिन यहां भी दाऊ दयाल खन्ना के नाम की पताका फहरानी चाहिए। डा. तोगड़िया ने राम मंदिर के आंदोलन के अगुआओं को भारत रत्न और कार सेवा में वीर गति प्राप्त करने वालों को पद्मश्री देने की मांग की। उन्होंने तीन दो नहीं तो तीस हजार…का नारा देते हुए कहा काशी-मथुरा भी लेकर रहेंगे।

अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद की सभा को संबोधित करते अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया।

डा. तोगड़िया परिषद द्वारा पंचायत भवन में आयोजित चैतन्य जन बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने मुरादाबाद की जनता की भावनाओं को राम मंदिर से जोड़ते हुए कहा इसकी पहली पताका मुरादाबाद में दाऊ दयाल खन्ना ने फहराई थी। अगर वह ऐसा न करते तो आज अशोक सिंघल, प्रवीण भाई तोगड़िया, महंत अवैध नाथ, राम परम हंस, आचार्य राजकिशोर भी न होते। इन सभी को भारत सरकार को भारत रत्न और कार सेवा में वीर गति को प्राप्त होने वालों को पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित करना चाहिए।

हमारा पहला सपना भगवान राम को झोपड़ी से निकाल कर महल तक पहुंचाना था

उन्होंने बताया 1989 में हमने नारा दिया मंदिर वहीं बनाएंगे। इसके लिए प्रत्येक हिंदू परिवार से सवा रुपये की मांग की। एक करोड़ लोगों ने सवा रुपया दिया। इससे 8 करोड़ 40 लाख रुपये एकत्र हुए। तब ट्रस्ट बनाकर बैंक में खाता खोलकर एक रकम उसमें जमा की गई। आज मंदिर निर्माण की नीव में यही रुपया काम आया। उन्होंने कहा हमारा पहला सपना भगवान राम को झोपड़ी से निकाल कर महल तक पहुंचाना था। वह पूरा हुआ।

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