एल्युमनाई शिक्षा, ज्ञान और विकास की त्रिवेणीः डॉ. सारा

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ख़ास बातें
डॉ. सारा बोलीं, सहानुभूति से ही पेशेंट की संतुष्टि संभव
जीवीसी और वीसी को सारा ने साझा की मन की बात
एल्युमनाई भविष्य की आशाओं का अभिन्न अंगः प्रो. रस्तौगी
डॉ. सारा के अनुभव मील का पत्थर साबित होंगेः प्रो. कौल

लव इंडिया, मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी की एल्युमनाई, 2011-2015 बैच की फिजियोथैरेपिस्ट एवम् स्वर्ण पदक विजेता डॉ. सारा अंसारी ने कहा, टीएमयू की परंपरा के अनुसार पुरातन छात्र सदा ही वर्तमान छात्रों के साथ एक पारंपारिक बंधन में रहते हैं। समय-समय पर वे शिक्षा, ज्ञान और विकास के क्षेत्र में त्रिवेणी की मानिंद हैं। डॉ. अंसारी तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के एल्युमनाई रिलेशन्स सेल- एआरसी की ओर से बीपीटी के एलटी में आयोजित एल्युमनाई मेंटरशिप प्रोग्रामः स्वास्थ्य सेवा में सहानुभूति पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थीं।

जीवीसी और वीसी को सारा ने साझा की मन की बात

यूनिवर्सिटी के जीवीसी श्री मनीष जैन और कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह से हुई अविस्मरणीय मुलाकात में डॉ. सारा ने मन की बात कही, वह मुंबई और दिल्ली के नामचीन अस्पतालों में कार्य करके अब एक एंटरप्रिन्योर बनकर अपनी जन्मस्थली भदोही में चिकित्सक के रूप में समाज सेवा करना चाहती हैं, जिसकी जीवीसी और कुलपति ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की। इससे पूर्व ज्वाइंट रजिस्ट्रार, एआरसी प्रो. निखिल रस्तोगी और बीपीटी विभाग की प्रिसिंपल प्रो. शिवानी एम. कौल ने मुख्य अतिथि को बुके देकर एवं मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

समय की कमी सहानुभूति के विकास में नकारात्मकता

डॉ. अंसारी ने एंपैथी इन हेल्थ केयर पर बोलते हुए कहा, सहानुभूति अन्य लोगों की भावनाओं को समझने और साझा करने की क्षमता है। पेशेंट से भावनात्मक रूप से जुड़कर ही पेशेंट की संतुष्टि संभव है। उन्होंने कहा, सहानुभूति एक स्वास्थ्य पेशेवर के लिए महत्वपूर्ण संचार कौशल का गठन करती है, जिसमें तीनों आयाम- भावनात्मक, संज्ञानात्मक और व्यावहारिकता शामिल हैं।

डॉ. सारा बोलीं, सहानुभूति से ही पेशेंट की संतुष्टि संभव

डॉ. सारा ने बताया, रोगियों की बढ़ती संख्या और समय की कमी सहानुभूति के विकास में नकारात्मकता लाती है। सहानुभूति कौशल विकसित करना पेशेवरों की शिक्षा का भी विषय होना चाहिए। डॉ. अंसारी ने सहानुभूति को मापने के लिए जेफरसन स्केल ऑफ एंपैथी का भी उल्लेख किया। उन्होंने पेशेंट्स की विभिन्न दुश्वारियों पर डॉक्टर को किस तरह से समाधान करना चाहिए, इसके बारे में भी विस्तार से प्रकाश ड़ाला।

कार्यक्रम का उद्देश्य पूर्व छात्रों को उनके मातृ संस्थान से जोड़ना

यूनिवर्सिटी के ज्वाइंट रजिस्ट्रार, एआरसी- प्रो. निखिल रस्तोगी ने कहा, एल्युमनाई हमारे बेशकीमती राजदूत हैं। कड़वा सच यह है, हम उनके साथ निरंतर जुड़ाव के लिए हमेशा बेसब्री से इंतजार करते हैं। एल्युमनाई टीएमयू परिवार की वर्तमान उपलब्धियों और भविष्य की आशाओं का अभिन्न अंग हैं। प्रो. रस्तोगी ने अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के उद्धरण को भी दोहराया। प्रो. निखिल ने कहा, एल्युमनाई मेंटरशिप कार्यक्रम का उद्देश्य पूर्व छात्रों को उनके मातृ संस्थान से जोड़ना और विश्वविद्यालय में हुए विकास से रूबरू कराना है।

स्टुडेंट्स का उत्साहवर्धन और ज्ञानवर्धन होता है

अंत में डिपार्टमेंट ऑफ फिजियोथैरेपी की प्राचार्या शिवानी एम. कौल ने उम्मीद जताई, डॉ. सारा के अनुभव स्टुडेंट्स के लिए मील का पत्थर साबित होंगे। प्रो. कौल ने कहा, ऐसे कार्यक्रम यूनिवर्सिटी में होते रहने चाहिए, क्योंकि इनसे स्टुडेंट्स का उत्साहवर्धन और ज्ञानवर्धन होता है। स्टुडेंट्स अक्शा ताहिर, अंशिका मित्तल, अरु जैन, रमलाह नाज, अनुष्का गौतम और सैयद इवाद उर रहमान ने डॉ.सारा से सवाल भी पूछे, जिनका डॉ. सारा अंसारी ने बड़े ही तर्कसंगत तरीके से जवाब दिए। कार्यक्रम में डॉ.फरहान खान, डॉ. कोमल नागर, डॉ. समर्पिता सेनापति, डॉ. साजिया मिट्ठू आदि फैकल्टी की गरिमामयी मौजूदगी रही।

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