डीटीएबी ने की बिक्री पर रोक लगाने की सिफारिश: डॉक्टर की पर्ची बिना नहीं मिलेंगी निकोटिन की गोलियां

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नई दिल्ली। बाजार में खुलेआम बिक रहीं निकोटिन गम्स अब डॉक्टर की पर्ची के बिना नहीं मिल सकेगीं। लोगों में इसके दुरुपयोग होने की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार के औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड ने तत्काल नियमों में संशोधन कर इसकी खुली बिक्री पर रोक लगाने की सिफारिश की है।

बोर्ड का यह फैसला करीब एक साल में चार बैठक के बाद सामने आया है जिसमें नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की रिपोर्ट का हवाला दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि निकोटिन गम या गोलियां असरदार हैं लेकिन ओवर द काउंटर इनके उपलब्ध रहने से धूम्रपान करने वालों या नकरने वालों में दुरुपयोग भी काफी बढ़ सकता है। दरअसल तंबाकू में निकोटिन एक नशीला पदार्थ है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का एक वर्ग तंबाकू की लत छुड़ाने में इसे बेहतर विकल्प मान रहा है और भारत में तंबाकू का सेवन करने वालों की संख्या भी करोड़ों में है जबकि एक वर्ग इसकी खुलेआम बिक्री के खिलाफ है।

वैज्ञानिक तथ्यों पर किया फैसला

अंतिम निर्णय लेने से पहले पिछले साल 10 मई को बोर्ड ने आईसीएमआर से वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर प्रतिक्रिया देने के लिए कहा, जिसके बाद 11 अगस्त को अलग अलग चिकित्सा अध्ययनों की समीक्षा और उनके हवाले से आईसीएमआर ने रिपोर्ट तैयार की।

टीका, दवाओं के पत्ते पर होगा क्यूआर कोड

निकोटिन के अलावा औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड ने दवाओं के पत्तों पर क्यूआर कोड को लेकर भी सिफारिश सौंपी है। बोर्ड ने कहा है कि सभी टीका उत्पादों पर क्यूआर कोड होना अनिवार्य है। इन पर एक खास तरह का यूनिक कोड होना चाहिए जिसके आधार पर टीके के बारे में जानकारी हासिल की जा सके। मौजूदा समय में देश के दवा बाजार में करीब 300 ब्रांडों पर क्यूआर कोड लगाया जा रहा है जिसकी राज्यों से जांच कराने के लिए कहा है।

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