अब दिल्ली जाने की जरूरत नहीं, कैंसर के इलाज के लिए श्री साई हॉस्पिटल में विशेष ऑन्कोलॉजी ओपीडी सेवाएं शुरू

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लव इंडिया,मुरादाबाद। कैंसर से पीड़ित मरीजों का दशकों से बेहतरीन इलाज कर रहे मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल, पटपड़गंज नई दिल्ली ने मुरादाबाद स्थित श्री साई हॉस्पिटल में कैंसर के इलाज के लिए विशेष ऑन्कोलॉजी ओपीडी सेवाएं शुरू की है। ओपीडी सेवाएं शुरू करने के मौके पर मैक्स हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने कैंसर के बढ़ते मामलों और उपलब्ध आधुनिक उपचार पद्धतियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कैंसर के इलाज में उन सभी न्यूनतम शल्यक्रियाओं पर भी जोर दिया जिनसे कैंसर के क्षेत्र में आधुनिक सफलताओं की राह खुली है।

यह ओपीडी 25 फरवरी 2022 से हर महीने के पहले शुक्रवार को सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक खुलेगी। यहां विभिन्न प्रकार के कैंसर और इसके इलाज के लिए रोबोटिक सर्जरी जैसी आधुनिक उपचार पद्धतियों तथा न्यूनतम शल्यक्रिया के लिए विशेषज्ञों की सलाह दी जाएगी। इस तरह के कैंसर की शुरुआती पहचान होने पर आधुनिक उपचार पद्धतियों से अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं, लेकिन इसके लिए यह जानना जरूरी है कि जागरूकता की इसमें बड़ी भूमिका होती है। इस ओपीडी के खुलने से मुरादाबाद के लोगों को विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता के कारण दूसरे शहर गए बिना विशेषज्ञों की प्राथमिक सलाह मिल जाएगी।

मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल, पटपड़गंज नई दिल्ली में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के निदेशक डॉ. सत्यम तनेजा ने कहा, ‘नई एडवांस्ड रोबोटिक सर्जरी से कैंसर के इलाज का अभिनव तरीका मिला है। तीन—आयामी व्यू, रोबोट की मदद से सर्जन अंदरूनी और संकीर्ण क्षेत्रों में भी ऑपरेशन कर सकते हैं, जो लेपरोस्कोपिक सर्जरी के लिए मुश्किल हो सकता है। इससे टांका लगाने में भी आसानी होती है। मरीजों का रक्तस्राव कम होता है और दर्द भी कम होता है जिस कारण बेहोश करने की दवा कम देनी पड़ती है। यह अत्यंत सुरक्षित सर्जिकल प्रक्रिया है। इसे लगभग 2010 से क्लिनिकल प्रैक्टिस के लिए शुरू किया गया था और कई अध्ययनों में यह सुरक्षित साबित हुआ है।

‘देश में कैंसर के बढ़ते मामलों से साबित होता है कि लोगों में इस बीमारी के बारे में जागरूकता स्तर बहुत कम है और शुरुआती पहचान नहीं कराने के कारण मरीज का जीवनस्तर खराब हो जाता है। मैक्स हॉस्पिटल पटपड़गंज, नई दिल्ली द्वारा यह विशेष ओपीडी सेवाएं शुरू करने से मुरादाबाद के लोग न सिर्फ बेहतरीन सेवाएं हासिल कर सकेंगे बल्कि इस बीमारी के प्रति उनमें जागरूकता भी बढ़ेगी और इससे वे बेहतर और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।

डॉ. तनेजा ने कहा, ‘रोबोटिक सर्जरी से पहले लेपरोस्कोपिक सर्जरी को न्यूनतम शल्यक्रिया के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। रोबोटिक सर्जरी के जरिये सर्जन सर्जिकल और अन्य उपकरणों के साथ ही कैमरे पर भी नियंत्रण कर सकते हैं जिससे लेपरोस्कोपी की तुलना में पूरी प्रक्रिया पर नियंत्रण का स्तर बेहतर रहता है। अब ज्यादातर सर्जन इसी टेक्नोलॉजी को अपनाने लगे हैं जिससे मरीजों के लिए इसकी उपलब्धता बढ़ाने में मदद मिलेगी।’

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