24 साल बाद रिकॉर्ड स्तर पर महंगाई:1998 के बाद पहली बार थोक महंगाई 15% से ऊपर निकली; पेट्रोल-डीजल ने कीमतों में लगाई आग

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24 साल बाद रिकॉर्ड स्तर पर महंगाई:1998 के बाद पहली बार थोक महंगाई 15% से ऊपर निकली; पेट्रोल-डीजल ने कीमतों में लगाई आग
बढ़ती महंगाई ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। खाने-पीने के सामान, ईंधन और बिजली के दाम में इजाफा होने से थोक महंगाई लगातार 13वें महीने डबल डिजिट में बनी हुई है। थोक मूल्य सूचकांक आधारित (WPI) महंगाई दर अप्रैल में 15.08% पर पहुंच गई। दिसंबर 1998 के बाद पहली बार थोक महंगाई दर 15% के पार पहुंची है। दिसंबर 1998 में ये 15.32% पर थी।
इससे पहले ये मार्च 2022 में ये 14.55% पर, जबकि फरवरी में 13.11% पर थी। अप्रैल 2021 से थोक महंगाई डबल डिजिट में बनी हुई है। एक्सपर्ट्स के अनुसार खाने-पीने की चीजों और ईंधन के दाम बढ़ने से महंगाई बढ़ रही है।
ईधन और ऊर्जा ने बढ़ाई महंगाई
अप्रैल महीने में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 8.35% रही है, जो मार्च 2022 में ये 8.06% पर थी। क्रूड पेट्रोलियम और नेचुरल गैस के लिए अप्रैल में इंफ्लेशन 69.07% रहा। वहीं फ्यूल और पावर की महंगाई दर बढ़कर 38.66% पर जा पहुंची है, जो मार्च 2022 में 34.52% रही थी। मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की महंगाई दर अप्रैल में 10.85% रही है, जो मार्च 2022 में 10.71% रही थी।
सब्जियों, गेहूं, फल और आलू की कीमतें अप्रैल में सालाना आधार पर तेजी से बढ़ी जिसके चलते खाने के सामान की महंगाई 8.35% रही। तेल और बिजली की बात करें तो इसमें 38.66% की महंगाई जबकि मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर 10.85 और तिलहनों की 16.10% रही।
8 साल के पीक पर रिटेल महंगाई
इससे पहले खाने-पीने के सामान से लेकर तेल के दाम बढ़ने से रिटेल महंगाई 8 साल के पीक पर पहुंच गई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित रिटेल महंगाई दर अप्रैल में बढ़कर 7.79% हो गई। मई 2014 में महंगाई 8.32% थी।
महंगाई कैसे मापी जाती है?
भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल, यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं। वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है। ये कीमतें थोक में किए गए सौदों से जुड़ी होती हैं।
दोनों तरह की महंगाई को मापने के लिए अलग-अलग आइटम को शामिल किया जाता है। जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 20.02% और फ्यूल एंड पावर 14.23% होती है। वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07%, कपड़े की 6.53% और फ्यूल सहित अन्य आइटम की भी भागीदारी होती है।

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