ज्ञानवापी प्रकरण: केस वापस लेने की घोषणा पर वैदिक सनातन संघ में फूट

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वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर सर्वे मामले में नया मोड़ आ गया है। सर्वे के लिए नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त की कमीशन की कार्रवाई के दौरान वादी पक्ष की महिलाओं में दरार पड़ती दिख रही है।प्रतिवादी पक्ष के विरोध के कारण सर्वे की कार्रवाई रुकने के अगले दिन रविवार को वादी पक्ष को सहयोग कर रहे विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने याचिका वापस लेने का दावा कर किया। जितेंद्र सिंह के मुताबिक सोमवार को याचिका वापस ली जाएगी।

वादी राखी सिंह का रिश्तेदार होने के कारण जितेंद्र सिंह बिसेन के इस बयान को गंभीरता से लिया जा रहा है। इसके बाद वाद से जुड़ी चार अन्य महिलाएं मंजू व्यास, सीता साहू, लक्ष्मी देवी और रेखा देवी ने ऐसे किसी फैसले से इनकार किया और कहा कि हमारी तरफ से मरते दम तक यह केस लड़ा जाएगा।
एक वादी के मुकरने से केस वापस नहीं होगा
हालांकि, खुद राखी सिंह की तरफ से इस संबंध में कोई बयान नहीं आया है। जितेंद्र सिंह बिसेन के बयान के बाद गुर्जर छात्र समिति कर्णघंटा में मंजू व्यास, सीता साहू, लक्ष्मी देवी और रेखा देवी संयुक्त रुप से मीडिया के सामने आईं और केस वापस लेने के संबंध में किसी भी निर्णय से इनकार किया।

महिलाओं का नेतृत्व कर रहीं मंजू व्यास ने कहा है कि किसी भी हाल में मुकदमा वापस नहीं होगा। हम मरते दम तक मुकदमा वापस नहीं लेंगे। एक वादी के मुकरने से केस वापस नहीं होगा। दरअसल, ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन वादी पक्ष की ओर से मौजूद नहीं थे।

इसे वादी पक्ष में फूट के रूप में देखा जा रहा है। केस की अगुवाई करने वाली संस्था विश्व वैदिक सनातन संघ ने शनिवार को अपने लेटर हेड पर जानकारी साझा करते हुए अपनी विधि सलाहकार समिति को भंग कर दिया था।

बीते साल महिलाओं ने दाखिल की थी याचिका
दरअसल 18 अगस्त 2021 को पांच महिलाएं शृंगार गौरी में नियमित दर्शन पूजन की मांग को लेकर कोर्ट पहुंची थीं। महिला वादियों ने कहा था कि शृंगार गौरी मंदिर में पहले की परंपरा के अनुसार साल में दो बार पूजा होती थी। लेकिन हमारी मांग है कि देवी विग्रहों का नियमित दर्शन पूजन करने की अनुमति दी जाए।

इसमें किसी प्रकार की बाधा न डाली जाए। कोर्ट ने इस अपील पर सिविल जज ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे और वीडियोग्राफी का आदेश दिए और 10 मई को रिपोर्ट मांगी है। इसके पहले मुस्लिम पक्ष के विरोध के कारण सर्वे पूरा नहीं हो सका है। इस मामले में सोमवार को सुनवाई होनी है।
एक व्यक्ति के केस वापस लेने से मुकदमा वापस नहीं होता
मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता एखलाक अहमद ने कहा कि यदि किसी केस में पांच वादी हैं और कोई एक वादी अपना केस वापस लेता है और बाकी के चार वापस नहीं लेते हैं। तब भी केस जारी रहता है। जब तक सभी वादी अपना केस वापस न लें लें तब तक केस स्टैंड करता है। इसमें तकनीकी पहलुओं को अदालत देखता है।

वहीं वादी के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि एक व्यक्ति के केस वापस लेने से मुकदमा वापस नहीं होता है। कई बार एक मुकदमे में पांच वादी हैं तो एक वादी की मौत पर केस वापस नहीं होता है। इसी प्रकार एक व्यक्ति यदि किन्हीं कारणों से केस वापस लें तब भी मुकदमा स्टैंड करता हैं। जब तक सभी वादी केस वापस नहीं लेते हैं तब तक केस चलता रहता है।

कोर्ट के आदेश पर छह मई को कोर्ट कमिश्नर ने सभी पक्षों के साथ गहमागहमी के बीच सर्वे किया। पहले दिन काफी ज्यादा हंगामा और नारेबाजी हुई। दूसरे दिन सात मई को मस्जिद के अंदर मुस्लिमों के प्रवेश नहीं देने पर कोर्ट कमिश्नर ने कार्यवाही को रोककर सर्वे नौ मई के लिए टाल दिया। उधर, सात मई को विपक्षी अधिवक्ता ने कोर्ट कमिश्नर के सर्वे की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए अदालत में उनको बदलने की मांग की। अदालत ने वादी को अपना पक्ष रखने के लिए नौ मई तक सुनवाई टाल दी।

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