क्या आप जानते हैं भगवान् को अपने भक्तों में प्रियातिप्रिय सर्वप्रिय हनुमान जी हैं !

India तीज-त्यौहार

भक्तियोग के प्रणेता ,भक्ति के आचार्य , नवधा भक्ति के प्रतिपादनकर्ता , रुद्रावतार , मारुतिनंदन , भक्ति एवं शक्ति के प्रतीक , भक्त शिरोमणि महावीर हनुमान जी के प्रकाट्य दिवस पर सभी देशवासियों को हार्दिक बधाईयाँ !

भक्ति शिरोमणि हनुमान जी दास्य भाव के उच्चकोटि के अग्रदूत , राजदूत , नीतिज्ञ , चारों वेदों के पंडित , शास्त्रज्ञ , विद्वान् , सच्चे अर्थों में एक ब्राह्मण, रक्षक , अष्ट सिद्धियों एवं नौ निधियों के स्वामी , श्रेष्ठ वक्ता , गायक , नर्तक , बलवान और सर्वोत्कृष्ट बुद्धिमान हैं !
शास्त्रीय संगीत के तीन आचार्यों में से एक हनुमान जी भी हैं , अन्य दो में थे शार्दूल और कहाल ! ” संगीत पारिजात ” हनुमान जी के संगीत सिद्धांत पर आधारित है !
भगवान् को अपने भक्तों में प्रियातिप्रिय सर्वप्रिय हनुमान जी हैं !

” हनुमान सम नहिं बड़भागी !
नहिं कोउ रामचरन अनुरागी !!
गिरिजा जासु प्रीति सेवकाई !
बार बार प्रभु निज मुख गाई !! “

हनुमान जी की भक्ति या सेवा करने वाले को हनुमान जी स्वयमेव अपने आराध्य भगवान् श्री राम सीता की भक्ति सहज प्रदान कर देते हैं !

इसीलिए कागभुशुंडी जी कहते हैं :

मोरे मन प्रभु अस बिस्वासा !
राम ते अधिक राम कर दासा !!

मुझे भगवान् से ज्यादा विश्वास भगवान् के भक्त पर है ! क्योंकि स्वयं भगवान् ने कहा है : “अहम् भक्त पराधीनं ! मैं भक्तों के अधीन रहता हूँ !

और क्योंकि भगवान् का भक्त ही मुझे भगवान् से मिलवा सकता है !

हनुमन मतवे हरिम मतवो !
हरिम मतवे हनुमन मतवो !!
हनुमनु ओलिदरे हरि ताजो लिवनु !
ह्नुमनु मुनिदरै हरि मुनिव !!

श्री हनुमान का मत ही श्री हरि का मत है ! श्री हरि का मत ही श्री हनुमान का मत है ! श्री हनुमान प्रसन्न होंगे तो श्री हरि अवश्य प्रसन्न होंगे ! यदि श्री हनुमान अप्रसन्न हुए तो श्री हरि भी अवश्य अप्रसन्न होंगे !

इसीलिए भक्त ( भगवद प्राप्त महापुरुष) और भगवान् में कभी भेद नहीं होता !
भक्ति के साक्षात अवतार के रूप में हनुमान जी ने भगवान् के हर कार्य को सेवा भाव से करते हुए उनके लीला काल में अपनी महत्वपूर्ण सेवा देकर उनके कार्यों को प्रतिपादित किया और भक्तों को नव नव रस प्रदान किया !

असुर निकंदन हनुमान जी के प्राकट्य दिवस पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं ! जिस प्रकार हनुमान जी ने रावण के दर्प , मद अहंकार रुपी लंका को जलाकर भस्म किया था , ठीक उसी प्रकार हम सभी के सभी अशुभ कर्मों की लंका जलाकर हनुमान जी हम सभी को नित्य नवीन रस और आनंद प्रदान करें !

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *