बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने पर जमात-ए-इस्लामी हिन्द ने कहा-नफरत के बूते अपनी राजनीति को आगे बढ़ाना चाहती है

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जमात-ए-इस्लामी हिन्द ने बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने पर प्रतिक्रिया दी है. जमात के राष्ट्रीय सचिव मलिक मोहतसिम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार से ऐसे ही लोगों को अवॉर्ड देने की उम्मीद की जा सकती है जिन्होंने बाबरी मस्जिद को तोड़ा. उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार नफरत के बूते अपनी राजनीति को आगे बढ़ाना चाहती है.

आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने पर मलिक मोहतसिम ने कहा, ‘मौजूदा सरकार नफरत की सियासत कर रही है. मौजूदा सरकार ऐसे लोगों को इनाम देगी जो अमन और शांति नहीं चाहते हैं. मौजूदा सरकार ऐसे लोगों को अवॉर्ड देने की उम्मीद है कि वो बाबरी मस्जिद को तोड़ने वोलों को इनाम दे रही है. हुकूमत के जो अपने मकसद हैं उसके हिसाब से इनाम दे रही है. ये देश के लोगों को सोचना चाहिए कि क्या ये हुकूमत कानून के मुताबिक काम कर रही है? इस सरकार से सवाल पूछने को कोई औचित्य नहीं है क्योंकि वो तो नफरत की ही बुनियाद पर अपना कारोबार चलाना चाहती है. हम देश की जनता से कहेंगे कि देश में जो माहौल बन रहा है उसे बदलना चाहिए. आवाम की ताकत से हुकूमत को बदलना चाहिए.’

बता दें कि शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को घोषणा की कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि आडवाणी (96) को यह सम्मान दिया जाएगा.मोदी ने सबसे लंबे समय तक भाजपा के अध्यक्ष रहे आडवाणी से बात की और उन्हें बधाई दी. आडवाणी को उस समय 90 के दशक में भाजपा के उदय का श्रेय दिया जाता है जब वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकारों की प्रमुख पार्टी के रूप में पहली बार सत्ता में आई थी.

ज्ञानवापी से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए मोहतसिम ने कहा, ‘500-600 साल से यह मस्जिद वहां है और आज भी नमाज़ों का सिलसिला है. पड़ोस में वहां मंदिर होने पर मुस्लिम भाइयों को कोई शिकायत नहीं है और पड़ोस में मस्जिद होने पर हिन्दू भाइयों को भी कोई शिकायत नहीं है. हाई कोर्ट, जिला कोर्ट जो मज़लूम है वह पहुंचे उसका इंसाफ करे. ASI की रिपोर्ट पर कोर्ट में बहस नहीं हुई है. यह रिपोर्ट सही भी हो सकती है गलत भी हो सकती है.

उन्होंने आगे कहा, ‘इंतजामिया कमेटी हाई कोर्ट में जाना चाहती थी लेकिन सुबह होते ही वह प्रशासन ने फैसला इम्पलीमेंट कर दिया गया. जामा मस्जिद बनारस के मामले में जो कोर्ट का रवैया है वह सही नहीं है. महरौली में एक मस्जिद थी वह ज़मीदोज़ कर दी गई, सुनहरी मस्जिद को हटाने का मामला सामने आया.यह बात हमें परेशान कर रही है. आज काशी की बात हो रही है और कल मथुरा का आएगा…’

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