TMU : गरीब राम स्वरूप कश्यप संग ‘मुफ्त आयुष्मान कार्ड’ ने भी दम तोड़ा

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उमेश लव, लव इंडिया, मुरादाबाद । कहते हैं देर से मिला न्याय, न्याय नहीं, इसी तरह देर से मिला इलाज नहीं होता और ऐसा ही हुआ है आयुष्मान कार्ड धारक रामस्वरूप कश्यप के साथ। जिन्हें इलाज तब मिला जब बहुत देर हो चुकी थी और यही कारण है कि रामस्वरूप की जान चली गई और उनके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारत आयुष्मान कार्ड का पांच लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज का आयुष्मान कार्ड मात्र रद्दी का एक टुकड़ा साबित हुआ, क्योंकि महानगर के सुप्रसिद्ध हॉस्पिटल टीएमयू ने रामस्वरूप को आयुष्मान कार्ड पर इलाज देने से दो टूक मना कर दिया था।

पहले तो आयुष्मान कार्ड धारक रामस्वरूप कश्यप को टीएमयू हॉस्पिटल ने यह कहकर टरका दिया की शुरुआत का इलाज प्राइवेट तरीके से खुद अपने पैसे से कराना होगा और इसके लिए 20 से 25 हजार रुपए रोजाना खर्च करने होंगे। रामस्वरूप के परिजनों पर रुपए नहीं थे तो वह रामस्वरूप को घर ले आए। लव इंडिया नेशनल ने इस पूरे प्रकरण को शासन-प्रशासन के साथ-साथ भाजपाइयों के समक्ष भी उठाया लेकिन किसी को भी रामस्वरूप कश्यप की शुद्ध नहीं आई।

सोमवार को चौधरी चरण सिंह चौक से पहले अपेक्स हॉस्पिटल में डॉक्टर को दिखाया तो यहां के डॉक्टर ने आयुष्मान कार्ड से इलाज करने का आश्वासन देते हुए भर्ती से पहले जांच करने को कहा और यह जांच टीएमयू हॉस्पिटल में होनी थी। ऐसे में रामस्वरूप को परिजन फिर से मंगलवार को अस्पताल ले गए तो टीएमयू के डॉक्टरों ने रामस्वरूप को भर्ती कर लिया, लेकिन तब तक हालत बिगड़ चुकी थी बावजूद इसके टीएमयू के डॉक्टर ने गुरुवार को ऑपरेशन करने की बात कही लेकिन हालत गंभीर होने के कारण ऑपरेशन नहीं हुआ। इसके अगले दिन रामस्वरूप ने सुबह 10:02 बजे टीएमयू में ही आखिरी सांस ली और हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया।

फिलहाल बेहद गरीब रामस्वरूप कश्यप का परिजनों ने अंतिम संस्कार कर दिया लेकिन वह बेहद दुखी है और कहते हैं की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आयुष्मान कार्ड सिर्फ एक रद्दी का टुकड़ा है तभी तो टीएमयू के डॉक्टरों ने भर्ती नहीं किया।

फिलहाल आयुष्मान कार्ड धारक रामस्वरूप कश्यप की मौत ने शासन प्रशासन की नीतियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है क्योंकि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की आयुष्मान कार्ड से 5 लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त यह जाने का प्रावधान है लेकिन टीएमयू के डॉक्टरों ने रामस्वरूप कश्यप को आयुष्मान कार्ड से पहले इलाज नहीं दिया फिर फजीहत हुई तो जांच कराने पहुंचे रामस्वरूप कश्यप को भर्ती कर लिया लेकिन सच यही है तब तक बहुत देर हो चुकी। इतना ही नहीं, आयुष्मान कार्ड धारक रामस्वरूप कश्यप की मौत ने टीएमयू हॉस्पिटल की करनी और कथनी की भी पोल खोल दी है। साथ ही, आयुष्मान कार्ड से पांच लाख रुपए तक मुक्त इलाज का ढिंढोरा पीटने वाले भाजपा नेताओं की चुप्पी भी सवाल खड़े कर रही है।

अपेक्स हॉस्पिटल के डॉक्टर ने भेजा जांच को तब आई शर्म टीएमयू के डॉक्टर को

मुरादाबाद। आयुष्मान कार्ड बना रद्दी कागज:मेरठ मेडिकल कॉलेज और टीएमयू ने किया इलाज से इनकार, मौत के मुहाने पर पहुंचा रामस्वरूप कश्यप और आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं…पर भाजपा नेता और नौकरशाहों ने आंखें मूंदी… शीर्षक से लव इंडिया नेशनल ने लगातार आयुष्मान कार्ड धारक गरीब रामस्वरूप कश्यप के इलाज ना होने और हालात गंभीर से गंभीर होने के साथ ही आयुष्मान कार्ड से मुफ्त इलाज का ढिंढोरा पीटने वाले भाजपा नेताओं की भी आंख खोलने की कोशिश की। लेकिन साहब सत्ता के नशे में चूर भाजपाइयों ने रामस्वरूप की सुध नहीं ली।

ऐसे में बेहद कमजोर आर्थिक स्थिति से गुजर रहे रामस्वरूप कश्यप के परिजनों ने फिर भी आस नहीं छोड़ी और सोमवार को चौधरी चरण सिंह चौक से पहले स्थित अपेक्स हॉस्पिटल में दिखाया। यहां डॉक्टर ने भर्ती करने का आश्वासन दिया लेकिन पहले एक जांच कराने को कहा और यह जांच टीएमयू हॉस्पिटल में ही होती है। इस पर परिजन रामस्वरूप कश्यप को लेकर टीएमयू हॉस्पिटल गए तो टीएमयू डॉक्टर ने साख बचाने के लिए रामस्वरूप कश्यप को भर्ती कर लिया और अपने स्तर पर कई जांचें कराईं। इन जांच रिपोर्ट देखने के बाद बुधवार की शाम को डॉक्टर ने बताया कि रामस्वरूप कश्यप की हालत बेहद गंभीर है, ऑपरेशन होगा और इस पर आप चर्चा कर लीजिए कि ऑपरेशन कराना है या नहीं टीएमयू डॉक्टरों ने गुरुवार को ऑपरेशन की तिथि निर्धारित की है….

आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं…पर भाजपा नेता और नौकरशाहों ने आंखें मूंदी

मुरादाबाद। गरीब रामस्वरूप कश्यप इलाज के अभाव में मर जाए लेकिन बड़े-बड़े दावे करने वाले भाजपा नेताओं के साथ नौकरशाह भी आंखें मूंदे हैं और गहरी नींद में सोए हुए हैं और वह भी कुंभकरण वाली क्योंकि अभी चुनाव नहीं है और ऐसे में आयुष्मान कार्ड का भी कोई महत्व नहीं है।

आयुष्मान कार्ड बना रद्दी कागज:मेरठ मेडिकल कॉलेज और टीएमयू ने किया इलाज से इनकार, मौत के मुहाने पर पहुंचा रामस्वरूप कश्यप… शीर्षक से 2 दिन पहले गरीब रामस्वरूप कश्यप और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति का खुलासा करते हुए पाठकों को बताया था कि आयुष्मान कार्ड से भी रामस्वरूप का इलाज नहीं हो रहा लेकिन जनाब इससे किसी को कोई मतलब नहीं कि रामस्वरूप कश्यप जिंदा रहे या फिर मर जाए क्योंकि अभी चुनावों का वक्त नहीं है। निकाय चुनाव गुजर चुके हैं और विधानसभा चुनावों में कई साल का वक्त है और लोकसभा चुनाव भी अगले साल है और तब तक लोग रामस्वरूप को भूल जाएंगे।

शायद इसी सोच के चलते भारतीय जनता पार्टी के बड़े-बड़े नेता जो यह दावा करते हैं कि उत्तर प्रदेश में इलाज से कोई व्यक्ति वंचित नहीं हो रहेगा क्योंकि अब मोदी सरकार ने गरीब कमजोर और असहाय व्यक्ति को आयुष्मान कार्ड दे दिया है जिसमें एक-दो नहीं बल्कि दर्जनों लाइलाज बीमारियों का निशुल्क इलाज है मगर पाठको भारतीय जनता पार्टी वालों को कौन बताएं आयुष्मान कार्ड बीमार रामस्वरूप कश्यप के लिए सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल ने रद्दी का टुकड़ा साबित कर दिया है।

यही कारण है कि रामस्वरूप अब घर पर हैं। ऐसा नहीं है कि बेहद कमजोर परिवार अपने मुखिया रामस्वरूप को दिखा नहीं रहा, वह अब भी रामस्वरूप को अपने तरीके से प्राइवेट डॉक्टर को दिखा रहे हैं क्योंकि पंडित दीनदयाल उपाध्याय मंडलीय जिला चिकित्सालय मुरादाबाद और मेरठ के मेरठ मेडिकल कॉलेज में रामस्वरूप की बीमारी का इलाज नहीं है जबकि टीएमयू के डॉक्टरों ने आयुष्मान कार्ड से इलाज करने से इंकार कर दिया।

रामस्वरूप कश्यप को सोमवार को उनके परिजनों ने चौधरी चरण सिंह चौक से पहले अपेक्स अस्पताल में दिखाया तो उन्होंने भी आयुष्मान कार्ड से पहले एक जांच कराने के लिए कह दिया। फिलहाल, रामस्वरूप के परिजन मंगलवार को यह जांच कराएंगे और उन्हें उम्मीद है कि शायद अब आयुष्मान कार्ड पर इलाज हो जाएगा।

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आयुष्मान कार्ड बना रद्दी कागज: मौत के मुहाने पर पहुंचा रामस्वरूप कश्यप

उमेश लव, लव इंडिया, मुरादाबाद। यूं तो भारत आयुष्मान कार्ड योजना के तहत अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में अपेंडिस्क, मलेरिया, हार्निया, पाइल्स, हाइड्रोसिल, पुरुष नसबंदी, डिसेंट्री, एचआइवी विथ कांप्लिकेशन, बच्चेदानी ऑपरेशन, हाथ-पांव काटने की सर्जरी, मोतियाबिंद, पट्‌टा चढ़ाना, गांठ संबंधित बीमारी, इनफेक्टेड बनियान फूट, रेनल कॉलिक, यूटीआइ, आंतों का बुखार, गैंगिलियन, कोरोना, कैंसर, गुर्दा रोग, हृदय रोग, डेंगू, चिकुनगुनिया, मलेरिया डायलिसिस, घुटना व कूल्हा प्रत्यारोपण, नि:संतानता और अन्य कई गंभीर बीमारियों का नि:शुल्क उपचार इस योजना के तहत किया जाता है लेकिन उत्तर प्रदेश के मेरठ और मुरादाबाद जिले के आयुष्मान कार्ड मात्र एक टुकड़ा बनकर रह गया है क्योंकि ऐसा ही हुआ है मुरादाबाद के रामस्वरूप कश्यप के साथ, जिन्हें मेरठ मेडिकल कॉलेज और मुरादाबाद के टीएमयू में भर्ती करने से मना कर दिया गया और इसी के चलते फिलहाल मौत की अंतिम सांसे गिन रहे हैं।

रामस्वरूप कश्यप जिंदगी और मौत के बीच घर ही

जी हां, मुरादाबाद महानगर के सिविल लाइन थाना अंतर्गत भोगपुर मिठौनी, नया गांव में कुछ महीने पहले तक किराये के मकान में रहने वाले रामस्वरूप कश्यप की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। चाट का ठेला लगाते और परिवार में पत्नी मथुरा के अलावा बेटा-बेटी हैं। दोनों की शादी गांव के दादाभाई तालाब को बेचकर की और बची हुई रकम से मझोला थानाक्षेत्र के दुर्गानगर में एक मकान ले लिया। इन दिनों वहीं पर रहते हैं और सूदखोरों के कर्ज से भी दबे हैं।

लगभग दो महीने पहले पीलिया की शिकायत हुई तो इधर-उधर दिखाया लेकिन सुधार न हुआ। बल्कि हालत और बिगड़ती गई। इस पर पंडित दीनदयाल उपाध्यक्ष मंडलीय जिला संयुक्त चिकित्सालय में एक अगस्त को भर्ती कराया। यहां पर डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए और मेरठ मेडिकल कॉलेज में इलाज होने की बात कहते हुए रेफर के कागजात बना दिए। चार अगस्त को परिजन सरकारी एंबुलेंस 108 से रामस्वरूप को मेरठ ले गए। अपराह्न तीन बजे पहुंचे लेकिन मेरठ मेडिकल कॉलेज में शाम 7:30 बजे तक रामस्वरूप यूं ही स्ट्रेचर पर पड़े रहे। उन्हें ग्लूकोस की बोतल लगा दी गई लेकिन भर्ती नहीं किया गया संबंधित डॉक्टर प्रतिभा और ईएमओ से गुहार लगाई। मगर कोई परिणाम नहीं निकला। आयुष्मान कार्ड देखा तक नहीं। डॉक्टर ने दो टूक कह दिया कि यहां पर इआरसीपी का इलाज नहीं है। कहीं और रेफर करने को कहा तो दो टूक कह दिया कि जब हमने भर्ती ही नहीं किया तो रेफर कैसे कर दें।

मेरठ मेडिकल कॉलेज में एंबुलेंस 108 के परिचालक द्वारा कराएगा रजिस्ट्रेशन का पत्र

रामस्वरूप कश्यप का आयुष्मान कार्ड

इस पर निराश परिजन प्राइवेट एंबुलेंस से वापस ले आए और रात्रि में फिर से मुरादाबाद के पंडित दीनदयाल उपाध्यक्ष मंडलीय जिला संयुक्त चिकित्सालय में भर्ती कराया। सुबह डॉक्टर राउंड पर आए तो मुंह बिगाड़कर बात की और कहा कि जब यहां इलाज नहीं है तो क्यों ले आए। हमारी कोई गारंटी नहीं है। जहां चाहे ले जाओ।

इस पर परिजन रामस्वरूप को लेकर प्राइवेट एंबुलेंस से टीएमयू मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो यहां भी डॉक्टरों ने आयुष्मान कार्ड पर इलाज करने से इंकार कर दिया कहा पहले पीलिया का इलाज होगा और फिर इआरसीपी का ( Endoscopic Retrograde cholangiopancreatography)। कई बार निवेदन करने के बावजूद टीएमयू के डॉक्टरों ने नहीं सुना और कह दिया जहां चाहे वहां ले जाइए

इस पर परिजन रामस्वरूप को लेकर शनिवार को प्राइवेट एंबुलेंस से टीएमयू पहुंचे तो यहां भी डॉक्टरों ने आयुष्मान कार्ड पर इलाज करने से इंकार कर दिया कहा पहले पीलिया का इलाज होगा और फिर इआरसीपी का ( Endoscopic Retrograde cholangiopancreatography)। कई बार निवेदन करने के बावजूद टीएमयू के डॉक्टरों ने नहीं सुना और कह दिया जहां चाहे वहां ले जाइए।

इस तरह निराश होने के बाद रामस्वरूप को उनके परिजन ऑटो रिक्शा से अपने घर ले आए क्योंकि यहां से घर तक ले जाने के लिए एंबुलेंस वाले भी एक हजार से ₹1500 के बीच मांग रहे थे। फिलहाल रामस्वरूप कश्यप घर पर जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं और उनके लिए केंद्र की मोदी सरकार का भारत आयुष्मान कार्ड मात्र कागज का टुकड़ा बनकर रह गया है फिलहाल पूरा परिवार निराश है और घूट घूट कर जीने को मजबूर है। मालूम हो कि रामस्वरूप कश्यप जहां पर रह रहे हैं वह बिजली का कनेक्शन भी नहीं है।

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