चांद पर झंडा गाड़ेगा भारत, जानिए मून मिशन से जुड़ी जरूरी बातें
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) चंद्रयान-3 मिशन को लॉन्च करने वाला है. मिशन की लॉन्चिंग 14 जुलाई, दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस स्टेशन से की जाएगी. इसरो के इस मिशन का मकसद चांद की सतह पर सुरक्षित लैंड करना और वहां रिसर्च करना है.
भारत ने 2019 में चंद्रयान-2 मिशन को लॉन्च किया था, लेकिन ये मिशन सफल नहीं हो पाया था. ऐसे में अब चंद्रयान-3 मिशन में डिजाइन से लेकर असेंबली तक का बदलाव किया गया है, ताकि मिशन सफल रहे.चंद्रयान-3 मिशन पर पूरी देश की निगाहें तो टिकी हुई हैं, साथ ही साथ दुनिया भी इस मिशन पर नजरें गड़ाए बैठी है.
अमेरिका ने भी कहा है कि उसके लिए भारत का मून मिशन बहुत जरूरी है. व्हाइट हाउस ने दावा किया है कि चंद्रयान-3 मिशन का डाटा आर्टिमिस मिशन के लिए कारगर साबित हो सकता है. आर्टिमिस मिशन के जरिए अमेरिका एक बार फिर से एस्ट्रोनॉट्स को चांद की सतह पर भेजना चाहता है. भारत-अमेरिका ने आर्टिमिस अकॉर्ड पर साइन भी किया था.इस महिला को मिली चांद पर चंद्रयान उतारने की जिम्मेदारी।
कब हुई मिशन की शुरुआत
मिशन की शुरुआत जनवरी 2020 में हुई थी. वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की टीम ने स्पेसक्राफ्ट के डिजाइन और असेंबली पर काफी मेहनत से काम किया है. पिछले मिशन की गड़बड़ियों से सबक लिया गया. इस बार लैंडर के लैग्स को मजबूत बनाया गया है.
किस रॉकेट से होगी चंद्रयान मिशन की लॉन्चिंग
चंद्रयान-3 मिशन को ‘लॉन्च व्हीकल मार्क 3’ (LVM 3) रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा. इस बार मिशन में ऑर्बिटर को शामिल नहीं किया गया है. मिशन के तहत स्पेसक्राफ्ट चांद के साउथ पोल पर पहुंचेगा और पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर चंद्रमा पर ऑपरेट करेगा.
कैसे चंद्रमा की सतह पर लैंड होगा चंद्रयान इसरो ने दिखाया
चंद्रयान-3 मिशन चांद पर कब पहुंचेगा। मिशन की लॉन्चिंग 14 जुलाई को होगी, जिसे चांद तक पहुंचने में अगस्त के आखिरी हफ्ते तक का समय लग सकता है. स्पेसक्राफ्ट को चांद तक पहुंचने में 45 से 48 दिन लगेंगे, यानी वह 23 या 24 अगस्त तक चंद्रमा पर पहुंच जाएगा.
मिशन के तहत चांद पर क्या-क्या पहुंचेगा
चंद्रयान-3 मिशन में प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर शामिल है. इसमें से लैंडर और रोवर चांद की सतह पर लैंड करेंगे, जबकि प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग हो जाएगा. प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद लैंडर चांद की सतह पर पहुंचेगा और रोवर एक्सप्लोर करना शुरू करेगा.
मून मिशन का मकसद क्या है
इसरो मून मिशन के जरिए तीन चीजें हासिल करना चाहता है. पहला चांद की सतह पर लैंडर और रोवर को सुरक्षित लैंड कराना. दूसरा चंद्रमा पर रोवर को ऑपरेट करना और तीसरा सतह पर साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट करना.
चांद को क्यों एक्सप्लोर किया जा रहा है
स्पेस से जुड़े कई सवालों का जवाब चंद्रमा के पास है. पृथ्वी से ही चंद्रमा बना है. ऐसे में वह धरती के इतिहास की सही जानकारी दे सकता है. चंद्रमा को एक्सप्लोर करने से पृथ्वी की उत्पत्ति, सिस्टम का विकास जैसी जानकारी मिल सकती है.