करवा चौथ: आज कितने बजे निकलेगा चंद्रमा…जानें मुहूर्त और चंद्रोदय की टाइमिंग

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ज्योतिष आचार्य पंडित अखिलेश पांडेय : इस साल करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर दिन गुरुवार को रखा जाएगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास करती हैं और रात को चांद देखने के बाद ही कुछ खाती हैं. जाहिर है कि करवा चौथ पर पूरे दिन भूखी-प्यासी रहने वाली महिलाओं को चंद्रोदय का बेसब्री से इंतजार रहता है.

करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास करती हैं और रात को चांद देखने के बाद ही कुछ खाती हैं. जाहिर है कि करवा चौथ पर पूरे दिन भूखी-प्यासी रहने वाली महिलाओं को चंद्रोदय का बेसब्री से इंतजार रहता है. आइए जानते हैं कि इस साल करवा चौथ पर आज चांद कितने बजे निकलेगा.

करवा चौथ 2022 तिथि
करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस बार कार्तिक माह कृष्ण पक्ष चतुर्थी गुरुवार, 13 अक्टूबर को रात 01 बजकर 59 मिनट से लेकर 14 अक्टूबर सुबह 03 बजकर 08 मिनट तक रहेगी. उदिया तिथि के कारण करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर दिन गुरुवार को ही रखा जाएगा.

करवा चौथ 2022 पूजा मुहूर्त

करवा चौथ की पूजा शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए.
13 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 01 मिनट से रात 07 बजकर 15 मिनट तक पूजा की जा सकती है

करवा चौथ पर चंद्रमा निकलने का समय
करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं चंद्रमा को देखने के बाद ही व्रत खोलती हैं. इसलिए चंद्रमा के दीदार का इस दिन सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है. इस साल करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय रात 08 बजकर 09 मिनट लगभग (आसपास) अक्षांश और देशांतर के अनुसार बताया गया है.
जानिए आपके शहर में किस समय दिखेगा चंद्रमा
मुरादाबाद -रात 08:03 मिनट पर
दिल्‍ली में करवा चौथ का चांद दिखने का समय – रात 8 बजकर 09 मिनट पर
नोएडा – रात 8 बजकर 08 मिनट पर
कानपुर – रात 8 बजकर 02 मिनट पर
लखनऊ – रात 7 बजकर 59 मिनट पर
गुरुग्राम – 8 बजकर 21 मिनट
मुंबई – 8 बजकर 48 मिनट
भोपाल – 8 बजकर 21 मिनट
इंदौर- 8 बजकर 27 मिनट
लुधियाना – 8 बजकर 10 मिनट
गुरुग्राम – 8 बजकर 21 मिनट
चंडीगढ़ – 8 बजकर 06 मिनट
जयपुर – 8 बजकर 18 मिनट
प्रयागराज – 7 बजकर 57 मिनट
देहरादून – 8 बजकर 02 मिनट
अहमदाबाद – 8 बजकर 41 मिनट
पटना -7 बजकर 44 मिनट

करवा चौथ पर कैसे करें चंद्रमा के दर्शन?
करवा चौथ पर चंद्रमा के दर्शन के लिए एक थाली सजाएं. थाली में दीपक, सिन्दूर, अक्षत, कुकुम, रोली और चावल से बनी मिठाई या सफेद मिठाई रखें. इस दिन संपूर्ण श्रंगार करें और करवे में जल भरकर मां गौरी और गणेश की पूजा करें. चांद निकलने पर छन्नी से इसे देखें और अर्घ्य दें. इसके बाद अपने पति की लंबी आयु की कामना करें. फिर श्रृंगार की सामग्री का दान करें और अपनी सासू मां से आशीर्वाद लें. इस दिन काले या सफेद वस्त्र धारण न करें.

करवा चौथ का श्रृंगार
करवा चौथ पर मां गौरी को प्रणाम करने के बाद ही श्रृंगार करें. श्रृंगार में सिन्दूर, मंगलसूत्र और बिछिया जरूर पहनें. हाथों पैरों में मेहंदी या आलता लगाएं. चमकते कपड़े भी सुहाग की निशानी होते हैं. दुल्हन के लिए लाल रंग का शादी का जोड़ा शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है. ये रंग प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है. अगर अर्घ्य देते समय विवाह के समय की चुनरी धारण करें तो अद्भुत परिणाम मिलेंगे.

करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है. ऐसे में करवा चौथ के दिन सोलह श्रृंगार अवश्य करें, जैसे कि हाथों में मेहंदी लगाएं और पूरा श्रृंगार करें. मान्यता है कि ऐसा करने से चौथ माता प्रसन्न होकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं. करवा चौथ के दिन लाल रंग के कपड़े पहनना बेहद शुभ माना जाता है. जो महिलाएं पहली बार यह व्रत करने जा रही हैं, उन्हें शादी का जोड़ा पहनना चाहिए. लेकिन भूल कर भी काले, भूरे या सफ़ेद रंग के कपड़े न पहनें. जो महिलाएं पहली बार करवा चौथ का व्रत करती हैं, उनके मायके से बाया भेजा जाता है. जिसमें कपड़े, मिठाइयां एवं फल आदि होते हैं. शाम की पूजा से पहले बाया हर हाल में पहुंच जाना चाहिए. पूजा, चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने के बाद प्रसाद खाएं और अपने पति के हाथों से पानी पानी पीकर व्रत का पारण करें. रात में सिर्फ़ सात्विक भोजन ही करें. प्याज़, लहसुन जैसे तामसिक भोजन के सेवन से परहेज करें.

करवा चौथ कथा

करवा चौथ के व्रत पर करवा चौथ की कथा की अलग मान्यता होती है. ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ की कथा के बिना करवा चौथ का व्रत पूर्ण नहीं होता है. प्राचीन काल में एक साहूकार हुआ करते थे. साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी. 1 दिन साहूकार की सातों बहू और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा. शाम को जब साहूकार और उसके बेटे खाना खाने आए तो उनसे अपनी बहन को भूखा नहीं देखा गया. उन्होंने अपनी बहन को भोजन करने के लिए बार-बार अनुरोध किया लेकिन बहन ने कहा कि मैं चंद्रमा को देखे बिना और उसकी पूजा किए बिना खाना नहीं खाऊंगी.

ऐसे में सातों भाई नगर से बाहर चले गए और दूर जाकर आग जला दी. वापस घर आकर उन्होंने अपनी बहन को बोला कि देखो चाँद निकल आया है, अब उसे देख कर अपना व्रत तोड़ दो. बहन ने अग्नि को चाँद मानकर अपना व्रत तोड़ दिया. हालांकि छल से तोड़े गए इस व्रत के चलते उसका पति बीमार हो गया और घर का सारा पैसा उसकी बीमारी में खर्च हो गया. कुछ समय बाद जब साहूकार की बेटी को अपने भाइयों का छल और अपनी गलती का एहसास हुआ तो उसने वापस से गणेश भगवान की पूजा विधि-विधान के साथ की, अनजाने में खुद से हुई भूल की क्षमा मांगी, जिससे उसका पति ठीक हो गया और घर में वापस धन-धान्य वापस आ गया.

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