एल ए सी पर सभी अग्रिम चौकियों पर अब बनेंगे हेलीपेड

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निर्भय सक्सेना। भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा ( एल ए सी) पर सभी अग्रिम चौकियों पर अब हेलीपेड भी बनाए जायेंगे। साथ ही अब भारत चीन से दो अन्य विवाद वाले क्षेत्र डेपसांग और डेपचक से भी चीनी सेना की वापसी का दवाब बना रहा है। चीन का कहना है कि यह क्षेत्र मई 2020 के तनाव का हिस्सा नहीं है। भारत चीन में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा ( एल ए सी) के समीप गोगरा = हाट स्प्रिंग एरिया से भारत चीन के सैनिकों की 8 सितंबर 2022 की सुबह से प्रारंभ वापसी प्रक्रिया लगभग तय समय सीमा 12 सितंबर तक लगभग पूरी होना बताया जा रहा है। जहां बनाए गए अस्थाई ढांचे ध्वस्त किए गए। चीनी रक्षा मंत्रालय ने जियानन डबन यानी पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 ( पी पी 15) से चीनी सेना को हटने की बात की पुष्टि की थी। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के अनुसार पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 ( पी पी 15) में समझौता सुनिश्चित करता है की एल ए सी पर दोनो पक्ष सख्ती से पालन करेंगे। यथा स्थिति में एक तरफा बदलाव नहीं होगा। जो सीमा पर शांति बनाने में अहम होगा। इसके साथ ही भारत ने चीन की कई फर्जी कंपनियों पर भी शिकंजा कस दिया है। भारत में फर्जी चीनी कंपनियों का मास्टर माइंड जिलियन इंडिया लिमिटेड के बोर्ड में शामिल चीनी नागरिक डोर्टेसे को गंभीर जालसाजी जांच कार्यालय (एस एफ आई ओ) ने गिरफ्तार कर लिया है।

डोर्टेसे ही चीन की फर्जी कंपनियों के लिए डमी डायरेक्टर भी बनाता था और उन्हें पैसा भी देता था। साथ ही चीनी मेसेजिंग एप का ही डोर्टेसे प्रयोग भी करता था। जिसने भारत में लगभग 33 फर्जी कंपनिया बना रखी थी। इससे पूर्व भारत ने चीनी लोन एप पेटिएम, केशफ्री, रेजरपे के ठिकानों पर भी प्रवर्तन निदेशालय (ई डी) ने छापामार कर 500 करोड़ से अधिक की गड़बड़ी पकड़ी थी जिनमे फर्जी पते पर भी कंपनिया चल रही थी। उजवेकिस्तान के समरकंद में 14 से 16 सितंबर तक होने वाले दो दिवसीय शंघाई सहयोग संगठन (एस सी ओ) के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शी जिनपिंग से वार्ता नही करने की चर्चा थी जिसका दवाब ही अब काम आया था।

स्मरण रहे 2019 में किर्गितस्तान के विश्केक में शिखर सम्मेलन में नेता आमने सामने एक साथ बैठे थे। कोविड में शिखर सम्मेलन की वर्चुअल बैठक ही हुई थीं।अब तीन साल बाद पुन सभी नेता एक साथ आमने सामने होंगे। लगता है इसी कारण शंघाई सहयोग शिखर सम्मेलन से पूर्व ही चीन ने अपनी दो साल पुरानी जिद को छोड़ कर 17 जुलाई 2022 को 16वी कोर कमांडर स्तर की वार्ता में ही एल ए सी से सेना की वापसी की सहमति बनाने पर सहमति दी थी। इसके बाद ही कोर कमांडर स्तर की अगली वार्ता में सेना के पीछे हटने की शर्ते भी तय की गई थी। जिस क्रम में ही 12 सितंबर 2022 पी पी 15 से दोनो देशों की सेनाएं पीछे हटनी शुरू हुईं।

स्मरण रहे 65 पेट्रोलिंग प्वाइंट हैं जिनमे हॉट स्प्रिंग में पीपी 15, एवम गोगरा पोस्ट में पीपी 17ए, को लेकर अरसे से गतिरोध बना हुआ था। तिब्बत सीमा के पास के इस क्षेत्र का भारत के लिए बड़ा रणनीतिक महत्व है। इसके बाद अब भारत दो अन्य विवाद वाले क्षेत्र डेपसांग और डेपचक से भी चीनी सेना की वापसी का दवाब बना रहा है पर चीन का कहना है कि यह क्षेत्र मई 2020 के तनाव का हिस्सा नहीं है। भारत अब एल ए सी पर कड़ी निगरानी रख कर सेना को भरपूर सैनिक सामग्री दे रहा है। अरूणांचल में सीमा पर एम 777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर लगाई गई हैं। जिन्हे चिनूक से लाया गया। अरूणांचल के लोहित घाटी में भारतीय सेना के सबसे पूर्वी गढ़ किबिथु को देश के पहले दिवंगत जनरल विपिन रावत का नाम दिया गया है। साथ ही इस 22 किलोमीटर लंबे मार्ग का नाम जनरल रावत के नाम पर किया गया है। इस सैनिक स्टेशन का 10 करोड़ से विकास भी होगा। अरूणांचल में एल ए सी पर सभी अग्रिम चौकियों पर अब हेलीपेड भी बनाए जायेंगे ताकि चिनुक हेलीकॉप्टर वहां तक सभी सैनिक सामान ला सके। उन्हें आप्टीकल फाइबर लाइन से भी जोड़ा जाएगा।

लद्दाख के एल ए से पर भी वायु सेना का आधुनिक बेस बनाया जाने को वन्य जीव बोर्ड ने हरी झंडी दे दी है । चीन के सैनिकों से गलवा में जून 2020 की झड़प के के बाद भारत का लक्ष्य भारतीय सीमा पर एल ए सी की अग्रिम चौकियों को अधिक मजबूती देना ही ही है। भारत ने हाल में ही अपना सबसे बड़ा युद्धपोत आई एन एस विक्रांत समुन्दर में उतर दिया था। जिससे चीन चिढ़ गया था। चीन के ग्लोबल टाइम्स ने चीन के युद्धपोत 003 फुजियान से विक्रांत युद्धपोत की तुलना कर विक्रांत का मजाक भी उड़ाया था।

अब एक और 3510 टन बजनी 149 मीटर लंबा एवम 17.8 मीटर चौड़ा दो गैस टर्बाइन वाला युद्धपोत तारागिरी को भी मुंबई की मझगांव डाक यार्ड से लॉन्च किया गया। आजकल चीन के शी जिनपिंग अपने को राजनीतिक तौर पर देश में मजबूत करने में कई दाव पेंच चल रहे है। ताकि उनके देश में उनकी सत्ता बरकरार रहे। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पी एल ए) के सैनिकों ने दो साल पहले 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख में स्थित गलवान घाटी में घुसपैठ की थी। जून में गलवान घाटी का मामला तब और बढ़ गया था जब वहां चीन के सैनिकों ने भारतीय जवानों पर कांटे वाले डंडों से हमला कर दिया था। इस दौरान भारतीय जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया था।

इसके बाद से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (एल ए सी) पर भारत और चीन के बीच गतिरोध बना हुआ है। । अब तक भारतीय और चीनी वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच अनसुलझे सीमा विवाद पर अप्रैल 2020 की यथास्थिति को बहाल करने के लिए कम से कम 18 दौर की बैठकें हो चुकी हैं। इसे सैन्य नक्शे पर पैट्रोलिंग प्वाइंट 15 के रूप में दिखाया गया है. गलवान के बाद चीनी सेना ने 17- 18 मई को कुगरांग नदी, श्योक नदी की एक सहायक नदी, गोगरा और पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे के क्षेत्रों में घुसपैठ की थी। हालांकि दोनों सेनाएं गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र से पीछे हटने में सहमत हैं।

चीनी सैनिक जुलाई 2020 में 15 जून की झड़पों के बाद गलवान घाटी से पीछे हट गए थे। जहां भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे। भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को भी मुंहतोड़ जवाब दिया था और उनकी ओर से भी बड़ी संख्या में मौतें दर्ज की गई थीं।
29 से 31 अगस्त, 2020 के बीच पैंगोंग लेक के दक्षिणी तट पर भारतीय सेना की ओर से की गई एक कार्रवाई के बाद फरवरी 2021 में पैंगोंग लेक के उत्तरी तट से कुछ सैनिक पीछे हटे थे। भारतीय सेना और स्पेशल फ्रंटियर फोर्स झील के दक्षिणी किनारे के ऊंचाइयों पर कब्जा जमा लिया था। इससे चीन की स्थिति कमजोर हो गई थी। अगर भारतीय सेना ने यह कार्रवाई ना की होती तो चीन पैंगोंग झील के उत्तरी किनारों से वापसी को लेकर पीछे हट जाता। वहीं चांग चेमो नदी की गोगरा पोस्ट से सैनिकों की वापसी अगस्त 2021 में हुई थी।
अब भले ही भारत एवम चीन दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में एल ए सी पर काफी हद तक पीछे हट गए हों, लेकिन इस क्षेत्र में सैनिकों की कोई कमी नहीं हुई है। भारतीय सेना भी पूरी तरह से अलर्ट है वह सीमा पर मजबूत सड़क मार्ग तैयार कर रही है। भारत की नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से सेना को सख्त निर्देश हैं कि एल ए सी पर किसी भी तरह की चीनी कार्रवाई पर नजर रखनी है और अपनी एक इंच क्षेत्र को छोड़े बिना कठोर जवाब भी देना होगा। भारत ने विक्रांत एवम तारागीरी युद्धपोत भी उतार दिया हैं। सीमा पर अत्याधुनिक हथियार भी भेजे गए हैं।

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