Khwaja Health Care में मरीज को नशा देकर खुद चीर फाड़ भी करती है झोलाछाप महिला
लव इंडिया, मुरादाबाद। मुख्यमंत्री योगी जी! मुरादाबाद स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कितने दयालु है कि वह झोलाछाप डाक्टर को जनरल फिजीशियन और महिला झोलाछाप को स्त्री एवं प्रसुति रोग विशेषज्ञ बनने का भरपूर मौका देते है। साहब की इस दया से खुश होकर झोलाछाप डाक्टर बिना अनुमति के ऑपरेशन थियेटर (ओटी) खोलकर धड़ल्ले से बड़े- बड़े ऑपरेशन कर मरीजों की जिंदगी से खेल रहीं है।
ऐसा ही एक मामला कटघर कोतवाली क्षेत्र के करूला स्थित ख्वाजा हेल्थ केयर जच्चा बच्चा केंद्र का सामने आया है। जहां छोटे साहब यानि नोडल अधिकारी डा. संजीव बेलवाल की खास मेहरबानी सिर्फ रंगीन कागजों के दम पर टिकी है।
जी हां! चौकिए मत, हम आज आपको उस चीर फाड़ नामक खेल से अवगत करा रहे है जो स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी की मेहरबानी से दस सराय चौकी के प्रथमा बैंक के पीछे बने एक रिहाइशी बिल्डिंग में मरीजों की जिंदगी से खेला जा रहा है। विभागीय सूत्र बताते है कि ख्वाजा हेल्थ केयर जच्चा बच्चा केंद्र का रजिस्ट्रेशन डा. मोहसिन हुसैन के नाम और एमबीबीएस डिग्री के आधार पर सीएमओ दफ्तर में है। लेकिन सीएमओ साहब ने सिर्फ अनुमति ओपीडी, आईपीडी की ही दी है।
बावजूद इसके यहां अवैध रुप से ओटी संचालित है और झोलाछाप महिला मैनिस निशा ही मरीज को स्वंय नशा देकर चीर फाड़ भी करती है। वो इसलिए क्योंकि नोडल अधिकारी डा. संजीव बेलवाल का आशीर्वाद उन्हे प्राप्त है। तभी तो वह अपने अस्पताल पर लगे बोर्ड और अभिलेखों पर खुद को स्त्री एवं प्रसुति रोग विशेषज्ञ लिखती है जिसको पढ़कर लोगों में सोचने और समझने की क्षमता खत्म हो जाती है और वह प्रशिक्षित डाक्टर समझकर मरीज को झोलाछाप डाक्टर के हवाले छोड़ देते है।
असल में डाक्टर साहिबा अपने इस पंजीकृत डाक्टर की आड़ में बड़े पैमाने पर महिलाओं के विभिन्न गुप्त रोगों का इलाज करती है। भ्रूण हत्या और ऑपेरशन करना तो आम बात है। जबकि पंजीकृत डा. मोहसिन हुसैन ने सिर्फ अपनी डिग्री और नाम किराए पर दिया है।
Fake woman Manis Nisha is seen doing operation
बड़ा सवाल और जांच का विषय ये है कि स्वास्थ्य विभाग की बेवसाइट पर जिन दो पैरामेडिकल स्टाफ का नाम अंकित है वह दोनों झोलाछाप डाक्टर है जिनमे से एक बीएनबाईएस डिप्लोमा धारक है जिनका नाम अवसार हुसैन है मेहरबानी की बात ये है कि ये खेल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बिना मिलीभगत से नहीं खेला गया होगा। एक बीएनबाईएस को पैरामेडिकल स्टाफ बनाना रंगीन कागजों की ओर साफ इशारा करता है।
जब स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों का ये हाल है तो झोलाछाप डाक्टर खुद को क्यो न जनरल फिजीशियन लिखकर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ क्यो न करें? बस अब तो मरीज का उपचार डाक्टर के भरोसे नहीं साहब के भरोसे कराना पड़ेगा?