पुत्र के बहाने श्री नारायण का उच्चारण करके पापी भी चला जाता है भगवद्धाम में : धीरशान्त दास अर्द्धमौनी
लव इंडिया,मुरादाबाद। पीयूष चावला परिवार, नवीन नगर में आयोजित सप्त दिवसीय श्रीगीता भागवत कथा के विश्राम दिवस, कथा व्यास एवं मठ-मन्दिर विभाग प्रमुख विहिप धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि यह जो मनुष्य शरीर मिला हुआ है, यह बड़ा दुर्लभ है, लेकिन जिनको मिल गया है, उनको इसकी दुर्लभता का अनुभव नहीं है। हमें लगता है कि यह तो मिला हुआ है ही, इसमें दुर्लभता क्या है। यह मनुष्य शरीर अनित्य है, इसमें सुख नहीं है, लेकिन इस शरीर में हम परमात्मा की प्राप्ति कर सकते हैं, उस महान् आनन्द का अनुभव कर सकते हैं।
मठ-मन्दिर विभाग प्रमुख विहिप श्रद्धेय धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि जो मनुष्य कभी उद्दण्ड वेष नहीं बनाता और दूसरों से उद्दण्ड व्यवहार नहीं करता, कभी दूसरों के सामने अपने पराक्रम की डींग नही हाँकता, अत्यंत क्रोध से व्याकुल होने पर भी दूसरों को कटुवचन नहीं बोलता, वही मनुष्य सदा ही सबका प्यारा होता है। कटुभाषी, और अहंकारी मनुष्य से तो लोग घृणा ही करते हैं।
मठ-मन्दिर विभाग प्रमुख विहिप श्रद्धेय धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया पुत्र के बहाने नारायण नाम का उच्चारण करके पापी अजामिल भी भगवद्धाम में चला गया। फिर जो श्रद्धापूर्वक भगवान् का नाम लेता है, उसकी मुक्ति के लिये तो कहना ही क्या है। जो लोग शंख, चक्र, गदा, पद्म, बाण-धनुष और खड्ग धारण करने वाले, लक्ष्मी के मुखारविन्द का मकरन्द पीने के लिये भ्रमर रूप नेत्र वाले वरदायक एवं श्रेष्ठ भगवान् पद्मनाभ का कीर्तन करते हैं। वे अवश्य उन मधुसूदन के धाम में जाते हैं। जो मनुष्य संसार भयभीत हो वासुदेव इस नाम का उच्चारण करता है, वह उस भयसे मुक्त हो भगवान् विष्णु के ही पद को प्राप्त होता है-इसमें संशय नहीं है।
कथा में पूनम चावला, राजू चावला, रेनू चावला, प्रतीक चावला, साहिल चावला, मीनू वासुदेव, नैना गुप्ता, राज बहिन जी, प्रभा बब्बर, ज्ञान चंद शर्मा, प्रेमशंकर शर्मा, शौर्य शर्मा, जमना माता, आदि उपस्थित रहे।