अपनी हर गलत नीति के विरोध को विपक्ष के सिर मढ़ने का चलन बना लिया है केंद्र सरकार ने

India Uttar Pradesh युवा-राजनीति

मुहम्मद अहमद

केंद्र सरकार द्वारा लागू की गयी सेना भर्ती में अग्निपथ योजना का विरोध दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। सेना में भर्ती होने वाले और इस भर्ती का 3 वर्ष से इंतजार करने वाले अधिकांश युवा बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश के साथ साथ लगभग 16 राज्यों में हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं और इस हिंसक प्रदर्शन में ट्रेन, बसों के साथ ही सरकारी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

हर बार की तरह इस बार भी सत्ता में बैठी मोदी सरकार इन युवाओं की भावनाओं को समझने के बजाय इस अराजकता का जिम्मेदार विपक्ष को बता रही है। जबकि, विपक्ष किसी हिंसा या अराजकता का समर्थन करने के बजाय बेकाबू युवकों को संयम बरतने और शांति की अपील के साथ कानूनी लड़ाई लड़ने की अपील कर रहा है। लेकिन, सच्चाई ये है कि देश की आम जनता बेरोजगारी की माल झेल रहे युवा और विपक्ष पूरी तरह ये बात समझ गया है कि सेना के आधुनिकरण के नाम पर युद्ध के तौर तरीकों के नाम पर और तकनीकी प्रशिक्षण के नाम पर 4 साल की अग्निपथ योजना एक बड़ा फरेब और छलावा है।

क्योंकि, बात चाहें सैंनिक के कौशल से लैस होने की हो या युद्ध में सेनाओं के आमने सामने लड़ाई लड़ने की हो या परमाणु बम या मिसाईल के चलाने की हो किसी भी हाल में सेना को सज्जित करने के नाम पर फ़ौज में ना सैनिकों की संख्या को कम किया जा सकता है ना ही उन्हें अस्थाई किया जा सकता है ना ही उनको पेंशन को खत्म किया जा सकता है और याद रहे देश का कोई भी युवा सेना में सिर्फ नोकरी करने के नाम पर भर्ती नही होता है बल्कि पाकिस्तान और चीन से घिरी भारत की सीमा की सुरक्षा के लिए उसकी रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगाने को तैयार रहता है।

युवाओं द्वारा अग्निपथ योजना का विरोध करना इसलिए उचित है कि ऐसे में ना ही आधुनिक और तकनीकी प्रशिक्षण 6 माह में लिया जा सकता है और ना ही चार साल के अल्प समय में इस तकनीकी और आधुनिक प्रशिक्षण का पूरा उपयोग किसी सीमा सुरक्षा में हो सकता है। केन्द्र सरकार सेना जैसी महत्वपूर्ण भर्ती या सेवा को भी आम नौकरी समझने की भूल कर रही है। हालांकि, सड़कों पर उत्पात मचाना या राष्ट्र सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाना किसी समस्या का निदान नहीं हो सकता मगर सरकार को सेना जैसी महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी को आस्थाई करने से पहले या उसका ढांचा बदलने से पहले इस पर सदन में और युवा मंचों पर तथा सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों से विस्तृत चर्चा करनी चाहिये थी। यह मोदी सरकार का जल्दीबाजी में उठाया गया कदम है। पिछले कई वर्षों से रात दिन मेहनत करके फ़ौज में भर्ती होकर देश की सीमाओं की रक्षा करने का सपना देखने वाले युवाओं के लिए अग्निपथ योजना एक स्कीम नहीं, छलावा है। ये ना केवल युवाओं के भविष्य, बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था के साथ भी एक खिलवाड़ है।

याद रहे सेना की अनियमित भर्ती प्रक्रिया किसी भी हाल में देश की सुरक्षा हित में कारगर नहीँ हो सकती जबकि आज के हालात में पाकिस्तान के साथ साथ चीन भी भारत के लिए एक बड़ी चुनोती है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि देश में अनुशासित सेवा के लिए तैयार और प्रतिबद्ध युवाओं को नियमित सेवा को मौका दे जिससे ये युवा देश की सीमाओं की सुरक्षा के साथ साथ राष्ट निर्माण में भी सहायक बन सकें।

अग्निपथ योजना के विरोध पर भी कांग्रेस व विपक्ष को ज़िम्मेदार बताने वाली मोदी सरकार ने किसानो के काले कानून जीएसटी और नोटबन्दी एवँ नागरिकता संशोधन कानून सहित सभी मुद्दों पर अपनी नीतियों की समीक्षा करने के बजाय विपक्ष को ज़िम्मेदार बताया था पता नहीं मोदी सरकार को ऐसा क्यूँ लगता है कि देश में सिर्फ़ वही समझदार हैं। बाक़ी सब मूर्ख हैं, जिन्हें कोई योजना समझ ही नहीं आती। अगर मौजूदा सरकार की नीतियां जनहित में होती तो बार बार सरकार के मनमाने और ग़लत फ़ैसले के विरोध में समाज के हर तबके को बारी-बारी से सड़कों पर आने के लिए मजबूर ना होना पड़ता।

लेखकः मुहम्मद अहमद उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग

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