जिला बार एसोसिएशन के 15 साल तक अध्यक्ष रहने का रिकार्ड भी है घन श्याम शर्मा के नाम

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निर्भय सक्सेना, बरेली। बरेली में एडवोकेट घनश्याम शर्मा के निधन से समाज में शोक की लहर दौड़ गई। बरेली के तिलक स्कूल से निकलकर बरेली कॉलेज की छात्र राजनीति में भी किंगमेकर की भूमिका नेपथ्य में रहकर करते रहे। इसके बाद जब कानून की एल एल एम तक कि पढ़ाई पूरी कर जिला बार मे वर्ष 1977 में अपना रजिस्ट्रेशन भी कराया। उसके बाद बरेली बार मे एडवोकेट के रूप में 1979 से वकालत शुरू की। जिला बार मे एक मिसाल कायम दी और बार की राजनीति में अपना पैर अंगद की तरह जमाया।

जिला बार एसोसिएशन में 3 वर्ष महामंत्री और उसके बाद 15 वर्ष अध्यक्ष पद पर रहने का अपना अनूठा रिकार्ड बनाया जिसे तोड़ पाना असंभव ही लग रहा है। जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे घन श्याम शर्मा इतने व्यवहार कुशल एवम विनम्र हैं कि उनके आचरण का हर कोई उनसे मिलने वाला कायल भी हो जाता है। 30 नबम्बर 1948 को साहूकारा निवासी पुरोहित भगवती प्रसाद आचार्य के यह जन्मे घन श्याम शर्मा कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हैं।

बरेली में हाइकोर्ट की बेंच के लिए बरेली – मुरादाबाद मंडल की वकीलों की बनी संघर्ष समिति के चेयरमैन भी रहे। 1986 से आंदोलन में भी सक्रियता से लगे। पूर्व मंत्री एवम सांसद संतोष कुमार गंगवार के साथ केंद्रीय कानून मंत्री अरुण जेटली एवम अन्य मंत्रियों तक से साथियों के साथ मिलकर हाईकोर्ट बेंच की पश्चिम के किसी भी जिले में स्थापित करने को ज्ञापन भी दिए। राजनीतिक दलों में इसके लिए इच्छा शक्ति के अभाव में यह मुद्दा लटका ही रहा। इसके अलावा जिले में कोर्ट की कमी, अदालत में वकीलों के बैठने की कम व्यवस्था होने, एवम वाहन पार्किंग की कमी को लेकर काफी पत्र भी लिखे। संबंधित अधिकारियों से मिले।

जेल की भूमि पर कोर्ट परिसर शिफ्ट हो इसके लिए 2019 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका भी लगाई जो अभी लंबित ही है। जिला अदालतों में कोर्ट की कमी, बढ़ती भीड़, यहां पार्किंग की समस्या वर्षो से लंबित है। वेसे अब रामगंगा नगर में 34 एकड़ भूमि पर अदालत परिसर बनने की बात सिद्धान्ततः मानी भी गई है। घन श्याम शर्मा का कहना था कि जब तक रेवन्यू कोर्ट वहाँ नहीं होंगे, वकीलों को कलेक्ट्रेट परिसर में रहना ही होगा। अतः जेल परिसर की खाली जगह ही कोर्ट परिसर के लिए उपयुक्त जगह है।

जिला जेल की खाली भूमि पर कोर्ट परिसर शिफ्ट हो, इसके लिए 2019 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका भी लगाई जो अभी लंबित ही है। कोविड 19 के दौरान भी एडवोकेट की मदद को आगे रहे जिन वकीलो ने बार एसोसिएशन से मदद मांगी उन्हें उनके बैंक खाते में लगभग 35 लाख की धनराशि भी भिजवा दी। कोविड में पूर्व सांसद प्रवीण सिंह एरन ने भी वकीलों की मदद को 2 लाख की राशि दी। बरेली में उनके कार्यकाल मे वकीलों के लिए 5 कॉम्प्लेक्स में लगभग 500 चेम्बर में वकीलों के बैठने की बेहतर व्यवस्था की गई।

वकीलों के लिए लाइब्रेरी, मीटिंग हाल, एवम जिला बार एसोसिएशन का कार्यालय भी बना। घन श्याम शर्मा कहते थे कि जनता को सस्ता, सुलभ न्याय मिलने की जो अवधारणा बनी थी अब उसका ही उलट हो रहा है। पूर्वांचल के वकीलों के दवाब से पश्चिम के जिलों में हाई कोर्ट बेंच की स्थापना का मामला हल नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के एक चीफ जस्टिस ने कहा था कि वर्तमान में जितने केस हैं और जितने अदालत, जज हैं । वर्तमान केस के निस्तारण में ही कई दशक लग जायेंगे।

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