छापामार कार्रवाई से पहले ही चिड़िया चुग गई खेत, अब हो रही प्रशासन की छीछालेदर

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लव इंडिया, संभल। मैक्सन फार्मा के बैनर तले आयुर्वेदिक लाइसेंस की आड़ में नकली एलोपैथिक दवाइयां बनाने वाले शातिर नटवरलाल तेज प्रकाश उर्फ रामबाबू ने बेटे के नाम से नकली दवाइयों को खपाने के लिए मेडिकल स्टोर में संचालित किया हुआ था। इससे स्पष्ट है कि तेज प्रकाश की स्वास्थ विभाग से सांठगांठ थी इसीलिए स्थानीय स्तर पर लंबे अरसे से आयुर्वेद की आड़ में नकली एलोपैथिक दवाइयों का निर्माण और मार्केट में खपाने का धंधा चल रहा था।

यह हम नहीं कह रहे बल्कि गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम की छापामार कार्यवाही के बाद शहर में हो रही चर्चाओं में लोगों की राय है लेकिन ऐसी राय क्यों है। इसे जानने के लिए आइए चलते हैं स्वास्थ विभाग द्वारा गुरुवार को की गई छापामार कार्रवाई की तह में। शुरुआत कहां से करें यह तो आप भी जानते हैं लेकिन फिर भी हम याद दिला दें कि लखनऊ तक शासन के गलियारों में पहुंची शिकायतों में यह स्पष्ट किया गया था कि स्थानीय स्तर पर कुछ नहीं होने वाला और इसी के बाद सरकार के आदेश पर मुरादाबाद मंडल के सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ आसपास के जनपदों की 7 टीमों ने 1 सप्ताह पूर्व मैकसन फार्मा के बैनर तले आयुर्वेदिक दवाओं के लाइसेंस की आड़ में बन रही नकली एलोपैथिक दवा का जखीरा शहजादी सराय से बरामद किया था और इनकी कीमत लगभग एक करोड़ रुपए आंकी गई थी। इसके बाद पुलिस ने फैक्ट्री संचालक या यूं कहें कि नकली एलोपैथिक दवाएं बनाने वाले तेज प्रकाश उर्फ रामबाबू और उसके बेटे शुभम को गिरफ्तार किया था। दोनों पिता-पुत्र को अगले दिन पुलिस ने अदालत में पेश किया जहां से दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। फिलहाल, दोनों पिता-पुत्र मुरादाबाद जेल में हैं।

इस सब के बाद अखबारों के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी स्वास्थ्य विभाग की वाह-वाह होती रही लेकिन गुरुवार को जो कुछ हुआ वह लोगों को रास नहीं आया। ऐसे में सवाल यह है कि आखिरकार हुआ क्या जो आलोचनाओं का कारण बन गया। असल में बृहस्पतिवार दोपहर 1 बजे बीडी इंटर कॉलेज सरायतरीन हयातनगर रोड स्थित मेडिकल स्टोर पर छापा मारा जो शुभम के नाम से संचालित था और शुभम उसी नटवरलाल नकली दवाइयां बनाने वाले तेज प्रकाश का बेटा है और पूरी छापामार कार्रवाई के दौरान यहां पर टीम को कुछ भी नहीं मिला। यही बात लोगों को सच्चाई उगलने के लिए विवश कर रही है और उनकी चर्चाओं को अगर सच माने तो 1 सप्ताह पहले हुई छापामार कार्रवाई में एक करोड़ रुपए की नकली दवाएं बरामदगी और दोनों पिता-पुत्र के जेल जाने के बाद से ही इस मेडिकल स्टोर से सब कुछ रातों-रात हटा लिया गया था और यह मेडिकल कामों में भालेभाज खां सराय तरीन के युवक को ठेके पर दे दिया गया था और वह भी छापामार कार्यवाही से पहले ही यहां से सब कोई निकालकर उड़न छू हो गया था। मेडिकल स्टोर पर ताला लगा था और आसपास के लोगों से पूछताछ करी तो वहां के लोंगो ने कहा कि यहां कोई मेडिकल नही है, सारी दुकानें खाली पड़ी हैं। मौके पर पहुंची टीम में डीआईओ मुकेश जैन सहित स्टाफ स्टाफ तथा मेडिकल एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारी भी टीम के साथ थे। अब आप ही बताइए ऐसे में लोगों को कड़वा सच कहने से कौन रोक सकता है और तभी तो यह चर्चा आम है कि जब चिड़िया चुग गई खेत… तो छापामार कार्रवाई और उसके करने वालों की छीछालेदर तो होनी ही है क्योंकि जनाब यह पब्लिक है और सब जानती है।

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