Shri Parivar Divya Mahayagya Samiti Trust: बाल व्यास देवी देविका ने हनुमान जी के बल, बुद्धि और चिरंजीवी होने का बताया रहस्य

लव इंडिया, मुरादाबाद। श्री परिवार दिव्य महायज्ञ समिति ट्रस्ट में प्रातः कालीन सत्र में शनि महामृतुंजय महायज्ञ का आयोजन किया गया । मुख्य यजमान पुनीत बंसल श्वेता बंसल दीपक कुरेचिया अशोक यादव अमित शर्मा रहे। महायज्ञ श्री परिवार पीठाधीश्वर पंडित कृष्णा स्वामी के निर्देशन महायज्ञ संचालक आचार्य कामेश्वर मिश्र पंडित तेजनारायण पंडित जगदंबा प्रसाद द्वारा संपन्न हुआ।


बाल व्यास देवी देविका दीक्षित ने हनुमान कथा सुनाई
उन्होंने कहा की मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के सर्वोत्तम सेवक, सखा और भक्त हनुमान सद्गुणों के भंडार हैं। हनुमान के परम पराक्रमी सेवा मूर्ति स्वरूप से तो सभी परिचित हैं लेकिन वह ज्ञानियों में भी अग्रगण्य हैं। वह अतुलित बल के स्वामी हैं। उनके अंग वज्र के समान कठोर एवं शक्तिशाली हैं। उन्हें ‘वज्रांग’ नाम दिया गया जो आम बोलचाल में ‘बजरंग’ बन गया। बजरंग बली केवल गदाधारी महाबलि ही नहीं बल्कि विलक्षण और बहुआयामी मानसिक और प्रखर बौद्धिक गुणों के अद्भुत धनी भी हैं। राम काज अर्थात अच्छे कार्य के लिए वह सदैव तत्पर रहते थे। वह राम सेवा अर्थात सात्विक सेवा के शिखर पुरुष ही नहीं थे बल्कि अनंत आयामी व्यक्तित्व विकास का महाआकाश है।

बाल व्यास देवी देविका दीक्षित ने कहा कि विवेक, ज्ञान, बल, पराक्रम, संयम, सेवा, समर्पण, नेतृत्व, सम्पन्नता आदि विलक्षण गुणों के धनी होने के बावजूद उनमें रत्ती भर अहंकार नहीं था। चिरंजीवी हनुमान को पवन पुत्र कहा गया है। एक बार हनुमान जी को सुलाकर माता अंजनी गृह कार्य में व्यस्त हो गईं। तभी हनुमान की नींद खुल गई तथा भूख से व्याकुल हो सूर्य को मीठा फल समझकर उन्होंने उसे अपने मुख में भर लिया। उस समय ग्रहण चल रहा था। सूर्य की यह गति भांपते हुए राहू ने देवराज इंद्र के पास जाकर उन्हें सारा वृत्तांत सुनाया। तब देवराज इंद्र ने देखा कि छोटे से हनुमान सूर्य को अपने मुख में रख कर खेल रहे हैं और सारा जगत त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहा है। उसी समय हनुमान जी की दृष्टि इंद्र की ओर गई और उसे भी फल समझकर खाने लगे। इंद्र ने हनुमान जी को अपनी ओर आता देख कर उन पर वज्र से प्रहार किया।


बाल व्यास देवी देविका दीक्षित ने कहा कि वज्र के प्रहार से सूर्य हनुमान जी के मुख से आजाद हो गए और हनुमान जी मूर्च्छित होकर गिर पड़े। तभी वायु देव ने वायु की गति रोक दी जिस कारण सारे जगत में वायु संचार बंद हो गया और सभी जीव मृत्यु को प्राप्त होने लगे। देवराज इंद्र समेत सभी देवता तब ब्रह्मा जी के पास गए। तत्पश्चात ब्रह्मा सहित सभी देवताओं ने वायु देव के पास जाकर उनसे विनती की कि वायु का संचार प्रारंभ करें तथा सभी हनुमान जी को बल, बुद्धि और चिरंजीवी होने का आशीर्वाद प्रदान करें। हनुमान जी की मूर्च्छा समाप्त हुई और सृष्टि में नवसंचार होने से मानव सहित सभी जीवों की रक्षा हुई। सुंदरकांड के साथ आज की कथा को विश्राम दिया गया।

इस अवसर पर संरक्षक के के गुप्ता अघ्यक्ष अंरविद अग्रवाल जॉनी,राजीव अग्रवाल मल्लू महामंत्री, सुघीर श्रीवास्तव, अवनीत सक्सेना, आशुतोष गुप्ता, दिनेश अग्रवाल, विपिन अग्रवाल, वरुण,नरेश सक्सेना, अतुल सोती एडवोकेट, मुकेश दत्त कौशिक, विकास ममगाईं, गोपाल कृष्ण गर्ग, अंकित सक्सेना, विनय जौहरी, शौभाग्य सक्सेना, तनु, सम्राट, अनीता कौशिक,सीमा विश्नोई, मिथिलेश गुप्ता, अंजना चौहान, मुदिता अग्रवाल रहे।


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