84 लाख योनियों में जीव पुराने को छोड़ नया शरीर धारण करता, हम जानते हैं मगर मानते नहीं: अर्द्धमौनी

लव इंडिया, मुरादाबाद। झाडखण्डी मन्दिर,नागफनी मुरादाबाद में आयोजित श्रीशिव महापुराण षष्ठम दिवस में कथा व्यास धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि भगवान श्रीहरिहर की कृपा से हमारे जीवन के समस्त कार्यो का निर्देशन होता है। कहा कि चौरासी लाख योनियों में जीव घूमता है, पुराने शरीर छोड़ता है और नये शरीर धारण करता रहता है। हम शरीरों के साथ नहीं रह सकते, शरीर हमारे साथ नहीं रह सकते। यह बात हम जानते हैं लेकिन मानते नहीं है।


कथा व्यास धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि त्रिलोकी में ऐसी कोई चीज नहीं है,जो हमें तृप्त कर सके, क्योंकि वस्तुएँ सभी नाशवान् हैं और हम दीर्घ काल तक रहने वाले हैं। महासर्ग में भी हम पैदा नहीं होते और प्रलय में भी व्यथा नहीं होती, ऐसा हमारा सबका स्वरूप है। हमारी एकता परमात्मा के साथ है और शरीर की एकता संसार के भोगों में आसक्त हो जाती है।

कथा व्यास धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि साक्षर पढ़े लिखे लोग जब शब्द और स्वभाव से विपरीत हो जाते हैं तब राक्षस शब्द बनता है और व्यवहार भी ऐसा ही हो जाता है। परन्तु सरस सज्जन शब्द को विपरीत करोगे तो सरस सज्जन ही बनेगा और व्यवहार भी अच्छा ही रहेगा। अर्थात जो स्वभाव से सज्जन होता है, विषम परिस्थितियों में भी उसके स्वभाव में परिवर्तन नही आता, परन्तु जो स्वभाव से सज्जन न होकर केवल साक्षर होते हैं उनकी दुर्जनता प्रकट हो ही जाती है।

कथा व्यास धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि परमात्म महादेव शिव शम्भू की शरणागति की पहचान है। दूसरी किसी वस्तु को न चाहना। दूसरों के दोष को न सुनना चाहिए, न देखना चाहिए, न कहना चाहिए। जिस इन्द्रिय से दोष देखने सुनने का काम करेंगे, वही इंद्रिय दोषी हो जाएगी। दूसरों के पापों की चर्चा करने वाले उनके पापों का बंटवारा करते हैं। दोष अपने देखने चाहिए और गुण दूसरों का देखना चाहिए।

कथा में डॉ. राजकमल गुप्ता, अमित गुप्ता विहिप, गौरव भटनागर, बजरंग दल, अनिल सिक्का, महन्त भोलानाथ, उपमहन्त अमित नाथ बोबी, उपमहन्त अंकित नाथ, पं.जगदम्बा प्रसाद वशिष्ठ, नरेंद्र सुमन, कमल गोयल, नमन गोयल, इन्दरजीत शर्मा, सुधा शर्मा, सपना चौधरी, कृष्ण गुप्ता, संजय अग्रवाल, देवांश अग्रवाल, चंचल शर्मा, नेहा शर्मा आदि शामिल रहे।

error: Content is protected !!