128 करोड़ की कर चोरी: कागजों में 650 करोड़ का कारोबार, जीएसटी चोरी में पहली एफआईआर दर्ज, पढ़ें हैरान कर देने वाला मामला
बोगस बिलों और फर्जी कंपनियों के जरिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) चोरी करने वाले सिंडिकेट पर पहली एफआईआर दर्ज की गई है। इस सिंडिकेट का खुलासा करते हुए राज्य जीएसटी विभाग की 23 टीमों ने 43 फर्मों द्वारा 128 करोड़ की टैक्स चोरी की बात कही थी।
शनिवार को जीएसटी की 23 टीमों ने की थी छापेमारी
राज्य जीएसटी विभाग की 23 टीमों ने शनिवार सुबह एक साथ चार जिलों की 43 लोकेशन पर छापे मारे। प्रारंभिक जांच में ही 43 ऐसी फर्मों की जानकारी सामने आई, जिन्होंने सिर्फ कागजों में 650 करोड़ रुपये का कारोबार कर डाला। बोगस बिलों के आधार पर इन फर्मों ने चेन बनाकर 128 करोड़ रुपये की इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) क्लेम कर जीएसटी की चोरी की है।
आयरन-स्टील की फर्मों के नाम पर कर चोरी की लगातार शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विभागीय अधिकारियों को सख्त दिशा-निर्देश दिए थे। इसके बाद राज्य कर आयुक्त मिनिस्ती एस ने नोएडा और गाजियाबाद जोन में कर चोरी में लिप्त फर्मों की पहचान कर प्रभावी कार्रवाई करने को कहा।
नोएडा और गाजियाबाद जोन के अधिकारियों ने संयुक्त अभियान चलाते हुए नोएडा, दादरी, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, सिकंदराबाद और खुर्जा में 49 फर्मों की पहचान की और 23 टीमों का गठन कर 43 फर्मों की लोकेशन पर सर्च/सीजर की कार्रवाई का अभियान चलाया। सुबह 10 बजे एक साथ कई लोकेशन पर छापे मारे। देर रात तक जांच की कार्रवाई चलती रही। लोहा और स्टील से जुड़ी कई फर्मों के पते फर्जी पाए गए।
शुरुआती जांच में पाया गया कि जीएसटी पंजीयन के दौरान जो पता दिया था, उस पर आधी से ज्यादा फर्म मिली ही नहीं। इन सभी फर्मों ने चेन बनाकर कागजों में माल की खरीद और बिक्री दिखाते हुए 650 करोड़ रुपये का कारोबार किया, जिसके आधार पर 128 करोड़ रुपये की आईटीसी क्लेम किया गया। इनके वास्तविक लाभार्थियों की पहचान की जा रही है, ताकि आईटीसी ब्लॉक करते हुए वसूली की कार्रवाई की जा सके।
कई शहरों में फैला फर्जीवाड़े का कारोबार
बोगस बिलों के जरिए जीएसटी चोरी करने वाली कई और फर्म विभाग के निशाने पर हैं। ऐसी 500 से अधिक फर्मों की सूची तैयार की गई है। इनकी जांच कर क्रय-विक्रय का सत्यापन करने की कार्रवाई जल्द शुरू होगी। जांच में गलत पाए जाने पर फर्मों का पंजीयन निरस्त करने के अलावा आईटीसी क्लेम पर रोक लगाने की कार्रवाई की जाएगी।
पिछले तीन साल में इस तरह के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें फर्जी कंपनियां बनाकर सिर्फ कागजों में कारोबार दिखाया गया। बोगस बिलों के जरिये इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ लेकर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाया गया।
मार्च 2019 में सेंट्रल जीएसटी की टीम ने बोगस बिलों के जरिए 238 करोड़ की धोखाधड़ी का खुलासा किया था, जिसमें दिल्ली में रहने वाले दो भाइयों ने कई जगह अपने व रिश्तेदारों के नाम से करीब 70 फर्जी कंपनियों का पंजीयन कराकर देश के अलग-अलग राज्यों में स्थित फर्मों से सिर्फ कागजों में कारोबार कर डाला।
रडार पर नोएडा-गाजियाबाद
नोएडा और गाजियाबाद में तेजी से बढ़े कंक्रीट के जंगल और औद्योगिक गतिविधियों के बीच कर चोरी के मामले भी बढ़े हैं। लोहे के कारोबार के नाम पर पहले भी करोड़ों रुपये की कर चोरी के खुलासे हो चुके हैं। शनिवार को हुई कार्रवाई भी लोहा कारोबार से जुड़ी फर्म पर आधारित रही। इसमें सबसे ज्यादा 20 गौतमबुद्ध नगर के तहत नोएडा, ग्रेटर नोएडा और दादरी की फर्म पर शिकंजा कसा गया, जबकि 15 फर्म गाजियाबाद, छह बुलंदशहर और खुर्जा व दो हापुड़ के पते पर पंजीकृत थीं। कई कंपनियां मौके पर अस्तित्व में नहीं पाई गईं।
कुछ फर्मों द्वारा फर्जी प्रपत्रों के आधार पर जीएसटी पंजीयन कराया गया। केवल ई-वे बिल बनाकर आईटीसी का लाभ लिया गया। ऐसे व्यापारियों की पहचान कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। कार्रवाई लगातार जारी रहेगी।-अदिति सिंह, अपर आयुक्त राज्य कर-नोएडा/गाजियाबाद जोन
नोएडा की इन फर्मों पर कसा शिकंजा
गौतमबुद्ध नगर: संगम रोडलाइंस, बालाजी इंटरप्राइजेज, विक्रम इंटरप्राइजेज, महादेव ट्रेडर्स, बीके इंटरप्राइजेज, ओम साईं इंटरप्राइजेज, श्रीलक्ष्मी इंटरप्राइजेज, एंकर सेल्स एजेंसी, आरएस सप्लायर , ब्रिलिएंट हिंटेक इंटरप्राइजेज, मोहन इंटरप्राइजेज, अवंतिका ट्रेडिंग कंपनी, साहिब ट्रेडर्स, गुरुमुख ट्रेडर्स, एआर ट्रेडिंग कंपनी, श्रीराम इंटरप्राइजेज, आरके इंटरप्राइजेज, एसपी इंटरप्राइजेज, स्काईवूक इंटरप्राइजेज