Ramadan: पाक महीना शुरू होते ही नमाजियों से गुलजार हो गई मस्जिदें

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12 मार्च से भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित कई देशों में रमजान का पाक महीना शुरू हो गया है। 15 साल बाद गुलाबी ठंड में शुरू हुए रमजान के पाक महीने के दौरान करीब 13 घंटे का रोजा है। माना जा रहा है कि इस बार गुलाबी ठंड में रोज़े होने से रोजेदारों को पिछले कुछ साल की तुलना में थोड़ा आसानी हो रही है। वहीं, रमजान का पाक महीना शुरू होने से मस्जिदें नमाजियों से गुलजार हो गई हैं। साथ ही खरीददारी के लिए बाजारों में भी लोगों की भीड़ बढ़ने लगी है। रमजान के महीने के चलते एक तरफ जहां बाजारों में रौनक बढ़ गई है, वहीं फलों के दाम भी काफी ज्यादा बढ़ गए हैं। गौरतलब है कि सहरी और इफ्तार के लिए कई रोजेदारों की पहली पसंद फल ही होते हैँ। बताया जा रहा है कि मांग के अनुरूप फलों की आपूर्ति नहीं होने से रोजेदारों को सहरी और इफ्तार का सामान महंगा मिल रहा है।

बता दें कि इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक रमजान का पाक महीना नौवां महीना होता है। इसे माह-ए-रमजान भी कहा जाता है। ये महीना चांद को देखकर निर्धारित किया जाता है। सबसे पहले सऊदी अरब में रमजान का चांद दिखाई देता है। इसके एक दिन बाद भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित कई देशों में रमजान का चांद दिखाई देता है। सउदी अरब में 10 मार्च को रमजान का चांद नजर आने के बाद वहां पहला रोजा 11 मार्च को रखा गया। इसके एक दिन बाद भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित कई देशों में पहला रोजा रखा गया।

माह-ए-रमजान में इस्लाम धर्म को मानने वाले सभी लोगों के लिए रोजा रखना अनिवार्य माना जाता है। हालांकि बच्चों और शारीरिक रूप से अस्वस्थ लोगों को रोजा रखने के लिए छूट दी गई है। मान्यता है कि  रमजान के महीने में की गई इबादत का फल आम दिनों से सत्तर गुना ज्यादा हासिल होता है और महीने में 30 रोज़े रखकर अल्लाह की इबादत करने वालों का गुनाह माफ हो जाता है। 30 दिन रोज़े के बाद ईद की खुशियां मनाने का मौका मिलता है।

सहरी और इफ्तार के बारे में जानिए
रमजान के पाक महीने में हर दिन सूर्य उगने से पहले खाना खाया जाता है। इसे सहरी नाम से जाना जाता है। सहरी करने का समय पहले से ही निर्धारित कर दिया जाता है। दिनभर बिना खाए-पिए रोजा रखने के बाद शाम को नमाज पढ़ी जाती है और खजूर खाकर रोजा खोला जाता है। शाम को सूरज ढलने के बाद मगरिब की अजान होने पर रोजी खोला जाता है। इसे इफ्तार के नाम से जाना जाता है। इसके बाद सुबह सहरी से पहले तक खाया जा सकता है। भारत के अलग-अलग शहरों में सहरी और इफ्तार का समय अलग-अलग होता है।

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