CM आज पशुपालक ग्रामीणों, स्व-सहायता समूहों और गौठानों को ऑनलाइन जारी करेंगे 10.14 करोड़

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रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 18 फरवरी को पूर्वान्ह 11 बजे अपने निवास कार्यालय में गोधन न्याय योजना के राशि अंतरण कार्यक्रम के तहत पशुपालक ग्रामीणों, गौठानों से जुड़ी महिला समूहों और गौठान समितियों को 10 करोड़ 14 लाख रूपए की राशि ऑनलाइन जारी करेंगे, जिसमें 16 जनवरी से 15 फरवरी तक राज्य के गौठानों में पशुपालक ग्रामीणों, किसानों, भूमिहीनों से गोधन न्याय योजना के तहत क्रय किए गए गोबर के एवज में 5 करोड़ 62 लाख रूपए भुगतान तथा गौठान समितियों को 1.88 करोड़ और महिला समूहों को 2.75 करोड़ रूपए की लाभांश राशि शामिल हैं।  

यहां यह उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में ग्रामीणों से 2 रूपए की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है। राज्य में इस योजना की शुरूआत 20 जुलाई 2020 को हरेली पर्व से हुई थी। 15 जनवरी तक क्रय किए गए गोबर के एवज में गोबर बेचने वालों को 122.17 करोड़ रूपए का भुगतान भी किया जा चुका है। 18 फरवरी को गोबर विक्रेताओं को 5 करोड़ 62 लाख रूपए का भुगतान होने के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 127.79 करोड़ रूपए हो जाएगा। गौठान समितियों को भी 45.29 करोड़ रूपए तथा महिला स्व-सहायता समूहों 29.46 करोड़ रूपए राशि लाभांश की भुगतान किया जा चुका है। 

गौठानों में महिला समूहों द्वारा गोधन न्याय योजना के अंतर्गत क्रय गोबर से बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट प्लस एवं अन्य उत्पाद तैयार किया जा रहा है। महिला समूहों द्वारा 11 लाख 27 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तथा 4 लाख 60 हजार क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट खाद का निर्माण किया जा चुका है, जिसे सोसायटियों के माध्यम से शासन के विभिन्न विभागों एवं किसानों को रियायती दर पर प्रदाय किया जा रहा है। महिला समूह गोबर से खाद के अलावा गो-कास्ट, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां एवं अन्य सामग्री का निर्माण एवं विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं। गौठानों में महिला समूहों द्वारा इसके अलावा सब्जी एवं मशरूम का उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन एवं पशुपालन के साथ-साथ अन्य आयमूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिला समूहों को अब तक 51 करोड़ 36 लाख रूपए की आय हो चुकी हैं। राज्य में गौठानों से 11,477 महिला स्व सहायता समूह सीधे जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 77,077 है। गौठानों से जुड़ने और गोधन न्याय योजना से महिला समूहों में स्वावलंबन के प्रति एक नया आत्मविश्वास जगा है। गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत उत्पादन की शुरुआत की जा चुकी है। गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए एमओयू हो चुका है। 

राज्य में गोधन के संरक्षण और संर्वधन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। गौठानों में पशुधन देख-रेख, उपचार एवं चारे-पानी का निःशुल्क बेहतर प्रबंध है। राज्य में अब तक 10,591 गांवों में गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 8119 गौठान निर्मित एवं संचालित हैं। जिसमें से 2549 गौठान आज की स्थिति में स्वावलंबी हो चुके हैं। गोधन न्याय योजना से 2 लाख से अधिक ग्रामीण, पशुपालक किसान लाभान्वित हो रहे हैं। गोबर बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करने वालों में 44.98 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है। इस योजना से 97 हजार 529 भूमिहीन परिवार भी लाभान्वित हो रहे हैं।

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