All India Ambedkar Yuvak sandh: राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले के जन्म दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाए
लव इंडिया, मुरादाबाद। डॉ. अंबेडकर पार्क सिविल लाइन में अखिल भारतीय अंबेडकर युवक संघ के तत्वाधान में भारत की प्रथम महिला अध्यापिका क्रांति ज्योति राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले का 195 वां जन्मदिवस बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष महावीर प्रसाद मौर्य एवं संचालन राष्ट्रीय उपमहामंत्री रघुवीर सिंह ने किया तत्पश्चात एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता हरपाल सिंह बौद्ध ने विस्तार पूर्वक माता सावित्रीबाई फुले के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला।
राष्ट्रीय अध्यक्ष महावीर प्रसाद मौर्य ने अपने संबोधन में बताया कि हमारे देश में पहले महिलाओं और सूद्रो को पढ़ने का अधिकार नहीं था इसलिए माता सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिबा राव फूले से शिक्षा प्राप्त की तत्पश्चात उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर 1.1.1818 को बुधवार पेंठ पूना में पहला स्कूल खोलकर लड़कियों के लिए शिक्षा के द्वारा खोलें जिसमें प्रथम वर्ष में 6 लड़कियों ने शिक्षा प्राप्त करने के लिए एडमिशन लिया जिसमें चार लड़कियां ब्राह्मण परिवार से एक लड़की गडरिया परिवार से और एक लड़की कुर्मी पटेल समाज से थी।
इस प्रकार माता सावित्रीबाई फुले ने शिक्षा की ज्योति जलाई और 1852 तक 18 स्कूल खोलकर शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति कर दी माता सावित्रीबाई फूल के द्वारा लड़कियों को दी जा रही शिक्षा को उच्च कोटि का मानते हुए ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें पुरस्कृत किया गया तथा मुंबई के गवर्नर द्वारा ₹200 नगद और शाल भेंट कर सम्मानित किया गया इतना ही नहीं सावित्रीबाई फुले ने अनेक कुप्रथाओं को भी बंद कराया।
सावित्रीबाई फुले के द्वारा महिलाओं और शुद्रों के लिए जो ऐतिहासिक कार्य किए हैं उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता भारत का संपूर्ण बहुजन समाज माता सावित्रीबाई फुले का सदैव ऋणी रहेगा अंबेडकर संघ भारत सरकार से मांग करता है कि राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले के जन्म दिवस 3 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाये। कार्यक्रम में संघ के अध्यक्ष महावीर प्रसाद मौर्य हरपाल सिंह बौद्ध नेतराम सिंह रघुवीर सिंह मुकेश कुमार गौतम भयंकर सिंह बौद्ध विमल कुमार धीर जयप्रकाश सिंह ऋषिपाल सिंह प्रेम सिंह मेघराज सिंह इंद्रजीत बौद्ध ओपी सागर और सुरेश कुमार गौतम आदि मौजूद रहे।