दवाइयां और टीके बेअसर तो घुटनों का प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प, दो अप्रैल को वर्कशॉप में जानेंगे पीजी स्टुडेंट्स

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लव इंडिया, मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के ऑर्थो विभाग की ओर से नी रिप्लेंसमेंट पर दो अप्रैल को वर्कशॉप होगी। इसका शुभारम्भ प्रातः 10 बजे निदेशक प्रशासन श्री अभिषेक कपूर करेंगे। मेडिकल कॉलेज की प्राचार्या प्रो. श्यामोली दत्ता, मेडिकल सुप्रीटेंडेंट प्रो. अजय पंत, वाइस प्रिंसिपल प्रो. एसके जैन, डिप्टी एमएस प्रो. वीके सिंह आदि की भी गरिमामयी मौजूदगी रहेगी।

इस वर्कशॉप में चार प्लेटफॉर्म के जरिए आर्टिफिशियल हड्डियों पर ऑपरेशन प्रक्रिया को बताया जाएगा। वर्कशॉप में ऑर्थो विभाग के पोस्ट ग्रेजुएट रेजिडेंस भाग लेंगे। आर्थो विभाग के एचओडी प्रो. अमित सर्राफ वर्कशॉप से पूर्व व्याख्यान देंगे। वर्कशॉप में डॉ. सुधीर सिंह, डॉ. मनमोहन शर्मा, डॉ. प्रखर अग्रवाल, डॉ. संदीप विश्नोई, डॉ. हितेन्द्र कुमार, डॉ. अल्ताफ हुसैन, डॉ. वकुल महीपाल, डॉ. शुभम अग्रवाल, डॉ. अकित नारंग की भी उल्लेखनीय मौजूदगी रहेगी।

वर्कशॉप में डेमो पर प्रैक्टिकल से पूर्व घुटनों की हड्डियों के रोगों पर विस्तार से प्रकाश डाला जाएगा। उल्लेखनीय है, भारत में एक उम्र के बाद बुजुर्गों को घुटनों की गठिया की आम शिकायत होती है। ऑर्थो के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रखर अग्रवाल के अनुसार बढ़ती उम्र के साथ घुटनों के गठिया का जोखिम तेजी से बढ़ता है। जब दवाइयां और घुटनों के टीके बेअसर हो जाते हैं तो घुटनों का प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प बचता है। पीजी रेजिडेंस डॉ. वनीत अरोड़ा और डॉ. दिव्यम जिंदल ने बताया, घुटनों का प्रत्यारोपण एक जटिल प्रक्रिया है। इसीलिए इसको समझाने के लिए पीजी स्टुडेंट्स के लिए यह वर्कशॉप कराई जा रही है। लोगों में भ्रम है कि घुटना प्रत्यारोपण सफल प्रक्रिया नहीं है, जबकि सच यह है, कि इस प्रक्रिया के बाद व्यक्ति रोजमर्रा की प्रक्रिया को मुकम्म्ल तौर पर कर सकता है। सफल ऑपरेशन के बाद दर्द की कोई शिकायत नहीं रहती है।

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