किसी पिछड़े को कांग्रेस प्रदेश का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए: लौटनराम निषाद

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गाँधी परिवार पर ऊंगली उठाने वाले सिराज मेंहदी बताएं:उनके बूथ पर कांग्रेस प्रत्याशी को कितने वोट मिले? सिराज मेंहदी चर्चा में आने के लिए हमेशा करते हैं गलत बयानबाजी”बाई पोलर इलेक्शन के साथ पदाधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैया से कांग्रेस को मिला कम वोट
लव इंडिया, लखनऊ। राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव व कांग्रेस पार्टी के नेता चौधरी लौटनराम निषाद ने कांग्रेस के पक्ष में कम वोट मिलने का कारण बाई पोलर इलेक्शन व पार्टी पदाधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैया को दोषी माना। उन्होंने कहा कि स्वयं प्रत्याशी होने के नाते स्पष्टीकरण मिला कि जिला,विधानसभा,ब्लॉक वी ग्राम पंचायत स्तरीय संगठन सिर्फ कागजी है और कमेटी की सिर्फ खानापूर्ति है।जो तथाकथित पदाधिकारी दिखे,वे सिर्फ लूट खसोट करने व प्रत्याशी को नोचने वाले मिले।बूथ एजेंट बनने के लिए मारा मारी रही,पर बूथ पर उनकी उपस्थिति नदारत रही।

उन्होंने पूर्व एम एल सी सिराज मेंहदी के बयान को बकवास बताते हुए कहा कि वे चर्चा में रहने के लिए हमेशा पार्टी नेतृत्व के प्रति उलूल जुलूल बयान देते रहते हैं।गांधी परिवार की अगुआई में ही पंजाब,राजस्थान,मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़,कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनी,गुजरात,गोवा, मनीपुर आदि राज्यों में पिछले चुनाव में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया।उत्तर प्रदेश के चुनाव में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव व उत्तर प्रदेश की प्रभारी बहन प्रियंका गांधी व छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बगल जी की मेहनत के अनुरूप परिणाम नहीं मिला तो इनका दोष नहीं,बल्कि मठाधीशी करने वाले व कांग्रेस के बड़ा नेता बनने वाले दोषी हैं। गाँधी परिवार के साए से कांग्रेस को बाहर आने का सुझाव देने वाले सिराज मेंहदी बताएं कि उनके बूथ पर कांग्रेस को कितना वोट मिला?


“कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी जी,छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी,राजेश तिवारी जी,प्रदेश अध्यक्ष आदि पर उँगली उठाने वाले अपनी कमियों पर परदा डालने का कर रहे दुस्साहस”
ग्राम,बूथ,न्याय पंचायत स्तर पर संगठन की मजबूती प्रदेश व जिला के पदाधिकारियों पर निर्भर है, न कि प्रियंका जी,सोनिया जी,राहुल जी व भूपेश बघेल जी की है। पार्टी संगठन एक परिवार होता है,पार्टी के खराब प्रदर्शन का दोष सिर्फ नेतृत्व को देना गलत व गैर जिम्मेदाराना है।
“पूर्वांचल,पश्चिमांचल,मंध्यांचल,बुंदेलखंड,रुहेलखंड,विंध्य क्षेत्र का क्षेत्रीय संगठन बनाकर उस क्षेत्र की प्रभावी जाति के नेता को क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाया जाए।” लोधी,निषाद, बिंद,कुशवाहा/मौर्य/शाक्य,यादव,कुर्मी,कश्यप आदि के साथ माइक्रो सोशल इंजीनियरिंग के तहत वंचित वर्गों को संगठन में प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। निषाद ने कहा कि अपनी खामियों को छिपाने के लिए नेतृत्व पर उंगली उठाने की बजाय कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर आत्ममंथन के साथ सौहार्द्र पूर्ण तरीके से विश्लेषण कर आम सहमति से भावी कार्ययोजना तय की जानी चाहिए।1989 से कांग्रेस का प्रदर्शन खराब होता आ रहा है,जिसका कारण गांधी परिवार नहीं,प्रदेश के नेताओं की लापरवाही जिम्मेदार है।2009 में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन कर 21 सीटें जीता था,जिसका कारण था किसानों की ऋण मांफी का वायदा,जिसे किसानों ने मजबूती से अपनाया।प्रियंका गांधी जी ने जो घोषणा पत्र तैयार किया था, वह अबतक का सबसे उम्दा घोषणा पत्र था,जिसे हमारे नेता जनता तक नहीं पहुंचा पाए।कांग्रेस के ही घोषणा पत्र की नकल भाजपा व सपा ने किया।

उन्होंने उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रदेश अध्यक्ष किसी मजबूत जातिगत आधार वाले पिछड़े को बनाने का प्रस्ताव करते हुए पूर्वांचल,मध्यांचल,पश्चिमांचल,बुंदेलखंड,रुहेलखंड,विंध्य क्षेत्र का क्षेत्रीय अध्यक्ष उस क्षेत्र में मजबूत जनाधार वाली जाति का बनाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया है। निषाद ने कहा कि जिन्हें कांग्रेस से प्रेम हो,देश संविधान,लोकतंत्र व सामाजिक न्याय की चिंता हो,वे नेतृत्व पर टिप्पणी करने की बजाय सकारात्मक सुझाव पार्टी फोरम पर रखें।उन्होंने कहा कि इस चुनाव में पार्टी के जिम्मेदार व्यवस्था कांग्रेस का लेते थे,पर प्रचार भाजपा व अपनी जाति के दूसरे दलों के प्रत्याशियों का किए।उन्होंने कहा कि हम स्वयं प्रत्याशी थे,इसलिए निचले स्तर पर संगठन की स्थिति व चाल चरित्र का अच्छा अनुभव हो गया।बूथ के बस्ता के लिए मारामारी रही,पर ईमानदारी वे अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाए,पैसा रख लिए बस्ता फेंक दिए।एक ब्लॉक अध्यक्ष 20 बूथ का बस्ता व पैसा ले गया।पैसा ले लिया और बस्ता रास्ते में ही फेंक दिया।हमारे एक यादव मित्र ने फेका हुआ बस्ता देखकर फोन किया।जब उस ब्लॉक अध्यक्ष के घर गया तो घर में छिप गया।जो भी पदाधिकारी बूथ का बस्ता व पैसा ले गए,90 प्रतिशत कसम खाने के लिए भी वोट नहीं दिए।आज महसूस हो रहा है कि पदाधिकारियों के चक्कर में न पड़कर अपने तरीके से चुनाव लडा होता तो सम्मानजनक वोट मिला होता।इनके चक्कर में समय व पैसा दोनों बर्बाद हुआ और उनकी रवैया से अपना आधार वोट भी खिसक गया।

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