उमड़ा चाहने वालों का हुजूमः बेगम के बराबर में सुपुर्देखाक किए गए डॉ. शफीकुर्रहमान वर्क
लव इंडिया, मुरादाबाद। संभल की आन बान और शान और हमेशा गरीबों की आवाज बुलंद करने वाले डॉ. शफीकुर्रहमान वर्क हमेशा के लिए सो गए। उन्हें बुधवार की सुबह हसनपुर रोड स्थित पारिवारिक कब्रिस्तान में दफन किया गया। उन्हें ठीक उसी जगह के बराबर में सुपुर्देखाक किया गया जहां उनकी बेगम की कब्र है।
मालूम हो कि सपा सांसद डॉक्टर शफीकुर्रहमान रहमान वर्क लंबे समय से बीमार थे और मुरादाबाद के कांठ रोड स्थित सिद्ध हॉस्पिटल में भर्ती थे, जहां मंगलवार की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली थी। उनके इंतकाल की खबर सुनकर दीपा सराय स्थित आवास पर समर्थकों और शुभचिंतकों की भीड़ लगी हुई थी। उनके सबको अंतिम दर्शनों के लिए शरीर पैलेस में रखा गया था।
बुधवार की सुबह डॉक्टर शफीकुर्रहमान वर्क की अंतिम महा यात्रा शुरू हुई तो जन सैलाब उमड़ पड़ा। हर आंख नम थी और चौतरफा पाक गम का माहौल था। इससे पहले डॉक्टर वर्क को प्रशासन की तरफ से अंतिम सलामी दी गई। इसके बाद जैसे ही डॉक्टर वर्क का जनाजा उठा तो रोने के साथ-साथ चीख-पुकार की आवाजें गूंज उठी और डॉक्टर वरक अपनी 94 साल की आयु पूरी करने के बाद आखिरी महायात्रा पर चल दिए। इस दौरान पूरे रास्ते पर दोनों तरफ डॉक्टर वर्क के चाहने वालों की आंखों में आंसू नजर आ रहे थे।
जनाजा हसनपुर रोड हिंदूपुर खेड़ा दरिया सिर स्थित पारिवारिक कब्रिस्तान में पहुंचा जहां पहले से ही कब्र खुदी हुई थी। यह कब्र ठीक उस जगह के बराबर में थी जहां बरसों पहले से डॉक्टर शफीकुर्रहमान वर्क की बेगम सुपुर्देखाक हैं। फिलहाल आंसू पूर्ण नेत्रों के बीच डॉक्टर वर्क को सुपुर्देखाक किया गया। इसी के साथ मुसलमानों की आवाज उठाने वाले और संभल के अवाम के दुख दर्द में साथ रहने वाले डॉक्टर वर्क हमेशा हमेशा के लिए गहरी नींद में सो गए।
कौम-ओ-मिल्लत के पैरोकार, खांटी राजनीतिक डा. शफीकुर्रहमान बर्क धुन के पक्के थे। सियासी सवालों पर बेलाग बोलने के लिए जाने जाते थे। डर की जिंदगी में कही ठौर नहीं रखा। जो कहना था, उसे मंच से कहा और पीछे नहीं हटे। देश की चर्चाओं में कई बार विवादों में भी आए लेकिन, जिस विषय को उठाया, उसे लेकर कोई अफसोस नहीं जताया।