मुख्यमंत्री जी ! ऐसा भी होता है सीएमओ ऑफिस में …

Uttar Pradesh अपराध-अपराधी खाना-खजाना टेक-नेट तेरी-मेरी कहानी युवा-राजनीति

लव इंडिया, मुरादाबाद। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के कारनामे भी अजीबोगरीब है, वह सरकार के आदेशों को नजरअंदाज करके मनमर्जी काम करने से किसी से नहीं डरते। जी हॉ, चौकिए मत, हम आपको ऐसे ही एक कारनामे से रुबरु करा रहे है।

मामला सीएमओ कार्यालय मुरादाबाद से जुड़ा है। सीएमओ कार्यालय में अखिलेश सिंह स्टेनो हैं और मेरठ जिले के रहने वाले हैं और यही उनकी दिक्कत है कि वह ज्यादा भाग-दौड़ नहीं करते। इसलिए अपनी मर्जी के मुताबिक कार्यालय आते हैं और कार्यालय में बैठने के सिवाय कुछ नहीं करते और शाम के पांच बजते ही चले जाते हैं।

विभागीय सूत्रों की मानें तो इनके पटल के समस्त कार्य एक संविदा कर्मी करता है जिसकी असल तैनाती पंडित दीनदयाल उपाध्यक्ष मंडलीय जिला संयुक्त चिकित्सालय, मुरादाबाद में है और हर महीने ठेके पर दिये गये सरकारी पटल की कमाई की बंदरबांट संबंधित नोडल अधिकारी से कर लेते है। यह सब दो साल से चल रहा है। इसलिए मामले को जानते हुए भी सभी ने आंखें बंद की हुईं हैं। मजेदार बात यह है कि इस संविदा कर्मी की तैनाती एनसीडी सेल में 2016 में हुई थी। कोविड -19 के समय इस संविदा कर्मी को डाटा कलेक्ट करने के लिए लगाया गया था। इसी बीच अखिलेश सिंह (स्टैनों) की दोस्ती संविदा कर्मी से हो गई। असल में ये संविदा कर्मी जिले भर की सीएचसी-पीएचसी में एनसीडी के तहत डाटा कलेक्ट करने के लिए रखा गया था।

फिलहाल इस संबंध में संबंध स्टैनो से बात करने की गई तो उन्होंने कहा कि उच्चाधिकारियों द्वारा ही मेरे स्थान पर संविदा कर्मी की तैनाती की गई है। यह खेल मेरी अनुमति के बिना हुआ है। तत्कालीन सीएमसी डॉ. एमसी गर्ग और झोलाछाप के नोडल अधिकारी डॉ. संजीव बेलवाल की जुगलबंदी से यह सब हुआ है क्योंकि, मैं अपने सरकारी पटल का उपयोग निष्पक्ष और ईमानदारी से कर रहा था जो मेरे सीनियर को पसंद नहीं आया और मेरे स्थान पर जिस संविदा कर्मी को लगाया गया है, वह चतुर और चालाक है।

बोले- दिनभर नोडल अधिकारी के संग ही प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम, लैब, एक्सरे सेंटरों पर धूमधाम रहता है और उसी के हाथ में पूरा चार्ज नोडल अधिकारी ने रखा है जैसे अवैध अस्पतालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराना, सील करना और फिर खोलने की जिम्मेदारी भी उसी को दे रखी है। मैं तो सिर्फ एक मोहरा हूं जबकि शासनादेश यह है कि किसी भी संविदा कर्मी का स्थानांतरण दूसरे पटल पर नहीं किया जाएगा। लेकिन शिकायत क्यों नहीं करते… के सवाल पर कहा कि सभी जानते हैं कि छोटी मछली, बड़ी मछली को खा जाती है।

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