संत रैदास जी की वाणी भक्ति भावना, समाज हित व मानव प्रेम की थी : बंश बहादुर

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लव इंडिया मुरादाबाद रविवार को डॉ0 अंबेडकर मेमोरियल कमेटी उ0प्र0( रजि0) के तत्वाधान में प्रांतीय कार्यालय सराय काजी मुरादाबाद पर परम ज्ञानी संत, संत शिरोमणि सतगुरु रविदास जी का जन्मोत्सव कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ मनाया गया l

इस अवसर पर गुरु रविदास जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रांतीय अध्यक्ष रूप सिंह भारती तथा सफल संचालन प्रांतीय कोषाध्यक्ष बंश बहादुर ने किया l विचार गोष्ठी का शुभारंभ सभी पदाधिकारियों द्वारा गुरु रविदास जी के तस्वीर पर माल्यार्पण तथा श्रद्धा सुमन अर्पित कर एवं बुद्ध वंदना के द्वारा किया गया l तत्पश्चात वक्ताओं के द्वारा गुरु रविदास जी के विचारों ,आदर्शों और समाज और देश के उत्थान के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयासों पर विस्तार से विचार व्यक्त किए गए l

अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रांतीय कोषाध्यक्ष वंश बहादुर ने कहा कि संत गुरु रविदास जी की वाणी भक्ति की सच्ची भावना समाज के व्यापक हित की कामना तथा मानव प्रेम से ओतप्रोत होती थी इसलिए उसका श्रोताओं के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता था उनके भजनों तथा उपदेशों से लोगों को ऐसी शिक्षा मिलती थी जिससे उनकी शंकाओं का संतोषजनक समाधान हो जाता था और लोग स्वतः ही उनके अनुयाई बन जाते थे उनके विचारों से प्रभावित होकर कई बड़ी हस्तियां भी उनके अनुयाई बनी, साथ ही उन्होंने कहा कि संत रविदास जी एक ऐसा समाज चाहते थे जिसमें सभी का सम्मान हो सभी को बराबरी का हक मिले l

उन्होंने लिखा कि ” जाति जाति में जाति है जो केतन को पात, रैदास मानुष न जुड़ सकें जब तक जाति न जात l वह जात पात के विरोधी थे तथा ऐसा राज चाहते थे जहां समता हो , बंधुता हो ,समानता हो, अपनत्व की भावना हो l संत रविदास जी के विचार अनुकरणीय हैं l

प्रांतीय अध्यक्ष रूप सिंह भारती ने संत शिरोमणि गुरु रविदास जी के दोहे से अपनी बात प्रारंभ किया और उनके व्यक्तित्व कृतित्व पर प्रकाश डाला ” ऐसा चाहूं राज मैं जहां मिले सबन को अन्न , छोट बड़े सब सम बसें , रैदास रहे प्रसन्न ” के भावार्थ से ही उनकी महानता को समझा जा सकता है वह समाज को बराबरी का दर्जा दिलाना चाहते थे ताकि समाज की एकता और अखंडता मजबूत हो ,सभी में प्रेम हो, भाईचारा हो, समानता हो, सभी के लिए न्याय हो, इसी सार के आधार पर बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी ने भी संविधान को लिखा और सभी के लिए व्यवस्थाएं दी l

पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष वीर सिंह जी ने संबोधित करते हुए कहा की संत गुरु रविदास जी ने अपने दोहों से समाज को झूठ, पाखंड ,आडंबर और अंधविश्वास से दूर करने का प्रयास किया उन्होंने कहा कि मन चंगा तो कठौती में गंगा l अतः व्यक्ति का मन तथा हृदय अगर शुद्ध होगा तो वह व्यक्ति पवित्र होगा ।

इस अवसर पर प्रमुख रूप से कमेटी के संस्थापक इंजीनियर रामचंद्र सागर ,आर0 पी0 सिंह, बी0आर0 सागर, हरिओम सागर, डॉ0 कैलाश कुमार, राधे कृष्ण, विजय कुमार, विनोद कुमारी, कमलेश सागर, काजल सागर, हरजीत सिंह दिवाकर, मनमोहन सिंह ,बृजनंदन, वेद राम , प्रेमचंद अशोक कुमार निमेष आदि से उपस्थित रहे l

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