पाप और पुण्य ही हमारे सुख दुख का आधार हैं: अर्द्धमौनी
लव इंडिया, मुरादाबाद। देहली रोड, बुद्धि विहार में आयोजित भजन सन्ध्या में कथा व्यास धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि जब तक तुम्हें जगत् में ममता और भगवान् से लापरवाही है, तबतक तुम्हारे बन्धन नहीं कटेंगे। जबतक तुम्हें अभिमान से मित्रता और विनय से शत्रुता है, तबतक तुम्हें सच्चा आदर नहीं मिलेगा। आपके घर में जब तक कोई पुण्य शाली व्यक्ति रहता है, तब तक आपके घर में कोई नुकसान नहीं कर सकता। जब तक विभीषण जी लंका में रहते थे, तब तक रावण ने कितना भी पाप किया, परन्तु विभीषणजी के पुण्य के कारण रावण सुखी रहा । परंतु जब विभीषणजी जैसे भगवत वत्सल भक्त को लात मारी और लंका से निकल जाने के लिए कहा, तब से रावण का विनाश होना शुरू हो गया और अंत में रावण की सोने की लंका का दहन हो गया और रावण के पीछे कोई रोने वाला भी नहीं बचा।
कथा व्यास धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि ठीक इसी तरह हस्तिनापुर में जब तक विदुरजी जैसे भक्त रहते थे, तब तक कौरवों को सुख ही सुख मिला, परंतु जैसे ही कौरवों ने विदुरजी का अपमान करके राज्यसभा से चले जाने के लिए कहा और विदुर जी का अपमान किया, तब भगवान श्री कृष्ण जी ने विदुरजी से कहा कि काका आप अभी तीर्थ यात्रा के लिए प्रस्थान करिए और भगवान के तीर्थ स्थानों पर यात्रा करिए और भगवान श्री कृष्णजी ने विदुरजी को तीर्थ यात्रा के लिए भेज दिया और जैसे ही विदुर जी ने हस्तिनापुर को छोड़ा, कौरवों का पतन होना चालू हो गया और अंत में राज भी गया और कौरवों के पीछे कोई कौरवों का वंश भी नहीं बचा।
कथा व्यास धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि इसी तरह हमारे परिवार में भी जब तक कोई भक्त और पुण्य शाली आत्मा होती है, तब तक हमारे घर में आनंद ही आनंद रहता है। इसलिए भगवान के भक्त जनों का अपमान कभी ना करें। हम जो कमाई खाते हैं वह पता नहीं किसके पुण्य के द्वारा मिल रही है। इसलिए हमेशा आनंद में रहें, और कोई भक्त, परिवार में भक्ति करता हो तो उसका अपमान ना करें, उसका सम्मान करें, और उसके मार्गदर्शन मे चलने की कोशिश करें। पता नहीं संसार की गाड़ी किस के पुण्य से चलती है।
कथा व्यास धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि ईश्वर, शास्त्र, गुरु के प्रति समर्पित रहें। धर्म की जड़ जहाँ होगी वहाँ अशुभ कर्म आने से डरेंगे। माता-पिता, बड़े बुजुर्गों और अतिथि का हमेशा सम्मान करें और सद्गुरु के बताए अनुसार जीवन जियें और भगवान की भक्ति करते रहें। जैसे लोभी व्यापारी का एक मात्र ध्येय रुपया पैदा करना है और इक्कठा करना होता है और वह जैसे निरन्तर उसी ध्येय को ध्यान में रखकर सब काम करता है, ठीक इसी प्रकार भगवत्प्रेम का लक्ष्य बनाकर हमें रामनाम रुपी सच्चा धन एकत्र करना चाहिये।
कार्यक्रम में श्रीमती ओमवती देवी, श्याम लाल सिंह, डॉ. सी पी सिंह, श्रीमती सीमा सिंह, डॉ. यशवीर सिंह, डॉ. राहुल सिंह, डॉ. करिश्मा सिंह, डॉ. दीक्षा सिंह, डी पी सिंह, रीना सिंह, जोगराज सिंह, डॉ. अंकित सिंह, जगदीश सिंह, रामचन्द्र सिंह, आदित्य सिंह आदि ने सहभागिता की।