संभल तीर्थ परिक्रमा के संस्थापक व हिंदू जागृति मंच के पूर्व अध्यक्ष डीके शर्मा की पुण्यतिथि पर काव्य-उत्सव

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लव इंडिया, संभल। हिन्दू जागृति मंच के बैनर तले कोट पूर्वी स्थित मलय धाम में, प्रसिद्ध समाजसेवी एवं हिंदू जागृति मंच के पूर्व अध्यक्ष डीके शर्मा की पुण्यतिथि पर काव्य-उत्सव का आयोजन किया गया जिसका प्रारम्भ मां शारदे की स्तुति से, नेहा मलय ने किया। भारत माता एवं मां सरस्वती के चित्र पर, मलयकांति शर्मा, अनन्त कुमार अग्रवाल,अजय कुमार शर्मा, ने दीप प्रज्ज्वलित किया। कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्रीय उप अध्यक्ष राजेश सिंघल उपस्थित हुए। उन्होंने शर्मा जी को समाज हित समर्पित बताया।

मुख्यवक्ता शिवशंकर शर्मा ने श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए डी के शर्मा के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला। कहा कि उन्होंने हिंदू जागृति मंच के माध्यम से सामाजिक, शैक्षिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक जागृति हेतु अपना जीवन समर्पित किया। सरल व विराट व्यक्तित्व के धनी, शर्मा जी ने गरीबों एवं जरूरतमंदों के लिए जीवन पर्यंत काम किया।

हिंदू जागृति मंच के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार शर्मा ने कहा कि संभल की ऐतिहासिक 24 कोसीय परिक्रमा जो लगभग 30 वर्षों से विलुप्त हो गई थी उसकी पुनर्स्थापना एवं प्रचलन कठिन परिस्थितियों में भी हिंदू जागृति मंच के माध्यम से किया गया। जिसका पूरा श्रेय संगठन के अध्यक्ष होने के नाते डी के शर्मा को जाता है।मुरादाबाद से आए ओजकवि राजीव प्रखर ने कहा-“छुरी सियासत से कहे, चिन्ता का क्या काम।मुझे दबाकर काॅंख में, जपती जा हरिनाम।

चन्दौसी से आईं कवयित्री दुर्गा टंडन ने सुनाया-“अंगार से भर ले हृदय, यदि करना है नव सृजन।तुझे अवतार बनना पड़ेगा, विध्वंस से प्रथम।।”मुरादाबाद से आई वरिष्ठ कवयित्री डॉ पूनम बंसल ने पढ़ा -“आज कोख मां की है बिकती, ममता है बाजारों में।घर आंगन भी बंटा हुआ है,लालच की दीवारों में।

“कवि सुखपाल सिंह गौर ने सुनाया-“सबके मनमीत बन कर रहो,प्यार का गीत बन कर रहो।सभी के दिलों में समा जाए जो,ऐसा संगीत बनकर रहो।।”वरिष्ठ साहित्यकार सुभाष चन्द्र शर्मा ने सुनाया-“कर्मयज्ञ की समझ महत्ता, जो दाग देश के धोता है।मातृभूमि को रहे समर्पित,नाम उन्हीं का होता है।

“पवांसा के ज्ञानप्रकाश उपाध्याय ने पेश किया-”सारे नाते पल में यूं ही टूट जाते हैं।जिंदगी के सफर में साथी रूठ जाते हैं।।”व्यंग्य कवि अतुल कुमार शर्मा ने प्रस्तति दी-“रे दर्द! कुछ तो कम कर, भाव अपने मुझे देख कर।मैं रोज का ग्राहक हूं तेरा,मत खा मुझ पर रोटी सेककर।।”गुंजा गुप्ता, शालिनी रस्तोगी, श्री कृष्ण शुक्ल ने भी देशभक्ति की रचनाएँ प्रस्तुत कीं।

इस अवसर पर दुष्यन्त मिश्रा, ज्वाला प्रसाद शर्मा,अमित कुमार शुक्ला, युवराज मलिक, शालिनी रस्तोगी, शशिकांत गोयल, डॉ वीरेंद्र कुमार गुप्ता, कमल कांत तिवारी, कशिश कौशल, सुभाष चंद्र मोंगिया, अरुण कुमार अग्रवाल, श्याम शरण शर्मा, सिद्धांत त्रिवेदी आदि लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता नेहा मलय ने व संचालन सुबोध कुमार गुप्ता ने किया।

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