ऐसे लक्षणों का मतलब हो रही है ब्लड क्लॉटिंग, तुंरत हो जाइए अलर्ट वरना जानलेवा समस्याओं के हो सकते हैं शिकार

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हमारा शारीरिक तंत्र इस तरह से निर्मित है कि सामान्यतौर पर छोटी-मोटी समस्याओं को वह स्वयं ही ठीक कर लेता है। चोट लगने या घाव हो जाने पर कुछ समय बाद खून बहना अपने आप ही बंद हो जाता है, इसके पीछे रक्त के थक्का बनने की प्रक्रिया का योगदान माना जाता है। रक्त के थक्के बनने के कारण खून बहना बंद हो जाता है, लेकिन जब शरीर में अनावश्यक रूप से थक्के बनने लगते हैं तो इस स्थिति को सेहत के लिहाज से काफी चुनौतीपूर्ण और जोखिम वाला माना जाता है। रक्त के थक्कों की संख्या अगर बढ़ रही है तो इसके कारण कुछ स्थितियों में जानलेवा समस्याएं भी हो सकती हैं।
रक्त वाहिकाओं में होने वाली ब्लड क्लॉटिंग की समस्या के कारण अंगों को पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं मिल पाता है, जिसके कारण स्ट्रोक या दिल का दौरा पड़ सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक सभी लोगों को इसके लक्षणों को लेकर विशेष सतर्कता बरतते रहना चाहिए, जिससे किसी गंभीर समस्या को पहले ही पहचानकर उसका समय पर उपचार किया जा सके।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक शरीर में ब्लड क्लॉटिंग की स्थिति में कुछ लक्षण दिखने लगते हैं जिनके बारे में सभी लोगों को जरूर जानना चाहिए। ऐसे लक्षणों पर समय रहते ध्यान देकर गंभीर समस्याओं के जोखिम को कम किया जा सकता है। आइए इन लक्षणों के बारे में जानते हैं।
हाथ या पैर में ब्लड क्लॉटिंग होना सबसे सामान्य माना जाता है। इस स्थिति में दर्द, सूजन और त्वचा का रंग लाल-नीला पड़ सकता है। पैरों में इस तरह की समस्या का जोखिम अधिक होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक विशेषकर यदि चोट लगने के बाद लंबे समय तक त्वचा पर लालिमा या नीला रंग नजर आता रहे तो इस बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए। इसे ब्लड क्लॉटिंग का संकेत माना जा सकता है।
ब्लड क्लॉटिंग के कारण ऑक्सीजन युक्त रक्त का प्रवाह, प्रभावित हो सकता है, जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत महसूस हो सकती है। यदि आपको भी अस्पष्ट कारणों के चलते पिछले कुछ समय से सांस की समस्याओं का अनुभव होता आ रहा है तो इस बारे में डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
फेफड़े में बनने वाले रक्त के थक्कों के कारण सांस लेने में जटिलता आ सकती है, इस पर अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो गंभीर स्थितियों में यह जानलेवा समस्याओं का भी कारण बन सकती है।
रक्त के थक्कों के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि रक्त का थक्का शरीर के किस हिस्से में है। शुरुआती संकेत पर ध्यान देकर स्थिति को गंभीर रूप लेने से बचाया जा सकता है।
पेट में पेट में दर्द, जी मिचलाना और उल्टी।
फेफड़ों में सांस की तकलीफ, गहरी सांस लेने में दर्द और हृदय गति में वृद्धि।
मस्तिष्क में बोलने में परेशानी, दृष्टि संबंधी समस्याएं, दौरे पड़ना, शरीर में लकवा या सिरदर्द की समस्या।
हृदय में सीने में दर्द, बहुत अधिक पसीना आना, सांस की तकलीफ, बाएं हाथ में दर्द।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अगर दिनचर्या और खानपान पर ध्यान दे दिया जाए तो रक्त के थक्के बनने जैसी दिक्कतों से बचाव किया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले एक ही स्थान पर ज्यादा देर बैठे रहने की आदत छोड़िए। थोड़ी-थोड़ी देर पर इधर-उधर घूमना बहुत आवश्यक है।
नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि, व्यायाम-योग की आदत बनाएं। धूम्रपान जैसी आदतों से परहेज करें, इसके कारण जटिलताएं बढ़ सकती हैं। सबसे खास बात, स्वस्थ वजन पर विशेष ध्यान दें, अधिक वजन वालों में ब्लड क्लॉटिंग का जोखिम बढ़ जाता है।

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