नई मुसीबत: लौट आया कोविड से जुड़ा यह ‘जानलेवा संक्रमण

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भारत में रिपोर्ट किए गए ब्लैक फंगस के केस
पिछले दो साल से अधिक समय से वैश्विक स्तर पर जारी कोरोना महामारी के नए मामलों में पिछले कुछ हफ्तों से एक बार फिर उछाल देखा जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में सामने आ रहे ज्यादातर कोरोना संक्रमितों को ओमिक्रॉन या उसके सब-वैरिएंट्स का शिकार पाया जा रहा है। अध्ययनों में ओमिक्रॉन को अत्याधिक संक्रामकता वाला कोरोना वैरिएंट बताया जा रहा है, जिसने देशभर में एक बार फिर से चिंता बढ़ा दी है। कोरोना के मामलों में वृद्धि और वैरिएंट की संक्रामकता के आधार पर कई रिपोर्ट्स में देश में चौथी लहर की आशंका भी जताई जा रही है। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच देश के कुछ हिस्सों से मिल रही अन्य प्रकार के संक्रमण की खबरों ने विशेषज्ञों के लिए मुसीबतों को और भी बढ़ा दिया है।
हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कर्नाटक के एक अस्पताल में ब्लैक फंगस के चार संक्रमितों की पुष्टि की गई है। ब्लैक फंगस जिसे म्यूकोरमाइकोसिस के नाम से भी जाना जाता है, यह एक गंभीर फंगल संक्रमण है, जिसके लक्षण विशेषकर आंख, नाक और मस्तिष्क के हिस्सों में देखे जाते हैं। म्यूकोरमाइकोसिस के कारण मृत्युदर अधिक माना जाता है। समय पर इस संक्रमण का इलाज न हो पाने की स्थिति में मृत्युदर का जोखिम 60 फीसदी तक हो सकता है।
कर्नाटक के बैंगलोर में मिले ब्लैक फंगस के केस ने अन्य राज्यों को भी अलर्ट कर दिया है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान संक्रमण के शिकार रहे कुछ लोगों में म्यूकोरमाइकोसिस के मामले देखे गए थे। आइए आगे इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बैंगलोर के एक अस्पताल में भर्ती चार मरीजों में ब्लैक फंगस संक्रमण के लक्षण दिखे हैं। अस्पताल के विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमितों में म्यूकोरमाइकोसिस और एस्परगिलम के संकेत देखे गए हैं, हालांकि एस्परगिलम की तुलना में म्यूकोरमाइकोसिस अधिक गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। चारों संक्रमितों की मार्च-अप्रैल के दौरान सर्जरी की गई थी।
ही इन चारों संक्रमितों के बारे में जारी रिपोर्ट में डॉक्टर्स कहते हैं कि चूंकि किसी में भी कोविड-19 के लक्षण नहीं हैं, ऐसे में आरटीपीसीआर टेस्ट की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा जिस तरह से पहली-दूसरी लहर के दौरान मधुमेह और ऑक्सीजन सिलेंडरों को साझा करने जैसे जोखिम कारकों के चलते इस संक्रमण के केस बढ़े थे, आश्चर्यजनक रूप से इन चारों में ऐसे जोखिम कारक भी नहीं हैं।
म्यूकोरमाइकोसिस का खतरा
म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस, एक प्रकार का गंभीर फंगल संक्रमण होता है। आमतौर पर इम्यूनोसप्रेसिव दवाइयों का सेवन करने वाले लोगों में इस संक्रमण का खतरा अधिक पाया जाता है, ऐसी दवाइयां शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देती हैं, इससे पर्यावरणीय रोगजनकों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है।
मधुमेह जैसी बीमारियों के शिकार लोगों में इस संक्रमण का जोखिम अधिक होता है। कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान स्टेरॉयड दवाओं के अधिक प्रयोग के कारण म्यूकोरमाइकोसिस के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई थी। इसमें संक्रमितों का समय पर इलाज जरूरी होता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, म्यूकोरमाइकोसिस का संक्रमण कई प्रकार से शरीर को प्रभावित कर सकता है, हालांकि इसके सबसे ज्यादा लक्षण आंखों और नाक पर देखने को मिलते हैं। संक्रमितों को बुखार, सिरदर्द, कफ, सांस लेने में कठिनाई, आंखों और नाक के आसपास दर्द और लालिमा, कुछ लोगों को उल्टी के साथ खून आने की दिक्कत हो सकती है।
कुछ रोगियों में चेहरे पर सूजन की भी समस्या हो सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह फंगस हमारे वातावरण में हमेशा मौजूद रहता है। जब हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है तो यह फंगस शरीर पर हमला कर देता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ स्थितियां आपमें म्यूकोरमाइकोसिस के जोखिम को बढ़ा देती हैं, जैसे स्टेरॉयड दवाओं का अधिक सेवन, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली आदि। कोविड-19 संक्रमितों में भी इसका खतरा अधिक पाया जाता है। इससे बचाव के लिए सभी लोगों को अपनी इम्युनिटी पावर को बढ़ाने वाले उपाय करते रहने चाहिए। आहार और जीवनशैली के साथ आसपास की स्वच्छता पर विशेष ध्यान देकर म्यूकोरमाइकोसिस से सुरक्षित रहा जा सकता है।

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