इस्कॉन इंडिया के चेयरमैन गोपाल कृष्ण गोस्वामी को वृंदावन में दी गई भू-समाधि

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वृंदावन लाया गया इस्कॉन के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का पार्थिव शरीर,अंतिम दर्शन के लिए लगी भीड़
इस्कॉन आईजीसी(ISKCON IGC) के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज (Gopal Krishna Goswami Maharaj) का निधन होने के बाद वृंदावन(Vrindavan) में उनका पार्थिव शरीर लाया गया।  इस्कॉन मंदिर में अंतिम दर्शन के बाद गोशाला के पास समाधि दी जाएगी। इस्कॉन के सबसे वरिष्ठ संन्यासियों में से एक और इस्कॉन इंडिया की गवर्निंग काउंसिल (आईजीसी) के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का रविवार सुबह देहरादून में निधन हो गया है। यह खबर सुनकर भक्तों व संस्था के वृंदावन सहित विश्व के मंदिरों में शोक की लहर दौड़ गई। सोमवार को गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का पार्थिव शरीर वृंदावन लाया गया। यहां इस्कॉन मंदिर में प्रभुपाद की समाधि के पास ही अंतिम दर्शन के लिए सुबह 8.30 बजे से रखा गया। इसके बाद मंदिर की गोशाला के पास समाधि दी गई।

इस्कॉन इंडिया के चेयरमैन संत गोपाल कृष्ण गोस्वामी का देहरादून में निधन हो गया था. गोपाल कृष्ण गोस्वामी एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए देहरादून आए थे, तभी उनकी अचानक तबीयत खराब हो गई थी, जिस वजह से गोपाल कृष्ण को देहरादून के सिनर्जी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां रविवार को इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली.गोपाल कृष्ण गोस्वामी का पार्थिव शरीर यूपी के वृंदावन ले जाया गया, जहां आज सोमवार 6 मई को उन्हें समाधि दी गई.

इससै पहले देसी और विदेशी भक्तों द्वारा अंतिम दर्शन करने के बाद संत गोपाल कृष्ण गोस्वामी के पार्थिव शरीर को आज करीब शाम 4 बजे इस्कॉन गौशाला में भू समाधि दी गई. मंदिर प्रशासन द्वारा सभी तैयारियां पूरी की गई हैं. फिलहाल मंदिर परिसर में ही अंतिम दर्शन के लिए गोपाल कृष्ण का शव रखा गया था.इसके साथ-साथ गोपाल कृष्ण गोस्वामी ने भारत, कनाडा, केन्या, पाकिस्तान और सोवियत संघ समेत दुनिया के अन्य तमाम हिस्सों में आउटरीच और समुदाय-निर्माण के लिए किए जा रहे प्रयासों की जिम्मेदारी भी संभाली. गोस्वामी यही नहीं रुके बल्कि उन्होंने दुनिया भर में दर्जनों मंदिरों और सांस्कृतिक केंद्रों के निर्माण की जिम्मेदारी उठाई, जिसमें नई दिल्ली में प्रसिद्ध ग्लोरी ऑफ इंडिया वैदिक सांस्कृतिक केंद्र भी शामिल है.

ग्लोरी ऑफ इंडिया वैदिक सांस्कृतिक केंद्र का उद्घाटन भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था. इसके साथ ही पुणे में इस्कॉन एनवीसीसी, जिसका उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने किया था. अपने जीवन में गोस्वामी में कई बड़े काम किए. गोपाल कृष्ण गोस्वामी ने भारतीय संस्कृति और दर्शन को दुनिया भर में पहुंचाने वाले बड़े प्रकाशक भक्तिवेदांत बुक ट्रस्ट के ट्रस्टी के रूप में भी काम किया. उन्होंने भगवदगीता और श्रीमद्भागवतम जैसे पवित्र ग्रंथों का 70 से अधिक विश्व भाषाओं में अनुवाद कर प्रकाशन किया, जिसकी आज तक 60 करोड़ से अधिक पुस्तकें छपी हैं.

गोस्वामी ने अन्नामृत फाउंडेशन की भी शुरुआत की, जो आज भारत के 20,000 से अधिक स्कूलों में 12 लाख से अधिक सरकारी स्कूली छात्रों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराता है. गोस्वामी के प्रवचनों और उनकी शिक्षाओं से प्रेरित होकर 70 से अधिक देशों के 50,000 से अधिक लोगों ने गोपाल कृष्ण गोस्वामी से भक्ति योग की प्रक्रिया में शिक्षा प्राप्त की.

राष्ट्राध्यक्षों से लेकर प्रमुख व्यापारियों, छात्रों और समाज के आम लोगों से मिलने-जुलने तक वे एक मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक के रूप में सभी के लिए समान रूप से सुलभ थे. यही नहीं, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2019 में गोपाल कृष्ण गोस्वामी को याद करते हुए लिखा, “श्री गोस्वामी महाराज का जीवन, आदर्श और शिक्षाएं मानव जाति के लिए आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा हैं.

गोपाल कृष्ण गोस्वामी का जन्म 1944 में दिल्ली में हुआ था. गोस्वामी को सोरबोन विश्वविद्यालय (फ्रांस) और मैकगिल विश्वविद्यालय (कनाडा) में पढ़ाई करने के लिए दो छात्रवृत्तियां मिली थी. गोपाल कृष्ण गोस्वामी ने साल 1968 में कनाडा में अपने गुरु और इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपाद से मुलाकात की थी. इसके बाद से ही गोपाल कृष्ण गोस्वामी भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन हो गए थे और उन्होंने विश्व में शांति और कल्याण के लिए अपने आप को समर्पित कर दिया था.

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