यूपी में बिजली संकट : पावर कॉर्पोरेशन के गले की हड्डी बना आयातित कोयला

India Uncategorized Uttar Pradesh

झांसी के रहने वाले शुभम ने इंदौर में की वहसीयाना हरकत, सात लोगों की मौत
प्रदेश के बिजलीघरों के लिए आयातित कोयले की खरीद ऊर्जा विभाग व पावर कॉर्पोरेशन के गले की हड्डी बन गया है। केंद्र सरकार ने यूपी पर विद्युत उत्पादन गृहों के लिए आयातित कोयला खरीदने का दबाव बना रखा है। इस पर करीब 11 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च आ रहा है। पावर कॉर्पोरेशन बिजली कंपनियों की तरफ से नियामक आयोग में 2022-23 का वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) प्रस्ताव दाखिल कर चुका है।
ऐसे में अब 11 हजार करोड़ रुपये के संभावित बोझ ने कॉर्पोरेशन के एआरआर का पूरा गणित बिगाड़ दिया है। उपभोक्ताओं की दरें बढ़ाने या सरकार की ओर से सब्सिडी देने के अलावा इसके समायोजन का कोई विकल्प नहीं है। सरकार बिजली दरें बढ़ाने के पक्ष में नहीं है और सब्सिडी देना भी संभव नहीं हो पा रहा है। अब पूरा मामला वित्त विभाग के पास विचार के लिए भेजा गया है।
दरअसल, पावर कॉर्पोरेशन 2022-23 के लिए करीब 85,000 करोड़ रुपये का एआरआर नियामक आयोग में दाखिल कर चुका है। आयोग ने इसे स्वीकार कर आगे की कार्यवाही भी शुरू कर दी है। इस बीच आयातित कोयला खरीदने के दबाव ने पावर कॉर्पोरेशन का एआरआर गड़बड़ा दिया है। इस वित्तीय वर्ष के एआरआर में बिना दरों में बढ़ोतरी के 63,316 करोड़ रुपये राजस्व वसूली अनुमानित है।
अभी प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं की कुल संख्या तीन करोड़ के आसपास है, जिनके इस साल बढ़कर 3,27,93,995 हो जाने का अनुमान है। इसमें घरेलू उपभोक्ताआें की संख्या 2.90 करोड़ के आसपास होगी। इस वित्तीय वर्ष में पावर कॉर्पोरेशन ने 64,294 करोड़ रुपये से 1,26,527 मिलियन यूनिट बिजली की खरीद प्रस्तावित की है। 2020-21 में 60449 करोड़ तथा 2021-22 में 59,684 करोड़ की बिजली खरीदी गई थी।
वसूली से ज्यादा की खरीदनी पड़ेगी बिजली
अब पावर कॉर्पोरेशन के सामने एक बड़ा संकट यह है कि पूरे साल जितनी राजस्व वसूली अनुमानित है उससे ज्यादा कीमत की बिजली खरीदनी पड़ेगी। इसमें भी 17.05 प्रतिशत लाइन हानियों के आधार पर 30, 597 मिलियन यूनिट बिजली के नुकसान का अनुमान है। ऐसे में 11 हजार करोड़ रुपये के आयातित कोयले का भार उठाना बेहद मुश्किल होगा।
यानी कॉर्पोरेशन के सामने बिजली व्यवस्था के लिए ही 75,000 करोड़ से ज्यादा का इंतजाम करने की चुनौती है। बाकी वेतन-भत्ते व अन्य खर्च अलग हैं। अधिकारियों का कहना है कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकल रहे 20596 करोड़ रुपये का पेंच पहले से ही फंसा है। अब 11,000 करोड़ का नया भार निकल रहा है जिसे वहन कर पाना कॉर्पोरेशन के लिए संभव नहीं होगा क्योंकि पहले से ही वित्तीय स्थिति खराब है।
अधिकारियों का कहना है कि आयातित कोयले से पड़ने वाले अतिरिक्त बोझ की भरपाई के लिए दो ही विकल्प हैं। या तो उपभोक्ताओं की दरें बढ़ाई जाएं या फिर सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाए। फिलहाल यह दोनों ही संभव नहीं दिखाई दे रहा है। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि यह पूरा मामला वित्त विभाग के पास विचार के लिए भेजा गया है। वित्त विभाग की राय मिलने के बाद ही कार्यवाही आगे बढ़ाई जाएगी।
पावर कार्पोरेशन के अध्यक्ष एम. देवराज का कहना है कि आयातित कोयले की खरीद का मामला सरकार के पास भेजा गया है। अभी तक कोई आदेश नहीं मिला है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *