पिता की पार्टी संभालने के लिए राजनीति में आईं अनुप्रिया पटेल की उपलब्धियों के बारे में जानें

India नारी सशक्तिकरण

राजनीति में महिलाओं की भूमिका न केवल बढ़ रही है, बल्कि बहुत महत्वपूर्ण भी बनती जा रही है। राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी समाज में महिला वर्ग को मजबूती और सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही है। वैसे तो देश में कई महिला राजनेता हैं, जो पार्टी से लेकर राज्य तक को संभाल रही हैं। निचले स्तर से केंद्र की सत्ता में काबिज होने वाली महिला राजनेताओं की बात करें तो इसमें अनुप्रिया पटेल का नाम सबसे पहले लिया जा सकता है। पिता के निधन के बाद राजनीति में आने और उनकी पार्टी व विरासत संभालने वाली अनुप्रिया पटेल न क्षेत्रीय राजनीति से उठकर केंद्र की राजनीति में कदम रखा। अपनी लोकप्रियता, जनता का विश्वास और राजनीति की अच्छी समझ के साथ अनुप्रिया पटेल मोदी कैबिनेट में शामिल हुईं। लेकिन क्या आपको पता है कि अनुप्रिया पटेल शुरुआत से राजनीति में नहीं आना चाहती थीं। उनकी शिक्षा, लक्ष्य, सपने क्या है, क्या इस बारे में आपको कोई जानकारी है? आज अनुप्रिया पटेल का जन्मदिन है। जन्मदिन के मौके पर जानें राजनीति में अपनी पहचान और मुकाम बना चुकी अनुप्रिया पटेल के जीवन से जुड़ी रोचक बातें और उनकी उपलब्धि।
अपना दल (एस) भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी पार्टी है। इस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल हैं। इसके साथ ही अनुप्रिया पटेल मोदी कैबिनेट में मंत्री भी हैं। साल 2014 में मोदी सरकार बनने पर अनुप्रिया पटेल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य राज्यमंत्री बनाया गया था। साल 2021 में मोदी कैबिनेट में एक बार फिर उन्हें राज्यमंत्री का पद मिला। अनुप्रिया पटेल राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में 28 अप्रैल 1981 को हुआ था। अनुप्रिया पटेल की पिता सोनेलाल पटेल यूपी की राजनीति में दमदार भूमिका में थे। सोनेलाल पटेल अपना दल राजनीतिक पार्टी के संस्थापक थे। अनुप्रिया पटेल की शिक्षा की बात करें तो वह मनोविज्ञान में परास्नातक हैं। इसके साथ ही अनुप्रिया पटेल ने एमबीए की डिग्री हासिल की है। अनुप्रिया पटेल की तीन बहनें हैं।
भले ही अनुप्रिया पटेल के पिता राजनीति में थे लेकिन वह खुद कभी राजनीति में नहीं आना चाहती थीं। जब सोनेलाल पटेल का निधन हुआ तो अनुप्रिया पटेल ने अपनी तीनों बहनों से साथ पिता की अर्थी को कंधा दिया था। उसके बाद अनुप्रिया पटेल को पिता की पार्टी की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ी। सोनेलाल पटेल की अचानक मौत के बाद अनुप्रिया पटेल राजनीति में आईं। उस समय उनकी मां कृष्णा पटेल पार्टी की कमान संभाल रही थीं। अनुप्रिया को अपना दल में राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया।
अब अनुप्रिया पटेल राजनीति के गुन सीख रही थीं। साल 2012 में उन्होंने विधानसभा चुनाव में रोहनिया सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उसके बाद साल 2014 में उनकी पार्टी ने भाजपा से गठबंधन कर लिया। बाद में मिर्जापुर सीट से सांसदी का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। ऐसे में उनकी रोहनिया सीट खाली हो गई।
अनुप्रिया चाहती थीं कि रोहनिया सीट से उनके पति चुनाव में खड़े हो लेकिन मां कृष्णा ने इस सीट से खुद चुनाव लड़ा और हार गईं। इसके बाद से ही पारिवारिक विवाद बढ़ने लगा। मां से अलग विचार होने के कारण उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। हालांकि तब तक अनुप्रिया पटेल कैबिनेट में मंत्री बन चुकी थीं। उन्होंने राजनीति को बखूबी समझ लिया था। ऐसे में साल 2016 में अनुप्रिया पटेल ने खुद की पार्टी अपना दल (एस) बना ली। उनके पिता की पार्टी से कई नेता और कार्यकर्ताओं ने अनुप्रिया का हाथ थाम लिया। सोने लाल पटेल की पार्टी के दो टुकड़े हो गए। इसके बाद साल 2018 में अनुप्रिया अपना दल (एस) की अध्यक्ष बनीं।

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