पोस्ट कोविड एरा में डिजिटेलाइजेशन सरीखे स्किल्स कंपनियों की प्रायोरिटी

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प्रो.श्याम सुंदर भाटिया/डॉ. अर्पित हुड़िया, लव इंडिया, मुरादाबाद। वर्कप्लेस कल्चर, एम्पथी एंड वर्क-लाइफ इंटीग्रेशन पर कैडिला फार्मास्युटिकल लि. के सीनियर वीपी (एचआर) श्री प्रमोद कुमार राजपूत अंग्रेजी की कहावत- एटीट्यूड डिसाइड अल्टीट्यूड इफ यू हैव राइट एप्टीट्यूड को कोट करते हुए बोले, युवा दुनिया का फ्यूचर हैं। किसी भी युवा को चयन करते वक्त हमारी प्राथमिकता एटीट्यूड होती है। उन्होंने मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और गूगल के सीईओ श्री सुदंर पिचाई का उदाहरण देते हुए कहा, उन्होंने अपने-अपने एटीट्यूड के बूते ही ये मुकाम हासिल किए। उन्होंने मौजूदा एरा को चौथी औद्योगिक क्रांति बताते हुए कहा, युवा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, वर्चुअल रियल्टी, ऑगमेंटेड रियल्टी आदि डिजिटल फील्ड्स में अपनी स्किल्स डवलप करें।

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के ऑडी में सीआरसी की ओर से पैराडाइम शिफ्ट इन टेलेंट एक्वीजिशन- पोस्ट कोविड एरा थीम पर आयोजित मेगा एचआर कॉन्क्लेव में श्री राजपूत बतौर की-नोट स्पीकर बोल रहे थे। इससे पूर्व मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके कॉन्क्लेव का शंखनाद हुआ।

इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि टीएमयू के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, बतौर की नोट स्पीकर- कैडिला के सीनियर वीपी (एचआर) प्रमोद राजपूत, मारुति सुजुकी के एचआर हेड कृष्ण कुमार, टीसीएस के जीएम-एचआर श्री राज गुप्ता, टीएमयू के वीसी प्रो. रघुवीर सिंह, निदेशक सीआरसी श्री विनीत नेहरा आदि की गरिमामयी मौजूदगी रही।

कॉन्क्लेव के बीच में जीवीसी श्री मनीष जैन ने कैडिला के सीनियर वीपी (एचआर) प्रमोद राजपूत, वीसी प्रो. रघुवीर सिंह ने मारुति सुजुकी के एचआर हेड कृष्ण कुमार और एमजीबी श्री अक्षत जैन ने टीसीएस के जीएम-एचआर श्री राज गुप्ता को शॉल ओढाकर स्मृति चिन्ह भेंट किए। करीब एक दर्जन नामचीन कंपनियों के एचआर प्रतिनिधियों ने पैनल में शामिल होकर पोस्ट कोविड सिनेरियो में बदलाव पर विस्तार से चर्चा की।कैडिला के सीनियर वीपी (एचआर) श्री राजपूत पोस्ट कोविड एरा में भारत ही नहीं, बल्कि विश्व में इंडस्ट्री को ऐसे नौजवानों की तलाश है, जो आउट ऑफ बॉक्स थिंकिंग, क्रिएटिव थिंकिंग आदि टेलेंट्स से लबरेज हों।

कैडिला के सीनियर वीपी एचआर श्री राजपूत बोले, कंपनियां विकास यात्रा में अपने कारिंदों पर पैनी नजर रखे हैं कि वे ऑर्गेनाइजेशन के लिए पिलर हैं या पुलर। एम्पथी-हमदर्दी के महत्व पर बोले, नियोक्ता और सेवक दोनों को इसकी दरकार है। यदि हम एम्पथी के प्रति संजीदा हैं, तो इसका रिजल्ट दोनों के लिए सकारात्मक ही होगा। उन्होंने युवाओं से आहवान किया, वे खुशियां बाहर न ढूंढें, हैप्पीनेस आपके अंदर ही छिपी है, जरूरत है तो बस अपने काम को मुकम्मल मनोयोग से करने की। वर्कप्लेस कल्चर, वर्क लाइफ इंटीग्रेशन, कंट्रीब्यूशन, चेंज आदि शब्दों को तमाम उदाहरण देते हुए परिभाषित किया।

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तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के मेगा एचआर कॉन्क्लेव में कैडिला, मारुति सुजुकी, टीसीएस के स्टालवटर््स ने दिए व्याख्यानख़ास बातेंकैडिला के सीनियर वीपी (एचआर) प्रमोद राजपूत बोले, आउट ऑफ बॉक्स थिंकिंग टेलेंट की दरकार मारुति सुजुकी के एचआर हेड कृष्ण कुमार बोले, युवाओें में वैल्यू सिस्टम का अति महत्वटीसीएस के जीएम-एचआर श्री राज गुप्ता ने सिखाए लीडरशिप डवलप करने के गुरकुलाधिपति श्री सुरेश जैन बोले, मेगा एचआर कॉन्क्लेव टीएमयू के लिए गोल्डन डेटीएमयू के वीसी प्रो. रघुवीर सिंह ने जाने-माने प्रोफेशनल्स से पूछे मौजूं सवाल

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मैपिंग दा वर्कफोर्स विद स्ट्रेटेजिक प्लानिंग पर बतौर की-नोट स्पीकर मारुति सुजुकी के एचआर हेड श्री कृष्ण कुमार बोले, राइट पर्सन, राइट स्किल, राइट प्लेस, राइट टाइम सरीखे स्लोगन को प्लेसमेंट के वक्त बेहद ईमानदारी से क्रियान्वित करते हैं। युवाओें में वैल्यू सिस्टम का अति महत्व है। मारुति सुजुकी रिक्रूटमेंट करते वक्त वैल्यू सिस्टम को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। लर्निंग और वर्क कल्चर की पुरजोर वकालत करते हुए बोले, किसी भी ऑर्गेनाइजेशन में दोनों को आत्मसात करने की दरकार है। कोविड काल के कड़वे अनुभवों से मारुति सुजुकी ने भी बहुत कुछ सीखा है। उत्पादन घटा तो कारिन्दों ने भी कंपनी का संग छोड़ा। लर्निंग और वर्किंग कल्चर में आमूल-चूल परिवर्तन आए। वर्क फ्रॉम होम, ऑनलाइन मीटिंग यानी डिजिटलाइजेशन ने नियोक्ताओं से लेकर सेवकों तक के लिए नए द्वार खोले। वर्कफोर्स मैपिंग को लेकर उन्होंने फुटबाल के खेल का उदाहरण दिया।

मारुति सुजुकी के एचआर हेड श्री कुमार ने कहा, हमारी कंपनी जापान से तय फाइव ईयर बिजनेस प्लान का स्टेªटेजिकली अनुसरण करती है। हमारा मोटो- रिक्रूट, इंगेज और डवलप कोरोना से उभरने में मददगार बना।टीसीएस के जीएम-एचआर श्री राज गुप्ता ने रोल ऑफ लीडरशिप इन एम्प्लाई इंगेजमेंट पर बोले, लीडरशिप डवलप करने के लिए ग्रेटफुलनेस, पॉजिटिव थिंकिंग, बिजनेस लैंग्वेज की अंडरस्टेंडिंग, चेंज मैनेजमेंट स्किल्स, डोमेन एक्सपर्टीज़, वैल्यू सेट सरीखे गुर होने चाहिए। किसी भी ऑर्गेनाइजेशन में लोअर, मिडिल और टॉप लेवल की लीडरशिप होती है। इन्हीं के मुताबिक युवा अपनी स्किल्स डवलप करते हैं। श्री गुप्ता का पूरा व्याख्यान लीडरशिप पर ही केंद्रित रहा।

श्री गुप्ता ने ऑडी में मौजूद छात्रों से न केवल लीडरशिप के गुणों के बारे में पूछा, बल्कि लीडरशिप को लेकर इस चर्चा में कुलाधिपति श्री सुुरेश जैन, वीसी प्रो. रघुवीर सिंह, कैडिला के एचआर एक्सपर्ट श्री प्रमोद कुमार राजपूत, निदेशक सीटीएलडी प्रो. आरएन कृष्णिया, टिमिट की ज्वाइंट रजिस्ट्रार डॉ. अलका अग्रवाल ने भी अपने-अपने तौर पर लीडरशिप को परिभाषित किया।तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. रघुवीर सिंह बोले, एचआर प्रैक्टिस वक्त के मुताबिक बदलती रहती हैं। कोविड के दौरान रिमोट वर्किंग, वर्क फ्रॉम होम, प्रोजेक्ट वर्किंग, कॉन्ट्रेक्ट वर्किंग सरीखे बदलाव आए हैं। टीएमयू में भी हजारों कारिन्दे हैं। यूनिवर्सिटी की एचआर प्रैक्टिसिस वैश्विक स्तर की कैसे हों? साथ-साथ मेरा सवाल यह भी है, बदलते वैश्विक परिवेश में जॉब प्राप्त करने की रणनीति क्या हो? उन्होंने मंचासीन स्टालवर्टस की ओर इशारा करते हुए ये भी सवाल उठाए, भर्ती करते वक्त एटीट्यूड, स्किल या नॉलेज में से सबसे ज्यादा महत्व किसे दिया जाना चाहिए? टॉप लेवल पर अपाइंट करने के लिए क्या पैमाना होना चाहिए? परफॉर्मेंस इवैल्यूएशन का रिलायऐबल और वैलिड क्राइटेरिया क्या होना चाहिए? ट्रेनिंग किस बेसिस पर डिजाइन होनी चाहिए?

मेगा एचआर कॉन्क्लेव में रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, एसोसिएट डीन प्रो. मंजुला जैन, निदेशक छात्र कल्याण प्रो. एमपी सिंह, निदेशक सीटीएलडी प्रो. आरके कृष्णिया, निदेशक टिमिट प्रो. विपिन जैन, कॉलेज ऑफ नर्सिंग के प्रिंसिपल प्रो. श्रीनाथ के. कुलकर्णी, कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल के वाइस प्रिंसिपल डॉ. नवनीत कुमार, ज्वाइंट रजिस्ट्रार- रिसर्च डॉ. ज्योति पुरी, कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन के इंचार्ज प्रो. मनु मिश्रा, एफओईसीएस के एचओडी डॉ. अशेन्द्र कुमार सक्सेना, असिस्टेंट डायरेक्टर टीएडंपी श्री विक्रम रैना, असिस्टेंट डायरेक्टर टीएंडपी श्री आकाश भटनागर आदि की गरिमामयी मौजूदगी रही।

अंत में 2002 एमबीए बैच के एल्युमिनस एवम् डलोइट में बड़े ओहदेदार श्री सचिन शर्मा ने सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया। संचालन सीटीएलडी की फैकल्टी श्री विपिन चौहान ने किया।इंसेट मेंटीएमयू के स्टुडेंट्स को मोती के मानिंद करें विकसित: कुलाधिपतितीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने बतौर मुख्य अतिथि मेगा एचआर कॉन्क्लेव की इस महफिल को गोल्डन डे की संज्ञा दी। कैडिला, मारुति सुजुकी और टीसीएस के मंचासीन एचआर प्रोफेशनल्स को हंस बताते हुए कहा, टीएमयू में ये हस्तियां मोती रूपी स्टुडेंट्स को चुनने आए हैं। हंस की ख़ासियत बताते हुए बोले, हंस या तो मोती चुगते है या उपवास रखते है। ऐसे में फैकल्टी की जिम्मेदारी है कि वे छात्र-छात्राओं को मोती की मानिंद विकसित करें। दुनिया में छात्रों से तीन अपने ही कभी ईर्ष्या नहीं करते हैं- माता-पिता और गुरू। बाकी की तो किसी न किसी बहाने गिला-शिकवा बनी रहती है। कैडिला का कोविड काल में तीर्थंकर महावीर हॉस्पिटल के प्रति योगदान को अविस्मरणीय बताया।

कैडिला से अपने नजदीकी संबंधों का हवाला देते हुए बोले, रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर जब देश में हाहाकार मचा था, ऐसे में कैडिला के उच्च प्रबंधन ने टीएमयू हॉस्पिटल की भरपूर मदद की। उल्लेखनीय है, टीएमयू हॉस्पिटल को कोविड हॉस्पिटल लेवल थर्ड का दर्जा मिला हुआ था। हमारे हॉस्पिटल में मंडल भर के कोविड पेशेन्ट्स भर्ती होते रहे हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन को बाहर बेचने का लाइसेंस नहीं था, बावजूद इसके मुरादाबाद के आला अफसरों के लिखित आदेश पर दूसरे अस्पतालों को बतौर उधार दे दिए जाते थे। ऐसे में मुरादाबाद मंडल में अनगिनत जानों को बचाने का श्रेय कैडिला को जाता है।उन्होंने मारुति सुजुकी और टीसीएस कंपनियों की जमकर तारीफ की। मारुति की मजबूती को लेकर व्यक्तिगत अनुभव साझा किए जबकि टीसीएस को लेकर बोले, टाटा का नाम ही काफी है। टाटा तो सदियों से दिलों पर राज कर रहा है।

उन्होंने मंचासीन कैडिला फार्मास्युटिकल लि. के सीनियर वीपी (एचआर) श्री प्रमोद कुमार राजपूत, मारुति सुजुकी के एचआर हेड श्री कृष्ण कुमार, टीसीएस के जीएम-एचआर श्री राज गुप्ता और मेगा एचआर कॉन्क्लेव के पैनल में शामिल जानी-मानी कंपनियों के एचआर प्रतिनिधियों का दिल की गहराईयों से शुक्रिया अदा किया।टीएमयू के खचाखच भरे ऑडी में छात्रों की हौसलाफजाई करते हुए और शेर-ओ-शायरी से महफिल को जमाते हुए बोले, हवाओं के भरोसे मत उड़ो, चट्टानें तो तूफानों का रूख भी मोड़ देती हैं।अपने पंखों पर भरोसा रखो, हवाओं के भरोसे तो पतंगें उड़ा करती हैं।

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में आए मेहमानों की शान में बोले,आप आइए तो सही, मेरी महफिल की ज़ीनत बनकर,खैर-मकदम को हमारी पलकें होंगी, खैर-मकदम को…टीएमयू की विकास यात्रा को एक शेर के जरिए यूं इजहार कियामंजिल मिले न मिले, इसका गम नहीं मंजिल के जुस्तजू में मेरा कारवां तो है।

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