Chaitra Navratri 2024 आज से, इस अभिजीत मुहूर्त में करें कलश स्थापना

India Uttar Pradesh Uttarakhand अपराध-अपराधी खाना-खजाना खेल-खिलाड़ी टेक-नेट तीज-त्यौहार तेरी-मेरी कहानी नारी सशक्तिकरण बॉलीवुड युवा-राजनीति लाइफस्टाइल वीडियो शिक्षा-जॉब

प्रथम दिन- मां शैलपुत्री की आराधना : आज नवरात्र का पहला दिन है और इस दिन घटस्थापन के बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का पूजन, अर्चन और स्तवन किया जाता है। शैल का अर्थ है हिमालय और पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लेने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। पार्वती के रूप में इन्हें भगवान् शंकर की पत्नी के रूप में भी जाना जाता है। वृषभ (बैल) इनका वाहन होने के कारण इन्हें वृषभारूढा के नाम से भी जाना जाता है। इनके दाएं हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में इन्होंने कमल धारण किया हुआ।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त : चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू होने जा रहे हैं और इसका समापन 17 अप्रैल को महानवमी के साथ होगा. चैत्र नवरात्रि मां दुर्गा को समर्पित है। हिंदू पंचांग के मुताबिक कलश स्थापना के लिए सबसे अच्छा अभिजीत मुहूर्त माना जाता है। ऐसे में कोशिश करें कि इस दिन सुबह 5 बजकर 52 मिनट से लेकर 10 बजकर 4 मिनट तक पहला कलश स्थापना मुहूर्त बन रहा है। इसके बाद 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक घट स्थापना कर सकेंगे।

Chaitra Navratri 2024 : हिन्दू धर्म के चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को शुरू होता हैं चैत्र नवरात्रि के दौरान लोग नौ दिनों तक माँ दुर्गा की नौ रूपों की पूजा करते हैं और उनकी आराधना करते हैं। इसके दौरान भक्त ध्यान, भक्ति और त्याग के माध्यम से अपने आत्मा को शुद्ध करते हैं और भगवान की कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

इस वर्ष यह नवरात्री 9th अप्रैल 2024 से शुरू हो जाएंगे और 17 नवंबर को रामनवमी के साथ पूर्ण होंगे वैसे तो नवरात्री 8 अप्रैल ही रात 11 बजे से shuru जायेंगे पर उदय तिथि 9 april को होने की वजह से 9 अप्रैल को ही घटस्थापना की जाएगी चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन, जो राम नवमी के रूप में भी जाना जाता है, बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।

चैत्र नवरात्रि का महत्व है कि यह वसंत ऋतु के आरंभ के साथ आता है और उत्तेजना, उत्साह और नई ऊर्जा का संचार करता है। इसके अलावा, यह धर्म, संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हमें हमारी सांस्कृतिक विरासत की महत्वता को समझाता है।

नवरात्रि का नाम ‘नव’ और ‘रात्रि’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इस त्योहार के दौरान, भक्तों को माँ दुर्गा की नौ रूपों की पूजा करनी चाहिए, जिन्हें नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है। ये नौ रूप माँ दुर्गा के निमित्त कुछ खास गुणों को प्रतिनिधित्व करते हैं, जैसे कि शक्ति, शांति, संजीवनी, धैर्य, स्नेह, तपस्या, विवेक, ज्ञान, और श्रद्धा।

नवरात्रि के दौरान लोग मंदिरों में जाकर माँ दुर्गा की मूर्ति की पूजा करते हैं और घर-घर में धूप, दीप, और फूलों की बेलें सजाते हैं। ये नौ दिन किसी भी शक्तिपीठ पर्वतों में मनाए जा सकते हैं जहाँ पर्वतों में निवास करने वाली देवी की मूर्तियां स्थापित होती हैं। नवरात्रि का आयोजन विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके से किया जाता है।

उत्तर भारत में इसे बड़े धूमधाम और रंग-बिरंगी आत्मा में मनाया जाता है, जबकि दक्षिण भारत में इसे ध्यान, ध्यान, और पूजन के रूप में अधिक शांतिपूर्ण रूप में मनाया जाता है। चैत्र नवरात्र का महत्व: नवरात्र के दौरान, हिंदू धर्म में मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है।

इस पर्व में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। यहां तक कि चैत्र नवरात्र में नवदुर्गा की पूजा के बिना नवरात्रि का उत्सव अधूरा माना जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *