तत्कालीन वाजपेयी सरकार में लोकसभा अध्यक्ष रहे मनोहर जोशी ने दुनिया छोड़ी

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मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और शिवसेना वरिष्ठ नेता मनोहर जोशी का निधन हो गया है। उन्होंने मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में अंतिम सांस ली जहां उन्हें हार्ट अटैक के बाद भर्ती कराया गया था। 21 फरवरी को तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें हिंदुजा अस्पताल में भर्ती कराया गया था।मनोहर जोशी का पार्थिव शरीर माटुंगा स्थित उनके घर पर अंतिम दर्शन के लिए सुबह 11 से 2 बजे तक रखा जाएगा। इसके बाद दादर श्मशान भूमि में जोशी का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

बता दें कि मनोहर जोशी शिवसेना के दिग्गज नेताओं में से एक थे। जोशी साल 1995 से 1999 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे और वह अविभाजित शिवसेना की ओर से राज्य के मुख्यमंत्री बनने वाले पहले नेता थे। इसके अलावा मनोहर जोशी सांसद भी रह चुके हैं और 2002 से 2004 तक तत्कालीन वाजपेयी सरकार में लोकसभा अध्यक्ष भी रहे थे।

मनोहर गजानन जोशी, (मराठी: मनोहर गजानन जोशी) (2 दिसम्बर 1937 में जन्म – 23 फ़रवरी 2024) महाराष्ट्र राज्य के भारतीय राजनेता रहे। वे राजनीतिक दल शिव सेना के प्रमुख नेताओं में से एक थे। वे 1995-1999 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने शिवसेना से विधान परिषद के लिए निर्वाचित होकर अपने कैरियर की शुरुआत की। वे 1976 से 1977 के दौरान मुंबई के मेयर बने। वे 1990 में शिवसेना की टिकट पर विधान सभा के लिए चुने गए। जब जब शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन ने राज्य के चुनावों में कांग्रेस को पराजित किया तो वे महाराष्ट्र के प्रथम गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने। जब उन्होंने 1999 के आम चुनावों में सेन्ट्रल मुंबई से जीत हासिल की तो वे लोक सभा तक पहुंचे।

शिव सेना में प्रभाव रखते हैं

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए (NDA)) प्रशासन के दौरान वे 2002 से 2004 तक लोक सभा के अध्यक्ष थे। वे धीरे-धीरे सेना की श्रेणी में ऊपर उठते गए। वे शिवसेना में अत्यंत शक्तिशाली बन गए और नारायण राणे द्वारा उन पर अन्य लोगों को दल के अध्यक्ष बालासाहेब ठाकरे से मिलने से रोकने का आरोप लगाया गया। जब उन्हें 1991 के दौरान शिवसेना में शीघ्र पदोन्नति मिल गई, तो छगन भुजबल ने दल छोड़ दिया। शिव सेना में उनका बहुत सम्मान किया जाता था और वह शिव सेना में प्रभाव रखते थे।

पुत्र एवं दो पुत्रियां हैं जोशी की

उनका जन्म रायगढ़ जिले के निम्न मध्यम वर्गीय देशष्ठ ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पूर्वज बीद जिले से रायगढ़ जिले के गोरेगांव ग्राम में प्रवासित हुए एवं पहले के ‘ब्रह्मे’ परिवार ने अपने पेशे के कारण ‘जोशी’ उपनाम अपना लिया। अध्ययन के समय उन्हें अपने अन्य मध्यम वर्गीय रिश्तेदारों से मदद मिली। 14 मई 1964 को श्रीमती अनघ जोशी के साथ उनका विवाह हुआ एवं उनके एक पुत्र एवं दो पुत्रियां हैं। श्री मनोहर जोशी को 2010 में मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट (राजनीति विज्ञान में) की उपाधि से सम्मानित किया गया।

निम्न मध्यवर्गीय मराठी युवकों के बीच में जबरदस्त लोकप्रिय

एमए और विधिशास्त्र की पढ़ाई के बाद वे मुंबई निगम (बीएमसी) में एक अधिकारी के रूप में शामिल हुए, लेकिन उनके उद्यमी कौशल ने उन्हें 1970 के दशकों में अनसुने अनोखे विचार के साथ कोहिनूर तकनीकी/व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान शुरू करने के लिए प्रेरित किया। अर्ध-कुशल युवकों को, बिजली-मिस्त्री (इलेक्ट्रीशियन), नलसाज (प्लम्बर), टीवी, रेडियो/स्कूटर की मरम्मत करने वाले व्यक्ति, फोटोग्राफ़ी में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एक संस्थान की इस धारणा ने उन्हें निम्न मध्यवर्गीय मराठी युवकों के बीच में जबरदस्त लोकप्रिय बना दिया है। इन युवाओं की उस समय शिवसेना के विचारधारा के साथ सहानुभूति थी। अंतत:, उन्होंने संपूर्ण मुंबई, पुणे, नागपुर, नासिक आदि में कोहिनूर की कई शाखाएं शुरू की एवं बाद में उन्होंने निर्माण और अन्य पूंजी-उन्मुख व्यवसाय में प्रवेश किया। मनोहर जोशी ने खंडाला, महाराष्ट्र में कोहिनूर बिजनेस स्कूल एवं कोहिनूर-आईएमआई (आतिथ्य) संस्थान की भी स्थापना की है, जो उनके संबंधित क्षेत्रों में प्रमुख संस्थानों में गिना जाता था। वे एक सरल और बहुत ही शांत व्यक्ति थे।

जोशी कोहिनूर श्रृंखला के मालिक

जोशी कोहिनूर श्रृंखला के मालिक हैं, जिसमें तकनीकी प्रशिक्षण, होटल, निर्माण और अचल संपत्ति के कारोबार शामिल हैं। कुछ वर्षों पहले वे मुंबई में एमएनएस (MNS) सुप्रीमो राज ठाकरे के साथ विवादास्पद कोहिनूर मिल जमीन की खरीद में शामिल थे जब उन्होंने उक्त जमीन के टुकड़े की खरीद के लिए 400 करोड़ रुपए (लगभग 82 अमरीकी डॉलर) की राशि का भुगतान किया। इस जोड़ी द्वारा इतने कम समय में इतनी बड़ी राशि जुटाने की उनकी क्षमता पर सवाल खड़ा हुआ विशेष रूप से जब जोशी की घोषित निजी संपत्ति, इस राशि का एक अंश मात्र थी एवं यह भी विवाद का विषय था कि उस जोड़ी को जमीन बाजार मूल्य से कम कीमत पर क्यों बेची गई।

पार्षद से मंत्री तक का सफर

1967-1972 – पार्षद, बंबई नगर निगम 1972-1989 – सदस्य, महाराष्ट्र विधान परिषद 1976-1977 – मुंबई के महापौर 1990-1991 – सदस्य और महाराष्ट्र विधान सभा में विपक्ष के नेता 1995-1999 – महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री 1999-2004 – लोक सभा के सदस्य 2002-2004 – लोकसभा के अध्यक्ष 2004 से 2002 तक भारी उद्योग मंत्री 2006-वर्तमान – राज्य सभा के सदस्य

नोट: जीवन च्रक विकीलीक्स से साभार लिया गया है

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