104 रिसर्च स्कॉर्ल्स को हैंड्स ऑन ट्रेनिंग

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लव इंडिया, मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के रिसर्च सेंटर और आईक्यूएसी की ओर से रिसर्च मैथोडोलॉजी टूल एंड टेक्निक्स पर फैकल्टी डपलपमेंट प्रोग्राम-एफडीपी में 104 रिसर्चर्स को हैंड्स ऑन ट्रेनिंग दी गई। एफडीपी के समापन पर बतौर मुख्य अतिथि टीएमयू के रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए। डॉ. शर्मा ने रिसर्च स्कार्ल्स को संबोधित करते हुए कहा, इस एफडीपी से यूनिवर्सिटी की फैकल्टीज, रिसर्च स्कॉर्ल्स, पीजी रिसर्च स्कॉर्ल्स- एमडी, एमएस और एमडीएस आदि को अपनी रिसर्च में बेहद मदद मिलेगी।

टीएमयू के रिसर्च सेंटर और आईक्यूएसी की ओर से रिसर्च मैथोडोलॉजी टूल एंड टेक्निक्स पर फैकल्टी डवपलपमेंट प्रोग्राम-एफडीपी का समापन

उन्होंने उम्मीद जताई, यूनिवर्सिटी का रिसर्च सेंटर भविष्य में भी इस तरह की एफडीपी कराता रहेगा, जिससे शोधार्थियों का मार्गदर्शन होता रहे। अंत में उन्होंने प्रतिभागियों के संग-संग मेजबानों को एफडीपी के सफल आयोजन के लिए बधाई दी। इस अवसर पर रजिस्ट्रार डॉ. शर्मा ने अतिथि वक्ता यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ के डॉ. शैलेश कौशल, ज्वाइंट रजिस्ट्रार- रिसर्च एंड डवलपमेंट एवम् एफडीपी की ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. ज्योति पुरी, टीएमयू मेडिकल कॉलेज की स्टेटिशियन डॉ. उम्मे अफीफा के संग-संग 104 स्टुडेंट्स को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया।

रिसर्च स्कॉर्ल्स, पीजी स्टुडेंट्स के लिए मददगार होगी एफडीपीः रजिस्ट्रार

उल्लेखनीय है, एफडीपी में स्टुडेंट्स को एएमओएस सॉफ्टवेयर पर हैंड्स ऑन टेनिंग दी गई, रिसर्च स्कॉर्ल्स ने 10 मिनट में मॉडल तैयार करके एक्सपर्ट को दिखाया।

एफडीपी में रिसर्चर्स और एक्सपर्ट्स के बीच चला सवाल-जवाब का दौर

एफडीपी में यूनिवर्सिटी के शिक्षाविदों के संग-संग रिसर्च स्कॉर्ल्स, एमडी, एमएस और एमडीएस के पीजी रिसर्च स्कॉर्ल्स समेत 100 से अधिक स्टुडेंट्स ने प्रतिभाग किया। इस मौके पर सवाल-जवाब का दौर भी चला। एक्सपर्ट ने स्टुडेंट्स के सवालों का जवाब देकर उनकी समस्याओं का समाधान किया। ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. ज्योति पुरी ने वोट ऑफ थैंक्स दिया। यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ के डॉ. शैलेश कौशल को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। संचालन असिस्टेंट रजिस्ट्रार गवर्नेंस श्री बसवराज मुधोल ने किया।

डॉ.ज्योति पुरी बोलीं, रिसर्चर्स को अपनी नॉलेज करनी होगी अपडेट

यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ के डॉ. शैलेश कौशल और टीएमयू मेडिकल कॉलेज की स्टेटिशियन डॉ. उम्मे अफीफा ने भी अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए। एफडीपी की ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. ज्योति पुरी ने कहा, रिसर्चर्स को अपनी नॉलेज को अपडेट करना पड़ेगा। उन्होंने स्टुडेंट्स को रिसर्च के नए सॉफ्टवेयर जैसे- एसपीएसएस, एएमओएस आदि के बारे में सीखने के लिए प्रेरित किया। ये सॉफ्टवेयर डेटा एनालिसिस के लिए अति महत्वपूर्ण हैं। इससे डेटा की रिलेविटी और वैलिडिटी को जानने में मदद मिलती है। एसएसपीएस सॉफ्टवेयर प्रश्नावली की पायलेट टेस्टिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

डॉ. पुरी ने स्टुडेंट्स से अपना रिसर्च क्लब बनाने की सलाह दी, जिससे सभी रिसर्चर्स एक-दूसरे को जान सकें और अपनी-अपनी समस्याएं साझा करें। साथ ही साथ अपने स्किल को इम्प्रूव करें। एफडीपी में लॉ कॉलेज के डीन प्रो. हरबंश दीक्षित, सीसीएसआईटी के प्रिंसिपल प्रो. आरके द्विवेदी, लॉ के प्रिंसिपल प्रो. एसके सिंह, फार्मेसी के प्रिंसिपल प्रो. अनुराग वर्मा, एग्रीकल्चर के डीन प्रो. प्रवीण जैन, एफओई के वाइस प्रिंसिपल प्रो. पंकज गोस्वामी, फार्मेसी के वाइस प्रिंसिपल प्रो. पीयूष मित्तल आदि के अलावा दीगर कॉलेजों के एचओडी और फैकल्टीज भी मौजूद रहे।

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