जिंदगी का धागा बहुत छोटा, इसलिए उम्मीदों को छोड़ दें: सतपुरुष बाबा फुलसन्दे वाले

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लव इंडिया, मुरादाबाद। एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा मंत्र के ऋषि सत्पुरुष बाबा फुलसन्दे वालों ने मानसरोवर पैराडाइज होटल में उपस्थित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुये कहा- एक तू सच्चा तेरा नाम राच्चा, हे परमेश्वर ! तू सच्चा है तेरा नाम सच्चा है। जो व्यक्ति ब्रह्मचर्य का पालन करता है, संयम से रहता है, उसके भीतर से ईश्वर की सुगन्ध आती है। संयम से मनुष्य कान्तिवान बनता है और वह ऊर्जा और चेतन के शिखर पर पहुंचता है। कलयुग में कलुषित चित्त वाले पराये धन का लोभ और पर स्त्री में आसक्त रहने वाले असत्य भाषण करने वाले विधिहीन कर्म वाले पाप आचरण में लिप्त मनुष्यों के लिये परमब्रह्म परमात्मा का सिमरन और गुरू की भक्ति ही भवसागर को पार करने का एक मात्र उपाय है, लालची लोभी मोहित चित्त वाले लोभ भी यदि गुरू की भक्ति को हृदय में धारण कर लेते है तो वे भी जगत बन्धन से मुक्त हो जाते हैं। कोध से तप का काम से बुद्धि का, अन्याय से लक्ष्मी का अभिमान से विद्या का तथा पाखण्ड कुटिलता और छल-कपट से धर्म का नाश हो जाता है। अभी मैं नौजवान हूं, अभी मेरी मृत्यु बहुत दूर है, ऐसी बात चित्त में कभी नहीं लानी चाहियें। वृद्धावस्था आने से पहले ही अपने मन और वाणी को पवित्र बना के परमब्रहम के सुमरन और ध्यान में लगाना चाहिये।

Divine Satsang of Satpurush Baba Phulsande Walon on 03.04.2023 at Mansarovar Paradise Hotel Line Cross Delhi Road Moradabad.

एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा मंत्र के ऋषि सत्पुरुष बाबा फुलन्दे वालों ने हे देवपुत्रों! जितना बड़ा इन्सान का लोभ लालच होता है उतनी ही बड़ी उसकी निराशा और असफलता होती है, पंछी परन्द, दाने के लालच में जाल में फंसता है, तू दुनियां की दौलत को इकट्ठा ना कर उस रब का इश्क ही सच्ची दौलत है। गुरू के घर से वो तुझे मिलेगा उसे इकट्ठा कर लोभ, लालसा और कामना और वासना के जाल में फंसा हुआ। इन्सान हमेशा अतृप्त असन्तुष्ट और अशान्त रहता है, भले ही उसे सारे संसार का राज्य क्यों ना मिल जावे, जिन्दगी का धागा बहुत छोटा है इसलिये लम्बी चौड़ी उम्मीदों को छोड़ दे। ये उम्मीदे तेरी रूह पे फन्दे और पिंजरे हैं। इन पिंजरों को तोड़ दे अपने रब की तरफ को उड़ान भर दुनियां में वो ही खुश किस्मत इन्सान है जिसने अपने चारों तरफ निगाह डालकर ये सीखा कि दुनियां की संगति छोड़कर अपने लिये एकान्त वालो को ना दूड़ दुनियां की नेकी बदी से डर उस रब की दोस्ती में दिन और रातों को बिता। आत्मा परमात्मा का ज्ञान ही सच्चा ज्ञान है, जो इनको माने नही वो मूरख अज्ञान है। वेद केवल किताब नहीं वो है सच्चा ज्ञान, ज्ञान बिना हर मनुष्य है पशु के समान।

एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा मंत्र के ऋषि सत्पुरुष बाबा फुलन्दे वालों ने हे ईश्वर पुत्रों उसे सच्चे महबूब उस परमात्मा की तरफ को अपनी निगाह करो जो कभी भी तुमको धोखा नहीं देगा। मेरे हर गुनाह के साथ उसकी रहमत और बख्शीश बढ़ती गई। इस तरह उसने मुझे अपने गुनाहों से शर्मिन्दा कर दिया। आखिरकार मेरे गुनाहों ने मेरा उस्ताद बनके मुझे ये सबक दिया कि गुनाह क्या होते हैं और परमात्मा की रहमत क्या होती है। बनो शान्ति की धारा जो सब करें उसमें स्नान, दिल दिया परमेश्वर को संसार का ना करो ध्यान। विनम्र शब्दों में कहो अपनी ठोस बात, प्यार से दुलार दुखियों का लो हाथ में हाथ। एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा, एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा।

इस दिव्य सत्संग का आयोजन देवपुत्री डा. रंजना सिंह द्वारा अपने स्व० पति देवपुत्र डा. एके सिंह की आत्मा की शान्ति हेतु किया गया। इस दिव्य सत्संग के समापन के उपरान्त उनकी आत्मा की शान्ति के लिये शान्ति पाठ का किया गया तथा ब्रहमभोज का आयोजन किया गया। सभी साध संगत ने मिलकर डा. एके सिंह की आत्मा की शान्ति के लिये दुआ की।

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