पॉलिसी धारक को स्वास्थ्य बीमा की अदायगी न करना कंपनी को भारी पड़ा

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लव इंडिया, संभल।बीमा पॉलिसी धारक को स्वास्थ्य बीमा की धनराशि बीमा कंपनी द्वारा देने में बहानेबाजी करना भारी पड़ा।

बहजोई निवासी दीपक कुमार पुत्र स्वर्गीय बुध सागर ने वर्ष 2019 में स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से अपनी व अपने परिवार की स्वस्थ सुरक्षा के लिए बीमा पॉलिसी क्रय की दिनांक 22/2/ 2022 को दीपक कुमार अपने ईट के भट्टे पर सुपरविजन का कार्य कर रहे थे कि 11 फीट की ऊंचाई पर से फिसलने के कारण नीचे आ गिरे जिससे उनके दोनों पैरों की एड़ियों में फैक्चर आ गया। तत्काल वहां मौजूद कर्मचारियों ने निजी चिकित्सक के यहां दिखाया निजी चिकित्सक ने हायर सेन्टर दिखाने की सलाह दी तो दीपक कुमार के परिजन उन्हें हायर सेंटर ले गए और जहां उनके दोनों पैरों का ऑपरेशन हुआ क्योंकि जिस अस्पताल में उनका इलाज हुआ वह अस्पताल बीमा कंपनी के पैनल पर था परंतु बीमा कंपनी की कैशलेस सुविधा होने के बावजूद इलाज पर आए हुए की व्यय की धनराशि उनके परिजनों द्वारा दी गई दीपक कुमार ने अपने इलाज पर हुये व्यय की धनराशि की मांग बीमा कंपनी से की तो बीमा कंपनी ने यह कहकर इंकार कर दिया कि आप जानबूझकर गिरे हैं। इस कारण आपके लिए धनराशि दे नहीं है और धनराशि देने से इनकार कर दिया तब उन्होंने अपने अधिवक्ता लव मोहन वार्ष्णेय से सम्पर्क किया और सारी घटना बताई।

अधिवक्ता लव मोहन वार्ष्णेय

उन्होंने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग जनपद संभल में अपना परिवाद दर्ज कराया जहां आयोग के अध्यक्ष राम अचल यादव व सदस्य आशुतोष सिंह ने सुनवाई करते हुए बीमा कंपनी को तलब किया बीमा कंपनी ने अपनी वही बात दोहरायी और बीमा धनराशि देने में बहानेबजी की तब दीपक कुमार के अधिवक्ता लव मोहन वार्ष्णेय ने अपना पक्ष को रखते हुए कि जहां कोई व्यक्ति अपने जानबूझकर एक सुई तक नहीं चुभा सकता। वहां विपक्षी बीमा कंपनी का यह कहना कि जानबूझकर उन्होंने चोट मारी हैं। पूर्णता मिथ्या व गलत है। बीमा धनराशि ना देना पड़े इससे बचने के लिए बीमा कंपनी बहाना बना रही हैं।

आयोग ने दोनों पक्ष की की बहस को सुनकर अपना निर्णय देते हुए आयोग के अध्यक्ष व सदस्य ने विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेश दिया कि परिवादी का परिवाद स्वीकार किया और विपक्षी स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को बीमा धनराशि मुबलिग 314117 रुपए उस पर परिवार संस्थान की तिथि से 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अंदर दो महा अदा करें।

इसके अलावा विपक्षी परिवादी को ₹10000 मानसिक कष्ट व आर्थिक हानि की मद में तथा ₹5000 वाद व्यय के रूप में भी अदा करेगी। नियत तिथि के अंदर धनराशि अदा ना किए जाने की दशा में ब्याज 9% वार्षिक की दर से होगा और इस प्रकार परिवादी को आयोग से न्याय मिला।

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