रमज़ान में रहमत और मगफिरत के साथ जहन्नुम से मिलती है आज़ादी: नाज़िश नसीर खान

तीज-त्यौहार तेरी-मेरी कहानी

नाज़िश नसीर खान

लव इंडिया, सम्भल। रमज़ान मुबारक का रहमत, मगफिरत, जहन्नुम से आज़ादी वाले मुबारक महीने का आगाज़ हो चुका है, रमज़ान मुबारक बेइंतेहा बरकत , रहमत वाला महीना होता है, इस महीने में 3 अशरे होते हैं पहला अशरा रहमत दूसरा अशरा मगफिरत और तीसरा अशरा जहन्नुम से ख़लासी का होता है।इस महीने में अल्लाह ताला की रोज़ेदारों पर खास रहमत बरसती हैं, गुनाह माफ़ हो जाते हैं और जहन्नुम से आज़ादी मिल जाती है, अल्लाह के नेक बंदे इस महीने में अल्लाह की इबादत करके अपने आप को जन्नत का हक़दार बना लेते हैं, इस महीने में एक रात हज़ार महीनों से अफ़ज़ल रात होती है ,जो लैलतुल क़द्र के नाम से जानी जाती है, इस रात को रमज़ान मुबारक के महीने के आखिरी अशरे में तलाश करना चाहिए।

इस महीने में हर नेकी का सवाब 70 गुना बढ़ा दिया जाता है, इस महीने में जन्नत को सजाया जाता है और सारे दरवाज़े खोल दिए जाते हैं जहन्नुम के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं और सरकश शैतानों को ज़ंज़ीरों में जकड़ दिया जाता है। रमजान सब्र का महीना होता है और सब्र का बदला जन्नत है। इस महीने में गरीब कमजोर मिस्कीन लोगों की वह मदद करनी चाहिए।

नाज़िश नसीर खान, संस्थापक, ह्यूमन केयर चैरिटेबल ट्रस्ट, सम्भल

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