जीएसटी से कर एकत्रित करने की प्रक्रिया की पारदर्शिता में हुआ सुधार

शिक्षा-जॉब

लव इंडिया, मुरादाबाद। महानगर में  “वस्तु एवं सेवा कर (जी० एस० टी०)  का व्यावहारिक अवलोकन” विषय पर एक वेबिनार का आयोजन “श्री शिव ओम अग्रवाल अधिवक्ता मेमोरियल ट्रस्ट” और “कॉलेज ऑफ़ लॉ एंड लीगल स्टडीज, तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय” ने संयुक्त रूप से आयोजित किया। इस वेबिनार में मुख्य वक्ता सीए डा. अभिनव अग्रवाल एवं  टीमिट के प्राचार्य सीएमएए डा. विपिन जैन थे। इस वेबिनार में 200 से अधिक टीएमयू के विधि छात्र और छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

  वेबिनार का शुभारम्भ करते हुए डा. निखिल रंजन अग्रवाल, (सचिव शिव ओम अग्रवाल अधिवक्ता मेमोरियल ट्रस्ट) ने सभी का स्वागत किया और ट्रस्ट एवं दोनों मुख्य वक्ताओं का परिचय सभी से कराया और डा. निखिल रंजन अग्रवाल ने जीएसटी का संक्षिप्त परिचय सभी से कराया और बताया कि उद्योग के विशेषज्ञों का मानना ​​है कि जीएसटी के कारण लंबे समय में वस्तुओं और सेवाओं की लागत में कमी आएगी।

सीए डा. अभिनव अग्रवाल ने बताया कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) वस्तुओं की खरीदारी करने पर या सेवाओं का इस्तेमाल करने पर चुकाना पड़ता है। पहले मौजूद कई तरह के टैक्सों (एक्साइज ड्यूटी, वीएटी, एंट्री टैक्स, सेवा कर आदि) को हटाकर, उनकी जगह पर एक टैक्स जीएसटी लाया गया है। भारत में इसे 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया है। जुलाई 2017 के पहले, देश और राज्यों में जो टैक्स सिस्टम लागू था, उसमें कारोबारियों को कई तरह के टैक्सों से गुजरना पड़ता था। उदाहरण के लिए जैसे ही माल फैक्ट्री से निकलता था, सबसे पहले उस पर उत्पाद शुल्क चुकाना पड़ता था। कई सामानों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क अलग से लगता था। वही माल अगर एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजा जा रहा है तो राज्य में घुसते ही  एंट्री टैक्स लगता था। इसके बाद जगह-जगह चुंगियां अलग से । टीमिट के प्राचार्य सीएमए डा. विपिन जैन ने बताया कि GST सिस्टम लागू होने से, टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ गई है। इससे एक तरफ सरकार को सुविधा हो गई है, वहीं दूसरी तरफ, कारोबारियों और उपभोक्ताओं के लिए भी यह फायदेमंद है , जिसे सरकार व कई अर्थशास्त्रियों द्वारा इसे स्वतंत्रता के पश्चात् सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया है । जीएसटी लागू करने के पीछे का विचार कर व्यवस्था को सरल बनाना और इसे अधिक सुव्यवस्थित बनाना था। जीएसटी का लक्ष्य कर संग्रह के नेटवर्क को विस्तृत करना और प्रक्रिया को व्यापार और विकास के अनुकूल बनाना है। ट्रस्ट की संस्थापिका एवं अध्यक्ष श्रीमती वीर बाला अग्रवाल ने बताया कि इससे कर गणना और संग्रह प्रक्रिया काफी सरल हो गई है। जीएसटी ने कर एकत्रित करने की प्रक्रिया की पारदर्शिता में सुधार किया है। वेबिनार के अंत में अमित वर्मा, विभागाध्यक्ष, कॉलेज ऑफ़ लॉ एंड लीगल स्टडीज, तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। अमित वर्मा  ने बताया कि इससे पहले, सरकार को कई अप्रत्यक्ष करों को संचालित करने का जटिल कार्य करना पड़ता था। लेकिन अब यह पूरी तरह से एक संघटित प्लेटफॉर्म है, जो टैक्स के संचालन को सरल और सुनिश्चित करेगा। 

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