सफलता को उच्च कोटि का हो आत्मविश्वास: मुख्य न्यायाधीश

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लव इंडिया मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के लॉ के स्टुडेंट्स को इलाहाबाद आने का भी दिया आमंत्रण उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश श्री प्रीतिंकर दिवाकर ने तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के लॉ स्टुडेंट्स को तमाम टिप्स देते हुए कहा, सफलता के लिए आत्मविश्वास उच्च कोटि का होना चाहिए। आत्मविश्वास के संग-संग चयनित विषय का गहन अध्ययन और उम्दा बॉडी लैग्वेंज का होना भी आवश्यक है। लॉ के स्टुडेंट्स को अपना ड्रेस अप, प्रेजेंटेशन, सही उच्चारण और दूसरों का सम्मान अवश्य करना चाहिए। ग्रेजुएशन के बाद भी आप लॉ में करियर बना सकते हैं। कानून की पढ़ाई करने के बाद आप केवल वकील ही नहीं बन सकते, बल्कि दीगर सेक्टरों जैसे- बैंकिंग, सिविल जज, प्राइवेट फर्म में लीगल एडवाइजर आदि में भी अपना स्वर्णिम करियर बना सकते हैं। लॉ के स्टुडेंट्स को चुनाव और सरकारों के गठन की प्रक्रिया का भी ज्ञान जरूरी है। पहले माना जाता था कि जिसका कहीं दाखिला नहीं होता है, वह लॉ करता है, लेकिन अब ऐसा नहीं है।

उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश श्री प्रीतिंकर दिवाकर टीएमयू के ऑडिटोरियम में लॉ समेत तमाम स्टुडेंट्स को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। इससे पूर्व मुख्य अतिथि श्री प्रीतिंकर दिवाकर, कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, डीन एकेडमिक्स प्रो.मंजुला जैन, कॉलेज ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज के डीन प्रो. हरबंश दीक्षित आदि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।

इस मौके पर कुलाधिपति ने मुख्य अतिथि का बुके देकर स्वागत किया। संचालन डॉ. माधव शर्मा ने किया। अंत में उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश श्री प्रीतिंकर दिवाकर को कुलाधिपति श्री सुरेश जैन और जीवीसी श्री मनीष जैन ने शाल ओढ़ाकर स्मृति चिन्ह भेंट किया।संविधान देश का प्रथम ग्रंथलॉ के क्षेत्र में भी स्वर्णिम करियर को लेकर बोले, संविधान देश का प्रथम ग्रंथ है। देश के सभी नागरिकों को इसका सामान्य ज्ञान होना चाहिए। हम संविधान के अनुसार ही अपने कार्य करते हैं। संविधान में हमारे मौलिक अधिकारों को संग-संग मौलिक कर्तव्यों की बात भी कही गई है। बार काउंसिल ने पांच साल का कोर्स शुरू करके यह निश्चित भी किया है कि स्टुडेंट्स शुरूआत से ही लॉ के प्रति संजीदा रहें।

उन्होंने पढ़ाई के बाद वकील बनने की प्रक्रिया के चरणों को भी विस्तार से बताया। न्यायालय में अधिक उतावलापन हमें नहीं दिखाना है। क्लाइंट आपका काम देखता है, जिससे आपकी वैल्यू बढ़ती है। आपको काम मिलने लगता है। वकालत के प्रोफेशन में धैर्य काम आता है। कुछ लोग शुरूआत से ही काम न मिलने के कारण इस प्रोफेशन को छोड़ देते हैं। भाग्य को नहीं, मेहनत को देखेंमूट कोर्ट पर बताते हुए कहा, इसका उद्देश्य हराना या जीताना नहीं है। वहां पर आप विषय को तैयार करें। अपने ज्ञान को बताएं। इंटर्नशिप करें। जजों के साथ काम करें। जो अपॉचुनिटी मिलती है, उसे ग्रैप करें। कोर्ट अटेंड करें। सीखने की ललक बनाए रखें। प्रैक्टिस के लिए अपने वातावरण का अवलोकन करें।

कहा कि वकीलों की छवि को देखें उनके केसों का अध्ययन करें। उसके बाद चयन करें। किसी भी सम्मान को एक दिन में प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इसके पीछे सालों की मेहनत होती है। किसी भी क्षेत्र में विशेषता प्राप्त होना बड़ी बात है। भाग्य को नहीं, मेहनत को देखें। लॉ के बाद टीचिंग का ऑप्शन भी आपके लिए खुला है। शार्ट कट के जरिए वकालत में आगे बढ़ना संभव नहीं है। इसमें मेहनत की जरूरत है। इसमें जाति और लिंग का भेद भी नहीं है। कुलाधिपति सुरेश जैन साधुवाद के पात्रटीएमयू कुलाधिपति श्री सुरेश जैन का साधुवाद देते हुए कहा, लॉ कॉलेज चलाना वास्तव में कठिन कार्य है। यह बहुत खर्चीला कोर्स होता जा रहा है। मुरादाबाद में इतनी अच्छी सुविधा प्रदान करना बहुत बड़ी बात है।

उन्होंने तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के लॉ के स्टुडेंट्स को इलाहाबाद आने का आमंत्रण भी दिया। उन्होंने कहा, यदि छात्र हाईकोर्ट की कार्यवाही को देखना चाहते है या इंटर्नशिप करना चाहते हैं तो उनका स्वागत है। भाषा के माध्यम को लेकर बोले, यदि हमारी एक भाषा उम्दा है तो हम दूसरी भाषा आसानी से सीख सकते हैं। बोले, मैंने स्वंय पांचवी क्लास के बाद अंग्रेजी पढी थी। हकीकत यह है, समय हमें बताता है, हमें कैसे चलना है। हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। इस ख़ास मौके सम्बोधन के दौरान उन्होंने अपने अनुभवों को छात्रों से साझा किया। कार्यक्रम के अंत में लॉ कॉलेज के डीन प्रो. हरबंश दीक्षित ने वोट ऑफ थैंक्स दिया।

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